बीडीपीओ विभाग के सर्वे में 390 मकान जर्जर घोषित, किस्त आई 35 मकानों की
जुलाना (सच कहूँ न्यूज)। क्षेत्र में प्रधानमंत्री आवास योजना हवा हवाई साबित हो रही है क्योंकि पिछले 6 साल से केवल सर्वे और फिर सर्वे का ही काम चल रहा है काफी मकानों की तो जिओ ट्रैकिंग भी हुई लेकिन किस्त आज तक उनकी भी नहीं आ पाई है। शहरी क्षेत्र में तो गरीबों को आशियाना बनाने के लिए किस्तें आ रही हैं लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में 2016 के बाद केवल 35 मकानों की किस्त आई हैं। एक ओर तो सरकार 2022 तक हर सिर पर छत का दावा कर रही है लेकिन 6 साल सर्वे में ही बीत गए। मकान नहीं बनने के कारण गरीबों को जर्जर हुए मकानों में ही दिन काटने को मजबूर होना पड़ रहा है। प्रदेश सरकार गरीबों के सिर पर छत बनाने और उनकों आवासीय योजना से जोड़ने का दावा तो कर रही है लेकिन जुलाना क्षेत्र के गांवों में योजनाएं दम तोड़ती नजर आ रही हैं।
जुलाना के हर गांव में लगभग 20 से 30 परिवार ऐसे हैं, जो जर्जर मकानों में रहने को मजबूर हैं। पौली गांव निवासी महेंद्र, रामकुमार, जयपाल आदि ने बताया कि उन्हें प्रदेश सरकार द्वारा दी जाने वाली आवासीय योजनाओं के बारे में ज्ञान ही नहीं है। उनके मकान इस हालत में हैं कि वो कभी भी गिर सकते हैं। सरकार द्वारा नया मकान बनाने या मुरमत के लिए राशि मुहैया करवाने की मांग की है। बीडीपीओ विभाग द्वारा खंड के 38 गांवों में 390 मकानों को जर्जर घोषित किया गया है लेकिन 6 साल के लंबे अंतराल में केवल 35 मकानों की किस्त आई है। जिसमें से 29 मकानों की 2-2 किस्त और 6 मकानों की केवल एक किस्त ही आ पाई है। 2022 का साल बीतने को है लेकिन विभाग द्वारा कंडम घोषित मकानों के 10 फीसदी मकान भी नही बन सकें हैं। ऐसे में भाजपा के 2022 तक हर सिर पर छत के दावे खोखले स्कभी भी गिर सकती हैं।
जरा-सी बरसात से ही जान आ जाती है हलक में
जुलाना क्षेत्र के हर गांव में 6 साल से गरीब अपने आशियाना बनने का इंतजार कर रहे हैं लेकिन इस बीच मकानों की हालत कुछ इस प्रकार है कि जरा-सी बरसात होते ही उनकी जान पर बन जाती है क्योंकि मकानों का लेवल नीचा होने से मकान में बरसात का पानी घुस जाता है इसके अलावा दीवारें भी काफी कमजारे हो चुकी हैं जोकि कभी भी गिर सकती हैं।
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