राजनीतिक सुधार ही भावी लोकतंत्र की शक्ति

Lok Sabha Election

देश में कई राजनीतिक पार्टियां बड़े संकट का सामना कर रही हैं। कांग्रेस सहित कई क्षेत्रीय पार्टियों को भी लोक सभा चुनावों सहित विधान सभा चुनावों में हार का सामना करना पड़ रहा है। कांग्रेस में राष्ट्रीय स्तर पर 23-जी की बयानबाजी के कारण वर्गवादम बनी हुई है। इन पार्टियों में हार का मंथन जारी है और नई नीतियां-रणनीतियां तैयार करने की भी तैयारी चल रही हैं। वास्तव में राजनीति में गिरावट या सुधार को देश या संबंधित राज्यों की सामाजिक और सांस्कृतिक परिस्थितियों से अलग करके नहीं देखा जा सकता। किसी भी पार्टी का नेता अपने राज्य, क्षेत्र या समाज के प्रभाव से मुक्त नहीं। पूंजीवादी आर्थिक प्रबंधों ने हमारे सामाजिक ताने-बाने को भी बुरी तरह अपने रंग में रंग लिया है, जिसका प्रभाव नकारात्मक ही रहा है। दूसरे क्षेत्रों की तरह राजनीति भी पैसा कमाने, पहुंच बनाने का जरिया बनकर रह गई।

हालांकि राजनीति का मुख्य उद्देश्य जनता की सेवा करना था किंतु राजनीति के बदलते उद्देश्यों ने लखपतियों को अरबपति बना दिया और जनता की सेवा का विचार बुरी तरह फेल हो गया। सत्तापक्ष सांसद-विधायकों को मिल रहे वेतन/पेंशन और सुविधाओं की बदौलत राजनीति को पांच सालों की नौकरी समझा जाने लगा है। हर हाल में चुनाव जीतने के लिए कई प्रकार के हथकंडे अपनाए जाते हैं, यही कारण है कि अनैतिकता हावी हो गई है। यदि पारंपरिक पार्टियों की बात करें तब इन प्रत्येक का अस्तित्व जनता की सेवा करना ही था। इन पार्टियों के वर्तमान संकट का समाधान भी अपने अतीत को दोबारा जिंदा करने के साथ ही है। शुरूआत और वर्तमान समय को समझने, स्वीकार करने और कमियों को दूर करने के लिए पहल करनी होगी।

जो नेता या पार्टी देश की पारंपरिक राजनीति को समझकर अपना गया उसके रास्ते आसान हो रहे हैं। भारत महान देश है जिसके राजनीतिक मार्गदर्शकों ने ईमानदारी, जनता की सेवा, त्याग और सादगी वाले राजनीतिक कल्चर का निर्माण किया था। देश के चल बसे राजनीतिज्ञों में जवाहर लाल नेहरू, लाल बहादुर शास्त्री, अटल बिहारी वाजपायी, डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम, डॉ. राधा कृष्णन, राम मनोहर लोहिया, महात्मा गांधी जैसे नेताओं की धाक पूरी दुनिया में थी। समाज में आई कुरीतियों का प्रभाव राजनीतिक लोगों पर नहीं पड़ना चाहिए, बल्कि उन्हें समाज में सुधार करने वाली राजनीति करनी चाहिए। ईमानदारी, धार्मिक सम्भाव, समाज में बिना जात-पात, कर्तव्यनिष्ठा का व्यवहार करने जैसे गुणों को धारण कर कोई भी राजनीतिक पार्टी आगे बढ़ सकतीं हैं, जोकि अच्छा व सच्चा लोकतंत्र मजबूत करने के लिए आज की जरूरत है।

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