हिसार (सच कहूँ न्यूज)। चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार द्वारा विकसित गेंहू, सरसों व जई की उन्नत किस्मों का अब हरियाणा ही नहीं बल्कि देश के अन्य प्रदेशों के किसानों को भी लाभ मिल सकेगा। इसके लिए विश्वविद्यालय ने पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के तहत तकनीकी व्यवसायीकरण को बढ़ावा देते हुए निजी क्षेत्र की प्रमुख बीज कंपनी से समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं। विश्वविद्यालय के प्रवक्ता ने यह जानकारी दी। उपरोक्त समझौते के तहत कंपनी विश्वविद्यालय द्वारा विकसित गेंहू की डब्लयूएच 1270, सरसों की आरएच 725 व जई की ओएस 405 किस्मों का बीज तैयार कर किसानों तक पहुंचाएंगी।
-चौ. चरण सिंह हरियाणा कृषि विवि ने प्राइवेट बीज कंपनी के साथ किया समझौता
फसलों की उपरोक्त उन्नत किस्मों के लिए विश्वविद्यालय की ओर से गुरुग्राम की मैसर्ज देव एग्रीटेक प्रा.लि. को तीन वर्ष के लिए गैर एकाधिकार लाइसेंस प्रदान किया गया है, जिसके तहत यह बीज कंपनी गेंहू, सरसों व जई की उपरोक्त किस्मों का बीज उत्पादन व विपणन कर सकेगी। सरसों की आरएच 725 किस्म की फलियां अन्य किस्मों की तुलना में लंबी व उनमें दानों की संख्या भी अधिक होती है और तेल की मात्रा भी ज्यादा होती है। गेंहू की डब्ल्यूएच 1270 किस्म को गत वर्ष देश के उत्तर दक्षिण जोन में खेती के लिए अनुमोदित किया गया है। इस किस्म की औसत पैदावार 75.8 क्विंटल प्रति हैक्टेयर जबकि उत्पादन क्षमता 91.5 क्विंटल प्रति हैक्टेयर है। इसमें प्रोटीन की मात्रा 12 प्रतिशत है। जई की ओएस 405 किस्म देश के सेंट्रल जोन के लिए उपयुक्त किस्म है। इसकी हरे चारे की पैदावार 51.3 क्विंटल प्रति हैक्टेयर है, जबकि दानों का उत्पादन 16.7 प्रति हैक्टेयर है।
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