गुरुग्राम में आवास पर हुआ लेफ्टिनेंट कर्नल धर्मवीर का निधन
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1971 के इसी ऑपरेशन पर बनी है फिल्म बॉर्डर
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हरियाणा के जिला भिवानी के बडेसरा गांव में 10 जुलाई 1910 को जन्में थे लेफ्टिनेंट कर्नल धर्मवीर सिंह
सच कहूँ/संजय मेहरा, गुरुग्राम। हरियाणा के जिला भिवानी के बडेसरा गांव में 10 जुलाई 1990 को जन्में लेफ्टिनेंट कर्नल धर्मवीर सिंह (Colonel Dharamvir Singh) का 4 दिसम्बर 1971 को पाकिस्तानी सेना के साथ अचानक हुए युद्ध में अदम्य साहस सदा स्मरण रहेगा। दिल्ली पर कब्जा करने की नीयत से भारतीय सीमा में घुसने चली पाकिस्तानी सेना को राजस्थान के जेसलमेर स्थित लोंगेवाला पोस्ट पर भारतीय सेना ने ढेर किया था।
मेजर कुलदीप सिंह चांदपुरी के नेतृत्व में और लेफ्टिनेंट कर्नल धर्मवीर की अगुवाई में वर्ष 1971 के इसी युद्ध (ऑपरेशन) पर वर्ष 1997 में बनी थी फिल्म बॉर्डर। लेफ्टिनेंट कर्नल धर्मवीर सिंह का गुरुग्राम स्थित आवास पर निधन हो गया है।
भिवानी जिले के बडेसरा गांव निवासी लेफ्टिनेंट कर्नल धर्मवीर सिंह (Colonel Dharamvir Singh) अपने माता-पिता की इकलौती संतान थे। उनके पिता चौधरी उजाला सिंह भारतीय सेना में सूबेदार पद से रिटायर थे। धर्मवीर सिंह अपनी स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद वर्ष 1932 में मात्र 22 साल की उम्र में भारतीय सेना में शामिल हुए।
लेफ्टिनेंट धर्मवीर सिंह ने 6 बेटे हुए, जिनमें से 5 तो भारतीय सेना में सेवाएं दे रहे हैं और एक बेटा न्यूजीलैंड में रह रहा है। लेफ्टिनेंट कर्नल धर्मवीर सिंह ने 1992 से 1994 तक 23वीं पंजाब बटालियन का नेतृत्व किया था।
25 जवानों के साथ गश्त पर थे कर्नल धर्मवीर
पूर्व में दिए गए एक साक्षात्कार में कर्नल धर्मवीर ने बताया था कि 4 दिसम्बर 1971 की रात को जैसलमेर के लोंगेवाला चेकपोस्ट पर ज्यादा जवानों की तैनाती नहीं थी। सब कुछ सामान्य था। वे अपने कुछ सैनिकों के साथ पेट्रोलिंग कर रहे थे। रात 10 बजे राशन लेकर वे गश्त पर जा रहे थे।
इसी दौरान पाकिस्तान की ओर से कुछ हरकत होनी शुरू हुई। उन्होंने ब्रिगेडियर चांदपुरी को सूचना दी, जिन्होंने कहा कि डरने की कोई जरूरत नहीं है। हिम्मत के साथ मुकाबला करो। कर्नल धर्मवीर तुरंत आगे बढ़े और सामने देखा तो नजारा अलग ही था।
मात्र 90 जवानों के साथ किया था 2000 पाक सैनिकों का मुकाबला
पाकिस्तान की सेना राजस्थान के जैसलमेर स्थित लोंगेवाला चेकपोस्ट पर 2000 सैनिकों और 65 टैंकों के साथ भारत की ओर बढ़ी आ रही थी। भारतीय सेना को ऐसा कुछ आभास ही नहीं था। मात्र 90 सैनिक ही बिग्रेडियर चांदपुरी व कर्नल धर्मवीर के साथ थे। रात को वायुसेना भी मदद नहीं कर सकती थी। इस दौरान भारतीय जवानों ने ही चेकपोस्ट के सामने एंटी टैंक माइंस का जाल बिछा दिया।
चेकपोस्ट के करीब 30 किलोमीटर की दूरी से ही पाकिस्तानी सेना ने फायरिंग शुरू कर दी थी। कर्नल धर्मवीर के नेतृत्व में जवानों ने पूरी रात जांबाजी के साथ पाकिस्तानी सैनिकों और टैंकों को धराशायी कर दिया। कुछ बचा था तो उसे दिन निकलते ही वायुसेना ने ध्वस्त किया। इस युद्ध के प्रमुख महानायक रहे ब्रिगेडियर कुलदीप सिंह चांदपुरी का वर्ष 2018 में निधन हो चुका है। वे महावीर चक्र से सम्मानित थे। अब कर्नल धर्मवीर का निधन हो गया है।
महावीर चक्र समेत कई सम्मान मिले
लेफ्टिनेंट कर्नल धर्मवीर सिंह को पराक्रम पदक, सामान्य सेवा पदक, सैन्य सेवा पदक, भारतीय स्वतंत्रता पदक, अफ्रीका स्टार, बर्मा स्टार पदक 1939-45, स्टार वार मेडल 1939-1945, रक्षा पदक और सामान्य सेवा पदक से नवाजा जा चुका था। सेवानिवृत्ति के बाद वे कई वर्ष तक जिला सैनिक बोर्ड भिवानी के उपाध्यक्ष भी रहे।
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