नई दिल्ली (सच कहूँ न्यूज)। राजधानी के मैक्स सुपरस्पेशयिलिटी हॉस्पिटल ने एलीफैंटियासिस (हाथीपांव / लिम्फेडर्मा) के 45 किलोग्राम के पैर वाले एक रोगी का सुपरफाइन माइक्रोसर्जनी की तकनीक से इलाज करके उसे सामान्य जीवन जीने लायक कर दिया है। बिहार निवासी अमित कुमार के 10 वर्ष पहले बायें पैर में एक दुर्घटना में चोट लगने के बाद एलीफैंटियासिस हो गया था और उनके पैर का वजन बढ़कर 45 किलोग्राम हो गया था और मोटाई 120 सेंटीमीटर हो गयी थी। अमित ने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, दिल्ली सहित कई प्रतिष्ठित अस्पतालों में उपचार कराया लेकिन कहीं से उसे राहत नहीं मिली। अगस्त 2021 में मैक्स अस्पताल के एस्थेटिक रिकांस्ट्रक्टिव एंड प्लास्टिक सर्जरी विभाग के वरिष्ठ निदेशक डॉ मनोज जौहर और उनकी टीम ने अमित का इलाज शुरू किया और करीब आठ महीने में अमित के पैर का वजन घटकर 25 किलोग्राम रह गया है और उसके पैर की मोटाई घटकर 65 सेंटीमीटर हो गया। अब अमित अपने सभी कार्य खुद कर लेता है और सीढ़ियां भी चढ़ लेने में सक्षम हो गया है। डॉ जौहर ने बुधवार को संवाददाताओं को बताया कि सुपरफाइन माइक्रोसर्जरी लिम्फो-वेनस एनास्टोमोसिस, लिम्फेडेमा को ठीक करने की अनूठी तकनीक है। चोट लगने, कैंसर या फाइलेरिया के मरीजों में यह परेशानी आम हो सकती है।
क्या है मामला:
उन्होंने बताया कि चलने-फिरने से मजबूर और मानसिक रूप से बहुत परेशान अमित की अतिविशिष्ट और सुपरफाइन माइक्रोसर्जरी करके उसे अपने सभी कार्य खुद कर लेने लायक बना दिया गया है। इस मौके पर मौजूद अमित ने बताया कि पैर के बढ़ते वजन के कारण उसका जीवन दुश्वार हो गया और कई बड़े अस्पतालों से निराशा मिलने के बाद उसे मैक्स में इलाज कराने के बाद नयी जिंदगी मिली है। वह अब अपने नित्य कार्य खुद कर लेता है और अपनी नौकरी फिर शुरू करने का विचार कर रहा है। डॉ जौहर के पिंसिपल कंसल्टेंट डॉ प्रदीप के सिंह के अनुसार माइक्रोसर्जिकल तकनीकों के आ जाने से और सुपर-माइक्रोसर्जरी का विकास इस तरह के मरीजों के लिए आशा की नयी किरण है।
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