श्रीनगर (एजेंसी)। भारतीय सेना ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर स्थित बारामूला, कुपवाड़ा और बांदीपोरा जिलों में पिछले महीने हुई मुठभेड़ की घटनाओं को देखते हुए फिर से घुसपैठ की आशंका व्यक्त की है। सेना का कहना है कि यह कोई नई बात नहीं है। वहीं सुरक्षा एजेंसियों का कहना है कि सीमा पार से कुछ आतंकवादी घाटी में घुसने में कामयाब रहे हैं। एक सुरक्षा अधिकारी ने बताया, ‘अंतरराष्ट्रीय सीमा क्षेत्र चिंता का गहरा विषय है। सीमा क्षेत्र पाकिस्तान आतंकवादियों, हथियार और गोला-बारूद वगैरह भेजता रहा है। पिछले माह कश्मीर के सीमावर्ती जिलों में मुठभेड़ की कई घटनाएं हुईं।
पुलिस ने कहा कि 11 मई को बांदीपोरा के जंगलों में एक नया घुसपैठिया आतंकवादी मुठभेड़ के दौरान मारा गया। इसके दो दिन बाद प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के दो संदिग्ध पाकिस्तानी आतंकवादियों को इसी जिले में एक अन्य मुठभेड़ की घटना में मार गिराया गया। पुलिस ने दावा किया कि 11 मई को हुई मुठभेड़ की घटना के दौरान दो आतंकवादी भागने में सफल रहे हैं। नौ दिन बाद, 20 मई को सुरक्षा बलों ने कुपवाड़ा जिले के तंगधार सेक्टर में घुसपैठ की कोशिश को नाकाम करते हुए पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर से एक संदिग्ध घुसपैठिए को मुठभेड़ में मार गिराया।
इसी के साथ, 25 मई को जैश-ए-मोहम्मद के तीन अन्य पाकिस्तानी आतंकवादी बारामूला के क्रीरी इलाके की नजीभात क्रॉसिंग पर एक मुठभेड़ में मारे गये। इसके ठीक एक दिन बाद 26 मई को सेना ने घुसपैठ की कोशिश को नाकाम करते हुए कुपवाड़ा के जुमागुंड में लश्कर के तीन आतंकवादी मारे गए। जुमागुंड में घुसपैठ की कोशिश को नाकाम करने के बाद सेना ने चेतावनी देते हुए एक बयान जारी किया और इसमें नियंत्रण रेखा के साथ संघर्ष विराम समझौते को पाकिस्तान का एक नया छलावा बताया और इसी के साथ कहा पाकिस्तान के इन नापाक मंसूबो का मकसद कश्मीर के मुद्दे पर अपने मृतप्राय एजेंडे को फिर से जीवित करना है।
उल्लेखनीय है कि भारत और पाकिस्तान ने फरवरी, 2021 में एलओसी पर संघर्ष विराम पर सहमति जताई थी। हालांकि, सुरक्षा एजेंसियों से प्राप्त खुफिया जानकारी के आधार पर संघर्ष विराम के बावजूद कई आतंकवादी कश्मीर में घुसपैठ करने की कोशिश में लगे हुए हैं, जो जम्मू और कश्मीर में सुरक्षा के लिए चिंता का विषय है।
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