पंजाब में आम आदमी पार्टी की एकतरफा जीत ने पंजाब ही नहीं पूरे देश में एक नए बदलाव की शुरूआत कर दी है। हालांकि राजनीति में आम आदमी की प्रभावी भूमिका का प्रयोग सबसे पहले दिल्ली में किया गया परन्तु दिल्ली चूंकि संवैधानिक तौर पर पूर्ण राज्य नहीं है। अत: वह बदलाव नहीं दिखा सकी जो वह दिखाना चाह रही थी। पंजाब, जोकि पूर्ण राज्य है यहां पर आम आदमी पार्टी को जो मौका मिला है उससे पूरे देश में पार्टी अपने कामकाज के तरीके को करके दिखाएगी जिसे देखने की इच्छा पूरे देश को है। आम आदमी पार्टी ने पंजाब में परिवारवाद, सामन्ती तौर तरीकों वाली राजनीति करने वाले चेहरों को अब साफ कर दिया है।
देश में भाजपा की चार राज्यों में जीत से भी एक संदेश है कि अभी राष्टÑवाद व धर्म आधारित राजनीति का बोलबाला रहने वाला है लेकिन पंजाब की जीत पर जिस तरह से भगवंत मान एवं अरविंद केजरीवाल ने भगत सिंह व बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर के सपने को देश बनाने की जो तकरीर की है और बाकी देश से अपील की है कि वह भी साथ आएं और पूरे देश के राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक परिदृश्य को बदलने में साथ दें, इससे साफ हो रहा है कि अगले लोकसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी दमदार लड़ाई लड़ने की तैयारी में जुट गई है। कांग्रेस एवं परिवारवादी क्षेत्रीय पार्टियों का दौर अब विदायगी ले रहा है, चूंकि देश में बहुत समय से ये वर्ग गरीब व आम, मध्यम वर्ग को महज वोट के तौर पर ही देखता रहा है और वोट के बाद इन्हीं वर्गों के साथ शासक तरह पेश आता रहा है, सो पंजाब से बदलाव की हवा के झोंके रातोंरात बसंत की हवा की तरह पूरे देश में फैल जाएं तो कोई आश्चर्य नहीं होगा।
आम आदमी पार्टी की राजनीतिक शैली से एक परिदृश्य उभर रहा है जो यह दिखा रहा है कि अमीर व गरीब वर्ग में बहुत बड़ी खाई पैदा हो चुकी है। इस खाई से स्पष्ट हो रहा है कि आमजन अब अपने आपको पीड़ित समझ रहा है। आमजन अपने आप को पीड़ित समझे भी क्यों ना उसकी पीड़ाएं अनगिनत हो रही हैं, नौकरी नहीं, सस्ता ईलाज नहीं, शिक्षा नहीं, सरकारी कार्यालयों में काम करवाने जाते वक्त अपमान हो रहा है, हर जगह भ्रष्टाचार का जिन्न मुंह खोल के बैठा है। तंग आए लोगों के वोट से अब राजनीति नए दौर में प्रवेश कर रही है, यहां लोग किसी के बड़ा होने से प्रभावित नहीं हो रहे, वह ये देखने लगे हैं कि कौन उनके दर्द को समझता है और इस दर्द को दूर करने के लिए वह कितना तत्पर है। आने वाले वक्त में देश में राजनीति में आमूल चूल परिवर्तन देखने को मिलेगा। इसमें कोई शक नहीं।
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