सिरसा। शाह सतनाम जी कॉलेज आॅफ एजुकेशन में बुधवार को ‘टूवर्ड एन इक्विटेबल एंड इंक्लूसिव सोसाइटी रिलाइजिंग द गोल आॅफ एन ई पी 2020’ विषय पर एक दिवसीय नेशनल सेमिनार का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि चौ. देवीलाल विश्वविद्यालय सरसा से चेयरपर्सन डिपार्टमेंट आॅफ एजुकेशन प्रो. डॉ.निवेदिता और स्पेशल गेस्ट प्रो. एसबी आनंद ने शिरकत की। मुख्य वक्ता पंजाबी विश्वविद्यालय पटियाला से रिटायर प्रोफेसर डॉ. कुलविंदर सिंह और गुरु जंभेश्वर विश्वविद्यालय साइंस एंड टेक्नोलॉजी हिसार से डीन आॅफ फैकेल्टी आफ एजुकेशन प्रोफेसर वंदना पुनिया से उपस्थित हुई। सभी अतिथियों का स्वागत एवं सम्मान डेरा सच्चा सौदा के सीनियर वाइस चेयरपर्सन चरणजीत सिंह, मैनेजमेंट कमेटी, कॉलेज प्रशासिका और प्राचार्या के द्वारा किया गया। कार्यक्रम की शुरूआत मुख्य अतिथि, मुख्य वक्ता, मैनेजमेंट कमेटी, प्रशासिका और प्राचार्या के द्वारा माँ सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्वलित और वंदना के साथ विधिवत शुरूआत की गई। इस नेशनल सेमिनार के संरक्षक डॉ. चरणप्रीत कौर ढिल्लों, संयोजक एवं प्राचार्या डॉ.रजनी बाला और कोआॅर्डिनेटर डॉ. रणजीत सिंह व डॉ. प्रेम कुमार वर्मा रहे। मंच संचालन सहायक प्रोफेसर डॉ. रणजीत सिंह व डॉ. प्रेम कुमार वर्मा द्वारा बखूबी किया गया। नेशनल सेमिनार में विभिन्न कॉलेजों और विश्वविद्यालयों से प्राचार्यो, प्राध्यापकों, शोध छात्रों और विद्यार्थियों ने भाग लिया। बेस्ट पेपर प्रेजेंटेशन टीचर अवार्ड एमएम कॉलेज आॅफ एजुकेशन फतेहाबाद से डॉ. कविता बत्रा को व बेस्ट पेपर प्रेजेंटेशन स्टूडेंट्स अवार्ड शाह सतनाम जी कॉलेज आॅफ एजुकेशन के बीएड प्रथम वर्ष की आरुषि व शाह सतनाम जी गर्ल्स कॉलेज की सायना को सांत्वना अवार्ड दिया गया।
मुख्य अतिथि प्रोफेसर डॉ. निवेदिता ने एन ई.पी पर अपने विचार रखते हुए कहा कि स्कूली शिक्षा की सभी स्तरों पर सार्वभौमिक पहुंच निश्चित करना जरूरी है। नई पाठ्य चर्चा और शैक्षणिक संरचना के साथ प्रारंभिक बचपन की देखभाल और शिक्षा की व्यवस्था करना। हमारी स्कूल पाठ्यक्रम में सुधार करना और उसको लागू करने की भी आवश्यकता है। सामाजिक न्याय और समानता प्राप्त करने के लिए शिक्षा सबसे बड़ा साधन है। समावेशी मतलब समान शिक्षा वास्तव में अपने आप में एक आवश्यक कड़ी है। समान शिक्षा समाज को आगे बढ़ाने में राष्ट्र के योगदान में अपना महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। डॉ. एस. बी. आनंद ने अपनी कविता के माध्यम से अच्छी शिक्षा का महत्व को समझाया। उन्होंने कहा कि समानता महाभारत काल से भी नहीं थी। उस समय में भी असमानता थी। इसलिए समाज में समानता लाने के लिए वंचित वर्ग को शिक्षित करना बहुत जरूरी है। जब तक वंचित वर्ग को ऊंचा नहीं उठाया जाएगा तब तक समाज में समानता नहीं आ सकती। आज के समय में हमें बच्चों में शिक्षा के साथ-साथ संस्कार, मूल्यों व संस्कृति की शिक्षा देना भी बहुत जरूरी है तभी हमारा समाज उन्नति व विकास के मार्ग पर आगे बढ़ेगा।
