6 जगहों पर बनाए पशु-पक्षियों के लिए पानी के होद
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जरूरतमंदों की पहचान कर करेंगे यथासंभव मदद : जीवन पाल इन्सां
सच कहूँ/राजू, ओढां। कहावत है कि पानी की कीमत वही जान सकता है जो प्यासा हो। भीषण गर्मी में अगर प्यासे को पानी मिल जाए तो आत्मा से दुआएं जरू र निकलती हैं। ओढां में डेरा सच्चा सौदा के सेवादारों (Selfless Service) ने अपने गुरु के वचनों पर चलते हुए बेजुबान पशु-पक्षियों के लिए पानी का प्रबंध करने का बीड़ा उठाया है। उन्होंने धन-धन सतगुरु तेरा ही आसरा के इलाही नारे के साथ इस पुनित कार्य की शुरुआत की।
ओढां की साध-संगत ने पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां के पावन वचनों पर चलते हुए मानवता भलाई कार्यों (Selfless Service) बारे बैठक की। बैठक में पशु-पक्षियों के लिए पानी का प्रबंध करने के उद्देय से 6 सार्वजनिक जगहों का चयन किया गया। रविवार का पूरा दिन सेवादारों ने इसी कार्य में लगाया। सेवादारों ने गांव में कालांवाली टी-प्वाइंट, बाहरी फिरनियों व पुरानी अनाज मंडी में 6 सिमेंटेड होद का निर्माण किया।
भीषण गर्मी में नि:स्वार्थ सेवा देख लोग बोले : बेमिसाल
तन पर शाह सतनाम जी ग्रीन-एस वेल्फेयर फोर्स विंग की वर्दी डालकर भीषण गर्मी की परवाह किए बगैर नि:स्वार्थ सेवा कर रहे सेवादारों को देखकर काफी लोग मौके पर एकत्रित हो गए। जब उन्हें इस कार्य का पता चला तो हर किसी ने इसे बेमिसाल बताते हुए कहा कि सेवा हो तो ऐसी। साध-संगत में सेवा के प्रति एक अलग ही जज्बा देखने को मिला। उन्होंने बिना रुके और बिना थके सेवा कार्य जारी रखा।
भंगीदास सेवादार जीवनपाल इन्सां ने बताया कि पूज्य गुरु जी द्वारा चलाए गए 139 मानवता भलाई कार्यों में ओढां की साध-संगत बढ़-चढ़कर भाग ले रही है। इसी कार्य में शामिल पक्षियोंद्धार मुहिम के तहत गांव में पानी का प्रबंध किया गया है। उन्होंने बताया कि कुछ दिन पूर्व भी गांव में पक्षियों के लिए घोंसले व सकोरे लगाए गए थे।
बीमार लोगों के बने मददगार
ओढां की साध-संगत अपने गुरु के पावन वचनों पर बखूबी अमल कर रही है। साध-संगत कुछ दिन पहले 2 बीमार लोगों की मददगार बनी थी। दोनों लोगों के इलाज पर करीब 1 लाख रुपये का खर्च आया। भंगीदास जीवनपाल इन्सां के मुताबिक साध-संगत द्वारा गांव में ऐसे लोगों की पहचान भी की जा रही है जो मदद के योग्य हैं। जिनमें से कुछ की पहचान कर भी ली गई है। उनकी मदद के लिए नामचर्चा में रूपरेखा बनाई जाएगी।
‘‘भीषण गर्मी में लोग घर से बाहर निकलना भी दुश्वार समझते हैं। ऐसे में ये सेवादार गांव में पशु-पक्षियों के लिए पानी का प्रबंंध कर रहे हैं, जोकि काफी सराहनीय है। मैं ऐसे समाजसेवकों को सलाम करता हूं। मैं भी इस कार्य में योगदान डालूंगा। मेरे घर के सामने जो पानी का होद बनाया गया है मैं उसमें हर रोज पानी की पूर्ति की सेवा करुंगा। डेरा सच्चा सौदा के सेवादार सच्चे समाजसेवक हैं।
रोहताश गोदारा, अध्यापक (ओढां)।
‘‘मैं जब दोपहर को बाहर निकला तो देखा कि इतनी गर्मी व लू में डेरा सच्चा सौदा के सेवादार सेवा में लगे हुए थे। ये देखकर मुझे बहुत अच्छा लगा कि समाज में ऐसे समाजसेवक भी हैं जो ऐसे नेक कार्य करते हैं। अनाज मंडी में बेसहारा पशुओं के लिए पानी का प्रबंध करना अति उत्तम कार्य है। यहां पशुओं का ठहराव रहता है। मैं भी इस कार्य में सहयोग करते हुए होद में पानी का प्रबंध जरूर करुंगा। मैंने सेवादारों की नि:स्वार्थ सेवा को अनेकों बार देखा है। ये जो सेवा करते हैं वो तन्मयता के साथ करते हैं।
रमेश कांसल, अध्यापक (ओढां)।
‘‘डेरा अनुयायी जिस सेवा कार्य में लग जाते हैं वो पूरी लगन के साथ करते हैं। मैं इनके सेवा के जज्बे से अच्छी तरह से रू-ब-रू हूं। चाहे जरूरतमंदों को राशन देने की बात हो या पशु-पक्षियों के लिए पानी के प्रबंंध की या फिर अन्य कोई लोक भलाई कार्य की। मैं इनके कार्यांे से बेहद प्रभावित हूं। इनके कार्यांे का अनुसरण करते हुए मैंने भी अपने घर की छत पर पक्षियों के लिए पानी का प्रबंध कर रखा है।
डॉ. राजपाल वर्मा, प्रदेशाध्यक्ष (आरएमपी एसोसिएशन)।
‘‘प्यासे के लिए पानी का प्रबंध करना मेरे हिसाब से सबसे बड़ा धर्म है। डेरा सच्चा सौदा के सेवादारों ने आज गांव में कई जगहों पर पशु-पक्षियों के लिए पानी का प्रबंध किया है। ये देखकर मुझे बेहद अच्छा लगा। मैं खुद बीमार पशुओं की देखरेख करता हूं। इस कार्य से आत्मिक संतुष्टि मिलती है। उक्त कार्य में भी डेरा अनुयायी हमारा बढ़-चढ़कर सहयोग करते हैं। ओढां में आज डेरा के सेवादारों ने जो कार्य किए हैं और कर रहे हैं वो अपने आप में एक बड़ा उदाहरण है। अच्छे कार्यांे के लिए सभी को साधुवाद।
गुरदीप सिंह, सदस्य (ह्यूमन एंड एनीमल सेवा क्लब)
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