भिवानी (सच कहूँ न्यूज)। आर्थिक व अन्य कारणों से हरियाणा के परंपरागत ग्वार उत्पादक क्षेत्रों के किसानों का रूझान बीटी कपास की तरफ बढ़ा है। भिवानी जिले में भी पिछले कुछ वर्षों से कपास की बिजाई का क्षेत्रफल काफी बढ़ गया है। यद्यपि अधिकांश क्षेत्रों में भूमि (Health of the Land) रेतीली है तथा उपजाऊ शक्ति भी कम है। इसमें किसानों को तात्कालिक लाभ तो मिल रहा है, परन्तु पोषक तत्वों का अत्याधिक दोहन हो रहा है।
परिणामस्वरूप अनेक खेतों में सितंबर में खड़ी फसल अचानक सूख जाती है, जिससे किसानों को भारी नुकसान भी उठाना पड़ रहा है। ऐसी स्थिति में फसल उत्पादन की निरंतरता बनाए रखने के लिए फसल चक्र में ग्वार, ढेंचा व अन्य दलहनी फसलों का समावेश करना होगा। किसानों का अनुभव बताता है कि ग्वार की फसल कटाई के बाद जो भी फसल बोई जाती है, वह अधिक पैदावार देती है।
उक्त विचार चौ. चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार से सेवानिवृत्त कीट विज्ञान विभाग के पूर्व अध्यक्ष डॉ. आर.के. सैनी ने व्यक्त किए। वे खंड कैरू के गांव भानगढ़ में कृषि एवं किसान कल्याण विभाग तथा हिंदुस्तान गम एंड कैमिकल्ज भिवानी द्वारा आयोजित ग्वार जागरूकता शिविर में किसानों को संबोधित कर रहे थे। शिविर में सेवानिवृत्त उपमंडल कृषि अधिकारी डॉ. रामेश्वर यादव ने किसानों को भूमि (Health of the Land) में जीवांश की मात्रा को बढ़ाने पर बल दिया। उन्होंने किसानों को जल संरक्षण तथा इसके उचित उपयोग के बारे में भी किसानों को प्रेरित किया।
इस अवसर पर खंड कृषि अधिकारी डॉ. श्रीभगवान ने नरमा कपास का उत्पादन बढ़ाने के आवश्यक सुझाव दिए तथा आगामी फसल पर गुलाबी सुंडी के संभावित प्रकोप के प्रति भी सचेत किया। इस आयोजन में महेंद्र सिंह, शेर सिंह, नरेश कुमार, धर्म सिंंह, सुरेंद्र सिंह, सत्यपाल सिंह, कैप्टन राजबीर सिंह, सुरेश, धर्मपाल, संजय, विक्रम सिंह, आनंद, जितेंद्र सिंह सहित लगभग 50 किसानों ने शिरकत की।
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