श्री बन्ता सिंह गांव श्री जलालआणा साहिब ने बताया कि पूजनीय बेपरवाह साईं शाह मस्ताना जी महाराज (Pujya Sai ji) के हुक्म द्वारा जब पूजनीय परम पिता शाह सतनाम जी महाराज डेरा सच्चा सौदा सरसा में आकर रहने लगे तो पीछे से पूजनीय बड़ी माता जी ने एक दिन मुझे बुलाकर कहा, ‘‘बन्ता सिंह! अपने खेत मजदूर (सीरी) से कुछ रूपये लेने हैं।
तू जाकर उससे पता कर कि उसने जो संत जी (पूजनीय परम पिता शाह सतनाम जी महाराज) को कुछ हिसाब-किताब देना है, वह दे दे।’’ जब मैंने पूजनीय माता जी के कहने पर उस नौकर से जाकर कहा कि भाई! तू पूजनीय परम पिता जी के घर का हिसाब-किताब चुकता कर दे, मुझे पूजनीय माता जी ने तेरे पास भेजा है।
इस पर उसने जवाब दिया कि उसने तो पूजनीय परम पिता शाह सतनाम जी महाराज का हिसाब-किताब चुकता कर दिया। उस पर एक पाई भी बकाया नहीं है। उस समय उस सीरी के मन ने यह विचार दिया कि सतनाम सिंह जी तो सरसा चले गए हैं। अब पीछे पूजनीय माता जी को मेरे हिसाब का क्या पता? इसलिए रूपये देने से मुकर जाओ।
वह मेरा क्या बिगाड़ लेंगे? मैंने घर वापिस जाकर पूजनीय माता जी को बताया कि माता जी! उसने तो यह जवाब दिया है। उससे लगभग दो साल बाद सन् 1962 में वही मजदूर एक दिन मेरे पास आया और कहने लगा-बन्ता सिंह! आप मेरे साथ पूजनीय परम पिता शाह सतनाम जी महाराज के पास डेरा सच्चा सौदा सरसा में चलो।
मैंने उससे पूछा कि क्या काम है? उसने मुझे बताया कि मैं तेरे सामने पूजनीय परम पिता शाह सतनाम जी महाराज का हिसाब-किताब मुकर गया था परंतु आज रात को पूजनीय बेपरवाह शाह मस्ताना जी महाराज (Pujya Sai ji) स्वयं उसके पास आए और शहनशाह जी ने सख्ती से कहा कि तूने जो रूपये देने हैं वह हराम के नहीं है। दो साल हो गए हैं तूने पैसे वापिस देने की कोई बात नहीं की और हिदायत दी कि जरूर रूपये वापिस कर देना। मैंने उसे कहा कि हम कल दरबार चलेंगे।
वह कहने लगा तुम तो कल की बात करते हो लेकिन मुझे अभी भी डर लग रहा है कि यदि आज रूपये न दिये तो पूजनलीय बेपरवाह शाह मस्ताना जी महाराज मेरा पता नहीं क्या हाल करेंगे। इसलिए तुम आज ही मेरे साथ चलो। वह नौकर और मैं दोनों उसी दिन ही डेरा सच्चा सौदा सरसा में पहुंच गए। दरबार में आकर हम पूजनीय परम पिता शाह सतनाम जी महाराज से मिले।
शहनशाह जी ने फरमाया, ‘‘सुना भाई! कैसे दर्शन दिए हैं?’’ इस पर उस नौकर ने बताया कि सच्चे पातशाह जी! मैंने आप जी के पांच सौ रूपये देने हैं व देने आया हूं। इस पर पूजनीय परम पिता जी ने फरमाया, ‘‘भाई! हमने तो तेरे से रूपये मांगें नहीं।’’ उस नौकर ने जवाब दिया कि शहनशाह बेपरवाह शाह मस्ताना जी ने उसे अंदर से ख्याल देकर यहां भेजा है। उन्हीं के भय से वह बन्ता सिंह को साथ लेकर रूपये देने आया है।
यह बात बताकर उसने पांच सौ रूपये निकाले और पूजनीय परम पिता जी ने उन रूपयों में से सौ रूपये उसको वापिस दे दिये और फरमाया, ‘‘तू गरीब आदमी है यह पैसे घर के काम में खर्च कर लेना।’’ लेकिन वह नौकर रात वाली घटना से इतना डरा हुआ था कि वह सौ रूपये वापिस नहीं ले रहा था।
उसने पूजनीय परम पिता शाह सतनाम जी महाराज के पास प्रार्थना की कि शहनशाह जी की बेपरवाह जी से मुझे बहुत डर लगता है। इस पर पूजनीय परम पिता जी ने फरमाया, ‘‘भाई! तू अब न डर। हम बेपरवाह शाह मस्ताना जी महाराज से तुझे माफी दिला देंगे। हम उन्हीं की रजा से तुम्हें यह सौ रूपये वापिस कर रहे हैं। अब बेपरवाह शाह मस्ताना जी महाराज तुझे कुछ नहीं कहेंगे।’’
यह वचन सुनकर उसने वे सौ रूपये वापिस ले लिए। पूजनीय परम पिता जी ने उसी समय मुझे हुक्म दिया, ‘‘बन्ता सिंह! यह चार सौ रूपये ले जाकर जिम्मेवार भाई के पास जमा करवा दे, डेरे की सेवा में काम आएंगे।’’ मैंने पूजनीय परम पिता जी हुक्म द्वारा वे रूपये जिम्मेवार भाई के पास जाकर करवा दिए। इस प्रकार पूजनीय बेपरवाह शाह मस्ताना जी महाराज ने अपने शाही परिवार से ठग्गी मारने वाले उस व्यक्ति को अहसास करवाया।
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