राजनीति और भ्रष्टाचार का नाता टूटने का नाम नहीं ले रहा है। पंजाब के एक अन्य पूर्व मंत्री को भ्रष्टाचार के मामले में गिरफ्तारी हुई है। कांग्रेस सरकार में मंत्री रहे साधू सिंह धर्मसोत को भ्रष्टाचार के आरोपों में गिरफ्तार किया है और एक अन्य कांग्रेसी मंत्री की भी गिरफ्तारी लगभग तय है। विगत माह आप सरकार के स्वास्थ्य मंत्री विजय सिंगला भ्रष्टाचार के आरोप में जेल जा चुके हैं। इसी तरह शिरोमणी अकाली दल की सरकार में मंत्री रहे बिक्रम मजीठिया भी जेल में बंद हैं। एक छोटे से राज्य के पूर्व मंत्रियों का जेल में बंद होना भ्रष्टाचार की गहरी व मजबूत जड़ों का प्रमाण है। तीन लाख करोड़ के ऋणी हो चुके राज्य का सुधार कैसे होगी, यह एक बड़ा सवाल है।
जिन नेताओं को लाखों लोग चुनकर सरकार में भेजते हैं फिर वही नेता लोगों के साथ विश्वासघात और धोखा करते हैं। जहां तक राजनीतिक पार्टियों की भ्रष्टाचार खत्म करने की वचनबद्धता का सम्बन्ध है पंजाब की जेलों में बैठे पूर्व मंत्री किसी एक पार्टी से सबंधित नहीं। एक शिरोमणी अकाली दल, दूसरा कांग्रेस और तीसरा आम आदमी पार्टी से सबंधित है। शिरोमणी अकाली दल और कांग्रेस भी अपनी-अपनी सरकार के समय में भ्रष्टाचार खत्म करने के दावे करती रही हैं। यह आवश्यक है कि जिस तरह आप सरकार ने अपने मंत्री को भ्रष्टाचार के मामले में संलिप्त मिलने पर तीव्रता से कार्यवाही करते हुए कुछ घंटों में जेल भेज दिया, वह एक बड़ी कार्रवाई थी। यूं भी ज्यादा चलन यही रहा है कि पार्टियां अपने नेताओं को बचाने का प्रयास करती रही हैं। सरकार में रहने तक पार्टियां अपने भ्रष्ट नेता को हाथ तक नहीं लगाने देती और हद तो तब हो जाती है जब उनसे इस्तीफा भी नहीं लिया जाता।
यदि भ्रष्ट नेता विपक्षी दल से सबंधित हो तब भी पार्टी अपने नेता की गिरफ्तारी या अदालत में पेशी के दौरान विरोध-प्रदर्शन करती है। बेहतर हो यदि राजनीतिक पार्टियां भले ही सरकार में हों या विपक्षी पार्टियों को भ्रष्टाचार के खिलाफ अपना नजरिया स्पष्ट करना चाहिए। किसी भी पार्टी को अपने भ्रष्ट नेताओं का बचाव करने की बजाय निष्पक्ष व कानूनी कार्यवाही में बाधा नहीं बनना चाहिए। भ्रष्टाचार ने देश और समाज की जड़ें खोखली कर दी हैं। लोग बुरी तरह से परेशान हैं और शिक्षित युवा बेरोजगारी का एकमात्र समाधान विदेश जाना समझने लगे हैं। लोगों का राजनीति से मोह टूटता जा रहा है। वास्तव में राजनीति भ्रष्टाचार का अड्डा बन चुकी है। नेता राजनीति को व्यापार या नौकरी के रूप में देख रहे हैं। राजनीति में सुधार आवश्यक है, यदि राजनीतिक पार्टियों ने लोगों का भरोसा जीतना है तो भ्रष्टाचार में संलिप्त नेताओं से किनारा करना होगा।
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