पानीपत। मुश्किल तो होता है परंतु सुकून भरा जरूर होता है, जब मां का कर्तव्य सिर्फ अपने दो छोटे बच्चों के लिए नहीं बल्कि अपने सैकड़ों बच्चों के लिए निभाने की जिम्मेदारी होती है। घर में अपने बच्चों की दैनिक दिनचर्या ,स्कूल, शिक्षा, सभी चीजों की भागदौड़ को निभाते हुए अपने उन बच्चों के लिए सुबह-सुबह निकल जाना जो कहीं ना कहीं आस देख रहे होते हैं। कोई मासूम अपने घर से बिछड़ कर घर की तलाश में भटक रहा होता है तो किसी के घर खाने का इंतजाम नहीं होता ,तो कोई इलाज के बिना इंतजार कर रहा होता है तो किसी का स्कूल में दाखिला नहीं हो रहा होता है। जब मासूम बच्ची रोते बिलखते अपने साथ हुए शोषण के बारे में बताती है तो आत्मा रो उठती है और फिर मां मन में संकल्प लेती है बच्ची को न्याय दिलाने की। पढ़ने की इच्छा रखने वाला मासूम बच्चा किसी ना किसी मजबूरी में काम कर रहा होता है बच्चे को शिक्षा की दुनिया से जोड़ना मां का सपना होता है।
जब कोई मासूम अपने साथ हुए अन्याय और अत्याचार के बारे में रो रो कर गले लग कर बताता है तब तब मां और दृढ़ संकल्प हो जाती है इन बच्चों को मुस्कान दिलाने के लिए। स्पेशल चाइल्ड को देखकर उसकी उंगली थाम कर उसे और मजबूत बनाने की कोशिश करती है एक मां। सुबह से लेकर रात तक मोबाइल फोन एक हेल्पलाइन नंबर की तरह काम करते रहता है। कई बार विपरीत हालात और कठिन परिस्थितियों के बीच से निकलना पड़ता है परंतु बच्चों की मुस्कान बहुत बड़ी हिम्मत होती है। किचन में अपने बच्चों को खाना देते हुए भी और उन्हें होमवर्क करवाते हुए भी अपने उन सभी बच्चों का ख्याल रखना सुकून भरा है।
पर यह सफर बहुत लंबा है क्योंकि बचपन असुरक्षित है इसलिए एक मां चिंतित है! आप सब का प्यार और आशीर्वाद बना रहे इस मां पर। इन सभी बातों के बीच एक चेहरा याद आता है अपनी मां का जो लाख परेशानी में भी कभी हिम्मत नहीं हारती है। शायद यह सब मां शब्द की ताकत है।
मातृ दिवस की सभी को शुभकामनाएं!
एक मां की दिल की कलम से….
उन सभी मांओं को समर्पित जिनका पूरा जीवन सभी बच्चों के लिए समर्पित है।
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