जिस तरह से हमने कोरोनावायरस महामारी और उससे उत्पन्न कठिनाइयों का सामना किया है, उसे देखते हुए हमें अधिक सावधान और सतर्क होना है। दूसरी बात, कोरोनावायरस महामारी अभी दुनिया से गई नहीं है। अभी चीन और ताइवान समेत कुछ देशों में संक्रमण फिर तेजी से फैल रहा है और कहीं-कहीं हालात बेकाबू होते दिख रहे हैं। अमेरिका और यूरोप के कुछ देशों में भी संक्रमण के मामले लगातार सामने आ रहे हैं।वायरस का नया वैरिएंट भी आ रहा है, जो अधिक चिंताजनक है। महामारी के साथ-साथ अन्य बीमारियों को भी लेकर सतर्क होना है। हमें तीन-चार बातों का विशेष रूप से ध्यान रखना है। पहला, हाइब्रिड वर्क को बढ़ावा देने की जरूरत है, यानी आॅफिस और घर दोनों जगहों से काम करने की व्यवस्था बनानी होगी।
कामकाज के घंटों में सहूलियत रहे, इसकी व्यवस्था आवश्यक है। घर और आॅफिस दोनों ही जगहों से काम करते हुए शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य की बेहतरी का भी ख्याल रखना है। अगर हम दूरदराज के इलाके में हैं, तो वहां से आॅफिस को नियंत्रित करना और अपने काम को कैसे प्रबंधित करना है, इस पर ध्यान देना होगा। वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए हाइब्रिड वर्कप्लेस कल्चर विकसित करना होगा। दूसरा, टेलीहेल्थ को व्यापक स्तर पर प्रभावी ढंग से लागू करना है। आवाजाही और भीड़भाड़ को कम करने की जरूरत है। भविष्य के अस्पताल या स्वास्थ्य देखभाल केंद्र नयी प्रकार की तकनीकों पर आधारित होंगे। आज के जमाने में जीवनशैली में बदलाव आना लाजिमी है, इससे नयी बीमारियां भी आयेंगी और उसके उपचार के नये तरीके भी आयेंगे। भारत में डॉक्टरों की उपलब्धता की स्थिति वियतनाम और अल्जीरिया जैसे देशों से भी बदतर है। हमारे देश में इस समय लगभग 7.5 लाख सक्रिय डॉक्टर हैं।
डॉक्टरों की कमी के कारण गरीब लोगों को स्वास्थ्य सुविधाएं मिलने में देरी होती है। यह स्थिति अंतत: पूरे देश के स्वास्थ्य को प्रभावित करती है। यह कटु सत्य है कि देश में आबादी के हिसाब से स्वास्थ्य सेवाएं दयनीय स्थिति में हैं। भारत में स्वास्थ्य सेवाओं में जीडीपी का मात्र डेढ़ फीसदी ही खर्च होता है। दुनिया के कई देश स्वास्थ्य सेवाओं की मद में आठ से नौ फीसदी तक खर्च कर रहे हैं। वर्ष 1940 के बाद से संक्रामक रोगों से प्रभावित होने वाले लोगों की संख्या बढ़ी है। अब कई नए रोग हमारे सामने आए हैं और भविष्य में और नए रोग हमारे सामने आ सकते हैं। हमें स्वास्थ्य को लेकर नया दृष्टिकोण अपनाने की जरूरत है और देखभाल तंत्र को मजबूत बनाने की आवश्यकता है।
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