मुख्य वक्ता प्रोफेसर डॉ. कुलविंदर सिंह ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का मुख्य उद्देश्य गुणवत्तापूर्ण, सस्ती व समावेशी शिक्षा प्रदान करते हुए स्कूल शिक्षा में उत्कृष्टता प्राप्त करना है तथा इस बीच समाज के सामाजिक व शैक्षणिक पक्ष से वंचित रहे समूह के बच्चों पर विशेष बल दिया गया है। एन ई पी 2020 एक जीवंत भारत की नींव रखने का संकल्प लेती है। यह नीति तीन बिलों का संशोधित रूप है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 जिसमें 1992 में संशोधन किया गया था। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को प्रभावशाली ढंग से संपन्न किया गया है। आरटीई 2009 को भी लागू किया गया है। उसका मतलब सभी वर्ग के लिए शिक्षा। शिक्षा लेना सभी का अधिकार है, कोई भी बच्चा शिक्षा से वंचित ना रहे।
दूसरे मुख्य वक्ता डॉ. वंदना पूनियां ने सेमिनार को संबोधित करते हुए कहा कि आज का युग तकनीकी युग है। इसलिए विद्यार्थियों को अपने सलेब्स से संबंधित जानकारी हासिल करना और अपने ज्ञान में वृद्धि करनी चाहिए। सदियों से हम पाठ्यक्रम में बदलाव नहीं कर रहे। क्योंकि हम इसको बोझ समझते हैं। इसलिए पाठ्यक्रम समाज की मांग के अनुसार होना चाहिए और समय-समय पर जरूरत के हिसाब से बदलाव जरूरी है। एनईपी 2020 का मुख्य उद्देश्य उच्च गुणवत्ता वाली समान और समावेशी शिक्षा प्रदान करना है। शिक्षा सभी के लिए व दिशा निर्देश प्रदान करती है। ताकि सभी बच्चे उन्नत तकनीक की शिक्षा ले सके। शिक्षा का मतलब मानवीय क्षमता को विकसित करने से है।
बुद्धिजीवी वर्ग व शोध छात्रों ने प्रस्तुत किये पेपर
तकनीकी सत्र में अन्य शिक्षण संस्थाओं से आए हुए बुद्धिजीवी वर्ग व शोध छात्रों ने अपने पेपर को प्रस्तुत किया। इस स्तर के चेयरपर्सन डॉ. एस. बी.आनंद रहे। तकनीकी सत्र में प्रो.डॉ.कुलविंदर सिंह, चौ.देविलाल विश्वविद्यालय से डॉ.रणजीत कौर, नेहरू कॉलेज आॅफ एजुकेशन अलिका से प्राचार्य डॉ. कृष्ण कांत रहे। डॉ.कविता बत्रा ने शिक्षण में तकनीक के माध्यम से समता विषय पर अपना वक्तव्य दिया। जिसमें उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति 2020 के अनुसार जब तक शिक्षण शिक्षा कार्यक्रम को सशक्त नहीं बनाया जाएगा तब तक समता की कल्पना नहीं की जा सकती। अंत में कॉलेज प्रशासिका डॉ.चरणप्रीत कौर ने सभी शिक्षण संस्थाओं से आए हुए शिक्षाविदों व विद्यार्थियों का धन्यवाद किया और उन्होंने कहा कि इस प्रकार की सेमिनार हमारे शिक्षा जगत के लिए मील का पत्थर साबित होंगे।
अन्य अपडेट हासिल करने के लिए हमें Facebook और Twitter, Instagram, LinkedIn , YouTube पर फॉलो करें।