संगरुर(गुरप्रीत सिंह/नरेश कुमार)। आजकल गर्मी का तेज प्रकोप चल रहा है। बच्चे, अधेड़ उम्र के व्यक्तियों को गर्मी के कारण मौसमी बीमारियों ने अपनी जकड़ में लेना शुरू कर दिया है। खासकर छोटे बच्चों को आजकल डायरिया (उल्टी-दस्त) की बीमारी बहुत ज्यादा हो रही है। छोटी उम्र के लगभग 70 प्रतिशत से ज्यादा बच्चे डायरियां से पीड़ित हैं। डायरिया क्या होता है? इसके क्या लक्षण हैं और इसका इलाज कैसे होता है, आदि सवालों के बारे में संगरुर के प्रसिद्ध डॉक्टर अमित सिंगला एमडी (पीडियाट्रिक) के साथ विशेष तौर पर बातचीत की गई।
सवाल : डॉक्टर साहब यह डायरिया क्या है? यह छोटे बच्चों के लिए कितना खतरनाक है?
जवाब : डायरिया आमतौर पर उल्टी-दस्त की बीमारी है जो खासकर गर्मी के मौसम में खासकर छोटे बच्चों को अपनी पकड़ में लेती है। डायरिया होने की सबसे गंभीर स्थिति यह है कि इसके साथ बच्चे का शरीर अंदरुनी पानी कम हो जाता है और वह गंभीर अवस्था में चला जाता है, यह एक गंभीर बीमारी है, घरेलू नुस्खे अपनाने की जगह इसे जल्द डॉक्टर के पास जाकर इलाज करवाना चाहिए।
सवाल : यह पता कैसे लगता है कि बच्चे को डायरिया हो चुका है?
जवाब : बिल्कुल, डायरिया ज्यादातर 2 से 6 साल के बच्चे को अधिक प्रभावित करता है। इस उम्र के बच्चे को डायरिया होने उपरांत सबसे पहले उल्टियां लगेगी। उसके बाद उसका मुँह सूखने लगेगा और बच्चा बार-बार पानी मांगेगा और इसके बाद बच्चे को दस्त शुरु हो जाएंगे और लगातार उल्टी-दस्त के कारण बच्चा सुस्त हो जाएगा। कई बच्चे बेहोश भी हो
जाते हैं। यदि इस तरह के लक्षण लगते हैं तो तुरंत बच्चे को नजदीक के अस्पताल लेकर जाना चाहिए।
सवाल : यदि रात के समय बच्चे को उल्टी-दस्त लगे तो पहला उपचार कैसे करना चाहिए?
जवाब : बहुत बढ़िया सवाल किया, यदि रात के समय में ऐसी स्थिति आ जाए कि उसे अस्पताल ले जाना काफी कठिन हो तो बच्चे को जीवन रक्षक घोल (ओआरएस का घोल) देना आरंभ करना चाहिए। इसके साथ उसका पानी नहीं घटेगा। मैं छोटे बच्चों के माँ-बाप को यह भी कहना चाहूँगा कि वह गर्मियाँ के इस मौसम में अपनी अपने घर पर ओआरएस के घोल के कुछ पेकेट जरुर रखें, इनकी कभी भी जरुरत पड़ सकती है।
सवाल : डायरिया होने के कारण क्या हैं?
जवाब : आज के मशीनीकरण के युग में हम डिब्बा बंद खाने और बाहर वालों चीजें पर ज्यादा निर्भर हो गए हैं। छोटे बच्चों को माताएं अपना दूध पिलाने की जगह बोतल के द्वारा दूध पिलाती हैं। यही कारण ये रोग गंभीर हो जाता है। इसका कारण बच्चों के माँ-बाप की लापरवाही भी है। गर्मियाँ के मौसम में बच्चों को बाहर वालों चीजें बिल्कुल खानी बंद करवानी चाहिए। घर के बने खाने दही, लस्सी, दलिया, खिचड़ी, दाल-रोटी आदि खाने की बच्चों को आदत डालनी चाहिए। कोल्ड ड्रिंक्स की जगह नींबू पानी या नारियल पानी ही देना चाहिए।
सवाल : स्कूल पढ़ते छोटे बच्चों के लिए कैसे बचत करनी चाहिए?
जवाब : यह बहुत महत्वपूर्ण है, हमें छोटे बच्चे नर्सरी, केजी और एलकेजी में पढ़ने वाले बच्चों की सेहत का खास ख्याल रखना चाहिए। कई बार देखने में आया है कि बच्चे को सुबह समय उल्टी आने के बाद माता-पिता कोई घरेलू दवा देकर स्कूल भेज देते हैं। इस तरह हरगिज नहीं करना चाहिए क्योंकि स्कूल में जाकर बच्चा और बीमार हो सकता है। इसके अलावा स्कूल वालों को भी चाहिए कि इस गर्मी के प्रकोप को देखते हुए छोटे बच्चों को छुट्टियाँ कर दीं जाए।
सवाल : इसका इलाज क्या है?
जवाब : जिस तरह हमने पहले बताया कि डायरिया एक मौसमी बीमारी है। इन दो महीनों में बच्चों को बाहर नहीं जाएँ देना चाहिए। क्योंकि छोटे बच्चों की इम्यूनिटी कम होने के कारण कोई भी वायरस की लपेट में आने का खतरा कई गुणा बढ़ जाता है। उल्टी-दस्त लगने पर बॉल रोग विशेषज्ञ डॉक्टर से इसकी जांच करवाई जाए। इसके अलावा बीसवीं सदी की सबसे बड़ी खोज ओआरएस घोल इन दो-तीन महीनों में सभी घरों में मौजूद होना बहुत जरुरी है। छोटे बच्चों को हाथों को साबुन या सैनेटाईजर के साथ साफ रखने की आदत डालनी चाहिए। नाखुन वगैरा काटकर रखने चाहिए। प्रदूषित इलाकों में बच्चों को नहीं जाने देना चाहिए। बच्चों को घर का खाना खाने की आदत डालनी चाहिए। सावधानी में ही इसका बचाव है।
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