रास्ता संकरा, कच्चा व उबड़-खाबड़ था सत्संगियों को आती कठिनाई
पूजनीय बेपरवाह सांई शाह मस्ताना जी महाराज ने पाखण्डों, वहमों में फंसे लोगों को सच्चा रास्ता दिखाने एवं उनकी आत्मा के कल्याण हेतु सन् 1948 में डेरा सच्चा सौदा आश्रम बनाया। आश्रम का पहले पुराना मुख्य द्वार पूर्व दिशा की तरफ आम रास्ते पर खुलता था। रास्ता संकरा, कच्चा व उबड़-खाबड़ था। (Ruhani Karishma) सरसा शहर से आश्रम तक लगभग दो किलोमीटर का रास्ता तय करने में वर्षा के दिनों में फिसलन की वजह से सत्संगियों को बहुत कठिनाई आती।
एक बार शहनशाह जी आश्रम के प्रांगण में खड़े कुछ सेवादारों के साथ वार्तालाप कर रहे थे।(Ruhani Karishma) एक सेवादार ने आप जी से इस कच्ची सड़क के बार में चर्चा करते हुए आश्रम में आने-जाने में होने वाली मुश्किल के बारे में बताया। इस पर शहनशाह जी ने फरमाया, ‘‘वरी! अंदर वाले जिंदाराम की सरकार के पास यह बात रखेंगे।’’ शहनशाह जी ने साथ ही आश्रम की पश्चिम दिशा की तरफ पावन डंगोरी से इशारा करते हुए फरमाया, ‘‘वरी! इधर से उधर सच्चा सौदा का डबल गेट बनेगा।’’
सड़क डेरा सच्चा सौदा से आधा किलोमीटर दूर…
कुछ महीने बाद ही सरसा-चौपटा वाली सड़क मंजूर हो गई। शहनशाह जी गांव महमदपुर रोही, अमरपुरा धाम में सत्संग के लिए आए हुए थे। सरसा शहर के कंगनपुर चुंगी नाके के पास सड़क निर्माणाधीन, सरसा वाया कंगनपुर-नेजियाखेड़ा का बोर्ड भी लगा दिया गया था। सड़क निर्माण के लिए सामग्री ईटें, पत्थर भी आने शुरू हो गए। यह प्रस्तावित सड़क डेरा सच्चा सौदा से पूर्व की ओर लगभग आधा किलोमीटर दूर हटकर जानी थी। सरसा का एक भक्त खुशी राम सुबह अपनी साईकिल पर किसी कार्यवश उधर से गुजरा तो बोर्ड देखा। वह चुंगी के पास खड़ा होकर बोर्ड पढ़ने लगा।
सामने सड़क बनाने का सामान भी उतारा जा रहा था। वह देखकर वह बहुत उदास हुआ। वहां चुंगी पर बैठे एक कर्मचारी ने भक्त को ताना मारा कि देखो! सड़क डेरा सच्चा सौदा से आधा किलोमीटर दूर है। उसे यह बात सहन नहीं हुई और साईकिल पर ही लम्बी दूरी तय करता हुआ आश्रम अमरपुरा धाम में आप जी के पास जा पहुंचा। भक्त को इतनी गर्मी में अचानक आया देखकर पूजनीय बेपरवाह जी ने फरमाया, ‘‘वरी! तुझे ऐसा क्या हुआ था जो इतनी गर्मी में यहां आया है। जिंदाराम तेरे साथ था।’’ उसने सड़क तथा बोर्ड वाली सारी बात पूजनीय बेपरवाह जी को सुनाई।
शहनशाह जी गांव महमदपुर से शाही दरबार सरसा लौट आए
इस पर आप जी ने फरमाया, ‘‘जो सड़क बनवाते हैं उनकी पहुंच तो प्रधानमंंत्री तक है। हमारी पहुंच तो जिंदाराम तक है, जिनके आसरे यहां बैठे हैं। इसरार को रिपोर्ट करेंगे, चिंता न कर।’’ चार-पांच मिनट बाद आप जी ने फरमाया,‘‘वो टेढ़ी-मेढ़ी बनने वाली सड़क सच्चा सौदा होकर जरूर जाएगी।’’ आप जी के वापिस सरसा आश्रम पहुंचने पर भक्त खुशीराम को पता चला कि वाया कंगनपुर बनने जा रही सड़क कैंसल हो गई है और इस नई सड़क के मार्ग का शीघ्र ही दोबारा सर्वे किया जाना है।
शहनशाह जी सत्संग का निश्चित कार्यक्रम पूरा करने के बाद गांव महमदपुर से शाही दरबार सरसा लौट आए। फिर से जांच करने आई सर्वे (जांच) अधिकारियों की टीम जब डेरा सच्चा सौदा की तरफ पहुंची तो उन्होंने कांटेदार झाड़ियों के झुंड के मध्य डेरे की अद्भुत इमारत देखी। जांच अधिकारी ने पास खड़े इलाके के पटवारी से सामने दिखाई दे रही ईमारत के बारे में पूछा। इस पर पटवारी बोला कि यह डेरा सच्चा सौदा आश्रम है। यहां हर मजहब और जाति से प्रेम किया जाता है। केवल प्रभु का नाम ही जपा और जपाया जाता है।
सतगुरू जी का सुमिरन करोगे तो मिलेगा सच्चा खजाना
यह सुनकर सर्वे करने आई पूरी टीम के सदस्यों में आप जी के दर्शन करने की उत्सुकता पैदा हुई। वे सभी लोग आप जी के दर्शनों के लिए शाही दरबार में आए। वे सभी आप जी के दर्शन कर मस्त हो गए। सर्वे अधिकारी ने आदरपूर्वक कहा कि बाबा जी, कुछ बताओ। इस पर आप जी ने फरमाया, ‘‘मालिक से हर वक्त डरो, वो बेपरवाह है। आत्मा जो यहां पांच चोरों से कत्ल हो रही है, उसके कल्याण के लिए सब उपाय छोड़कर सतगुरु की शरण पक्की करो। संसार का सुमिरन करने से तुम्हें माया मिली। अगर तुम सच्चे सतगुरू जी का सुमिरन करोगे तो तुम को सच्चा खजाना मिलेगा। तुम सारी उम्र बैठकर खाओगे।
ऐसा खजाना कमाना चाहिए जो यहां-वहां दोनों जहानों में साथ रहे।’’ ऐसी सच्ची बातें सुनकर सभी आश्चर्यचकित थे। अपने आपको खुशनसीब समझने लगे। सभी अधिकारीगण आप जी के दर्शन करके बहुत प्रसन्न हुए। उन्होंने उसी समय ही सड़क का पहला फैसला बदलकर नई जगह बनाने का निर्णय लिया। ईटें-पत्थर भी पुराने स्थान से उठाकर नए स्थान पर लाये जाने लगे। प्यारे सतगुरू जी की रहमत से सड़क आश्रम के आगे बनने लगी।