भिवानी (सच कहूँ न्यूज)। गाय आधारित केंचुआ पद्धति की टिकाऊ खेती से ना केवल फसल उत्पादन बढ़ेगा, बल्कि पानी की भी बचत होगी, इससे एक तरफ जहां पानी की बचत करते हुए खेती की उत्पादन क्षमता को बढ़ाया जा सकेगा तो वहीं बेरोजगार युवकों को रोजगार देने की दिशा में भी यह कदम महत्वपूर्ण साबित होगा।
गाय के गोबर, मूत्र एवं केंचुआ खाद पद्धति के 16 तत्वों से फसल को मिलते हैं पूरे तत्व
इसी उद्देश्य को लेकर बेरोजगार कामगार किसान सेना (बेकाकिसे) द्वारा 8 मई से गाँव पटौदी से टिकाऊ खेती-किसान जागृति केन्द्र की स्थापना की जाएगी। यह बात स्थानीय लघु सचिवालय परिसर में बुधवार को जागरूकता अभियान के तहत गाय आधारित केंचुआ पद्धति की टिकाऊ खेती बारे लोगों को जानकारी देते हुए बेकाकिसे के अध्यक्ष टीम कैप्टन होशियार सिंह सांगवान ने कही। उन्होंने कहा कि रासायनिक कंपनियों ने भ्रम फैला रखा कि टिकाऊ खेती से उत्पादन कम हो जाएगा, जबकि यह सरासर गलत है, क्योंकि इस समय रासायनिक खेती में किसान अपने खेतों में केवल डीएपी, यूरिया व पोटाश ही डालते हैं, जबकि फसल को 16 तत्व चाहिए। इस मौके पर संयोजक किसान नेता एवं गौभक्त महेंद्र सिंह गोदारा ने कहा कि गाय के गोबर, मूत्र एवं केंचुआ खाद में 16 तत्व पाए जाते हैं। इस पद्धति से होने वाली खेती में फसल को पूरे तत्व मिलते हैं, इसलिए इस खेती से उत्पादन बढ़ता है।
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