बरनावा। पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने आगे फरमाया कि बेपरवाह जी ने जो प्यार, मोहब्बत की प्रथा चलाई, सत्संगी को प्रेमी कहा जाता है। तो किसका प्रेमी? ओउम, हरि, अल्लाह, वाहेगुरू, राम का, सतगुरु का। जो मालिक की बनाई सृष्टि से बेग़र्ज, नि:स्वार्थ भावना से प्यार करे, मालिक की बनाई औलाद के लिए भला सोचे और भले के साथ-साथ इन्सानियत को कभी मरने ना दे। प्यार का रास्ता, जो राम वाला रास्ता है, प्रेम का रास्ता, जो प्रभु का रास्ता है, इस कलियुग में कठिन है, मुश्किल है। लोग बड़े, ताने, उलाहने देते हैं। लोग रोकते हैं, टोकते हैं पर आपने तो उधर ध्यान नहीं ना देना। कौन क्या कहता है, क्या नहीं कहता ये उन पर छोड़ दीजिये। हर इन्सान मर्जी का मालिक है और हमेशा हम आपको पहले भी कहते रहे हैं कि इन्सान को पकड़कर रोक लेते हैं कि भाई इधर नहीं जाना, पर ये ढाई-तीन र्इंच की जुबान है ना, इसको रोक पाना बड़ा मुश्किल है। तो कोई क्या कहता है? कोई क्या बोल रहा है? उस तरफ ध्यान नहीं देना, आपने ध्यान देना है कि हमें हमारे गुरु, पीर-फकीर ने सिखाया क्या है? और हमें चलना किधर है, ध्यान सिर्फ उधर होना चाहिए।
प्यार-मोहब्बत के रास्ते पर दृढ़ता से चलते जाइए
पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि ना अहंकार करो, ना आपके शब्दों में कोई ऐसा अहंकार झलकना चाहिए, क्योंकि ये तो शिक्षा ही नहीं, ना किसी को बुरा बोलो, ना किसी को बुरा कहो। हाँ, अपने प्यार, मोहब्बत के रास्ते पर आप हौंसले के साथ, आप दृढ़ता के साथ आगे बढ़ते जाइये। यही बेपरवाह शाह सतनाम जी दाता ने सिखाया है। और आपको पहले की तरह हमेशा कहते हैं ‘‘तैनू यार नाल की तैनू चोर नाल की, ओए तू अपनी निबेड़ तैनूं होर नाल की।’’ रास्ता तय करना है एक मालिक के प्यारे ने तो जो सतगुरु, बेपरवाह, दाता रहबर ने बता रखा है उस रास्ते पर चलिये। उस ओउम, हरि, राम का नाम जपो, जो आपको आने वाली बहुत सारी समस्याओं से, परेशानियों से, मुश्किलों से बचा लेगा। आपके अंदर आत्मबल भर देगा। और जिनके अंदर आत्मबल होता है वो बुलंदियों को छू लेते हैं। जिनके अंदर आत्मबल होता है, वो मन के हाथों मजबूर नहीं होते। और जो मन के हाथों मजबूर होते हैं उन्हें गुरु, संत, पीर-फकीर की बात अच्छी नहीं लगती। ये मत भूलो कि वो राम, ओउम, हरि, अल्लाह, वाहेगुरू, गॉड सबकी खबर रखता है, सबको जानता है।
राम-नाम में बहानेबाजी मत कीजिये
पूज्य गुरुजी ने फरमाया कि कई सज्जन ऐसे भी होते हैं, बहाना कर लिया, अब राम-नाम में नहीं आना, मेरा तो काम-धंधा पड़ा है भाई, मेरे तो दुकान में, बिजनेस में लॉस हो जाएगा, मेरे तो ये हो जाएगा, मेरे तो सिर दर्द है, मेरे तो बदन दर्द है, आगे-पीछे बिल्कुल दर्द नहीं होता। ये मत बोलो कि वो जानता नहीं, पर वो राम, उसके संत, पीर-फकीर सबका पर्दा रखते थे, रखते हैं और रखते ही रहेंगे। वो तो हाथ जोड़कर ये कहते हैं कि बहानेबाजी ना करो। अब तो रोज के नौकरी में 10 हजार, एक हजार, 500 रुपये मिलते हों, वहां तो नहीं बहाना करता, तब तो सिरदर्द नहीं होता, तब तो कोई और काम-धंधा नहीं होता, पता है अगर एबसेंट हो गया तो हजार उड़ गया, 10 हजार उड़ गया, जैसी भी आपकी नौकरी। उस समय तो बड़ा ध्यान रहता है और जब राम-नाम में बैठना हो, सत्संग में बैठना हो, तब बदन दर्द, सिर दर्द, फलां काम में कमी, ये है, वो है, बहुत सारी चीजें आप गिनवाने लग जाते हो।
परमात्मा की भक्ति के आगे सब मजे बौने
पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि कई कह देते हैं कि जी राम-नाम के लिए समय नहीं है। खाने के लिए समय, पीने के लिए समय, पहनने के लिए समय, सोने के लिए समय, हर कार्य के लिए समय है और समय अनुसार ही आप खाते-पीते हैं, लेकिन परमात्मा के लिए, प्रभु के लिए जब बात आती है, तब कहते हैं समय नहीं है। ये तो बहानेबाजी है। हकीकत ये है कि समय तो है पर आपको अलूणी सिल लगती है, कि भई मनोरंजन नहीं है, मजा नहीं आ रहा। ये नहीं पता कि राम-नाम जपोगे, ओउम, हरि, अल्लाह, वाहेगुरू, परमात्मा की भक्ति करोगे तो वो परमानंद आएगा, जिसके सामने सारे मजे फीके पड़ जाते हैं, बौने रह जाते हैं। पर कई चीजों का रिजल्ट बाद में मिलता है। पंजाबी में एक कहावत है, ‘स्याणे दा कहेया ते ओलÞे दा खादा बाद च स्वाद आवंदा है’, आंवला खा लो आप, एकदम से स्वाद नहीं आएगा। चरचरा सा, थोड़ा खट्टा सा, थोड़ा मिट्ठा सा, लेकिन बाद में पेट के लिए बड़ा फायदेमंद है, बहुत सारी शरीर की चीजों के लिए, बालों के लिए मान लीजिये और चीजों के लिए बड़ा फायदेमंद है। उसके बाद में कभी पानी पीओ तो बड़ा स्वाद लगता है, बड़ा अच्छा लगता है। तो इसी तरह स्याणा, समझदार, जिसने उम्र का तर्ज़ुबा लिया, उसे स्याणा कहा जाता है या जो राम से जुड़ा होता है वो स्याणा होता है। तो उसकी बात का बाद में पता चलता है। इसी तरह राम-नाम का और बेग़र्ज प्यार करने का पता बाद में चलता है। जब आपको बेइंतहा खुशियां मिलनी शुरू होती हैं। जब आप परमानंद में मालामाल हो जाते हैं, परमानंद से जुड़ जाते हैं।
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