13 मार्च 1993 की बात है। उस समय मेरा लड़का मनदीप सिंह करीब चार वर्ष का था। खेल रहे बच्चों में से किसी बच्चे ने मनदीप की दाई आंख में तीर मार दिया, जिससे बच्चे की आंख का डेला दो फाड़ हो गया। बच्चे को उसी समय दिखना बंद हो गया और मारे दर्द के उसका बुरा हाल हो गया। हमने बच्चे को गांव के डॉक्टर के पास दिखाया, उसने आंख में दवाई डालकर कहा कि इसे शहर ले जाओ। उसके बाद हम मनदीप को फाजिल्का शहर ले गए। शहर में एक नेत्र विशेषज्ञ को दिखाया तो उसने आंख की हालत देखकर अपनी असमर्थता जताते हुए कहा कि यह आंख कभी भी ठीक नहीं हो सकती। इसके पत्थर का आन्ना (आंख का अंदरूनी हिस्सा) डलवाना पड़ेगा। इसे किसी बड़े शहर पटियाला या श्री अमृतसर साहिब में दिखा लो!
मुझे अपने प्यारे सतगुरू पूज्य हजूर पिता संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां (Saint Dr. MSG) पर इतना विश्वास था कि डॉक्टर चाहे कुछ भी कहें, परंतु पिताजी मेरे बच्चे की आंख अवश्य ठीक कर देंगे। मैंने प्यारे सतगुरू जी का पवित्र नारा ‘धन-धन सतगुरु तेरा ही आसरा’ लगाया और बच्चे को साथ लेकर श्री अमृतसर साहिब की तरफ चल पड़ा यह सोचकर कि वहां आंखों के बड़े-बड़े डॉक्टर हैं। वह अवश्य मेरे बच्चे की आंख ठीक कर देंगे। वहां पहुंचकर हमने आंखों के तीन विशेषज्ञों से जांच करवाई, लेकिन उन्होंने भी जवाब दे दिया। हालांकि उनमें से एक बड़े डॉक्टर ने कहा कि बड़ा आॅपरेशन करना होगा, लेकिन नजर ठीक होने की कोई गारंटी नहीं है। शायद दस पैसे नजर ठीक हो जाए। लेकिन मेरे मन को तसल्ली नहीं मिली। मैं अपने बच्चे को वहां से डेरा सच्चा सौदा सरसा ले आया।
आश्रम में पूज्य हजूर पिता जी (Saint Dr. MSG) के दर्शन किए और बच्चे को भी दर्शन करवाए। मन के अंदर ही अंदर मैंने अपने प्यारे सतगुरु जी के पावन चरण कमलों में अरदास की कि बच्चे की आंख आप ही ठीक कर सकते हो जी, अन्यथा दुनियादारी के डॉक्टरों की तरफ से तो जवाब ही है। उस रात हम शाह मस्ताना जी धाम में ही रहे। उस रात मुझे सपना आया जैसे पूज्य हजूर पिता जी ने डॉक्टर बनकर शाह मस्ताना जी धाम में बाग की ओर जाने वाले रास्ते पर एक तख्तपोश पर लेटाकर मेरे बच्चे की आंख का ऑपरेशन कर दिया हो। अगली सुबह जब मैं उठा तो मुझे यकीन हो गया कि पूज्य गुरु जी ने मेरे बच्चे का कर्म स्वयं उठा लिया है। अब बच्चा जल्दी ही ठीक हो जाएगा। मैं अपने बेटे की आंख का आॅपरेशन करवाने के लिए फिर से श्री अमृतसर साहिब की तरफ चल पड़ा। प्यारे सतगुरु जी की ऐसी रहमत हुई कि बच्चे को रास्ते में ही उस खराब आंख से दिखाई देने लग गया।
जब हम अस्पताल पहुंचे तो वहां पर हमारा इस तरह से ख्याल रखा गया जैसे कि किसी बड़े मंत्री ने हमारी सिफारिश की हो। मुझे पूरा विश्वास था कि मेरा सतगुरु हर वक्त हमारे साथ है, हमारी मदद कर रहा है। ऑपरेशन के वक्त भी मुझे पूज्य हजूर पिता जी के डॉक्टर के रूप में दर्शन हुए। उधर बच्चे की आंख का ऑपरेशन सफल रहा, आंख बिलकुल ठीक हो गई। ऑपरेशन के चार दिन बाद मेरी पत्नी सुबह तीन बजे उठकर सुमिरन में बैठ गई। उसने मन के प्रभाव के चलते सुमिरन दौरान पूजनीय परम पिता शाह सतनाम जी महाराज को उलाहना दिया कि पिता जी, आप जी ने मुझे मेरे बच्चे की आंख खराब करके सजा दी है। हमें जगह-जगह ठोकरें खानी पड़ी है। पिता जी, कितना अच्छा होता कि आप जी बच्चे की आंख घर पर ही ठीक कर देते। जो दस हजार रुपये मैंने बच्चे की आंख के ऑपरेशन पर लगाए हैं, वहीं दीन-दु:खियों की मदद में लगाती। मन की इसी उधेड़बुन में डूबी मेरी पत्नी को उसी समय पूजनीय परम पिता शाह सतनाम जी महाराज ने प्रत्यक्ष रूप में दर्शन दिए और सिर पर अपने पावन कर-कमल रखते हुए वचन फरमाया, ‘‘बेटा, तुम्हारा जानी नुक्सान होना था जो मालिक ने आंख पर डालकर काट दिया। फिर तूंने बहुत रोना था जो हमसे बर्दाश्त नहीं होना था।’’
पूज्य हजूर पिता जी, (Saint Dr. MSG) हम तो गलतियों के पुतले हैं। हमें माफ कर देना। इसी तरह अपनी दया, मेहर, रहमत बनाए रखना जी, हम जन्मों-जन्मों तक भी आप जी द्वारा किए उपकारों का बदला नहीं चुका सकते ।
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