12 घंटे खड़े होकर बिताया समय और 12 किलोमीटर चले पैदल
- 7 दिन तकलीफ झेलने के बाद दिखा घर का दरवाजा
पिहोवा (सच कहूँ/जसविंद्र)। रूस व यूक्रेन के बीच छिड़ी जंग के बीच हालात गंभीर होते जा रहे हैं। ऐसे में वहां पढ़ाई के लिए गए स्टूडेंट के परिजनों की चिंता भी बढ़ती जा रही है। लेकिन जो छात्र वहां से सुरक्षित लौट रहे हैं। उनके परिवार की खुशी का भी कोई ठिकाना नहीं है। ऐसे ही स्थानीय कस्बे से यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई करने गई छात्रा साक्षी सिंगला अपने घर लौटी तो परिवार की खुशी का ठिकाना न रहा। साक्षी ने बताया कि 2017 में वो एमबीबीएस की पढ़ाई करने के लिए यूक्रेन गई थी। लेकिन हाल ही में वहां रूस ने अटैक कर दिया। जिससे वहां पढ़ाई करने गए स्टूडेंट्स में भय का माहौल पैदा हो गया है और अफरा-तफरी मची हुई है।
यूक्रेन से निकलने की कोशिश में 24 फरवरी को साक्षी ने अपने दोस्तों के साथ तैयारी की। लेकिन तभी वहां रूस की ओर से बमबारी शुरू कर दी गई। जिसके चलते वे लोग पांच दिन तक वहीं एक होटल में फंसे रहे। रात को धमाकों की आवाज और सायरन डराने वाला था। वहां रहते हुए जब उन्होंने एंबेसी से संपर्क किया तो एंबेसी ओर से जवाब दिया गया कि जहां पर हो वहीं रहो। बाहर निकलने की कोशिश मत करना। बाहर निकले तो जान से हाथ धो बैठोगे।
एंबेसी का जवाब सुनकर उन्होंने खुद कोशिश शुरू की और एक बस किराए पर लेकर लगभग 50 स्टूडेंट रोमानिया बॉर्डर की ओर निकल पड़े। इस बीच उन्हें पूरा डर सता रहा था। लगभग 25 घंटे बाद वे रोमानिया बॉर्डर के पास पहुंच गए। जहां से लगभग 12 किलोमीटर वे पैदल चले। उस समय एक तरफ बमबारी का डर था तो दूसरी तरफ बर्फ के कारण तापमान काफी डाउन था। लगभग 12 घंटे उन्हें खड़े होकर ही बिताने पड़े। बैठने की कोई व्यवस्था नहीं थी। नीचे बर्फ ही बर्फ थी। इसके बाद उन्होंने अपने प्रयास से बॉर्डर क्रॉस किया। बॉर्डर क्रॉस करने के बाद एंबेसी की तरफ से उनकी पूरी मदद की गई। उन्हें एयरपोर्ट तक बस उपलब्ध करवाई गई। जहां से निशुल्क मुंबई के लिए सभी छात्रों को फ्लाइट में बिठाया गया। इतना ही नहीं मुंबई एयरपोर्ट पर बने हेल्प डेस्क के जरिए उन्हें चंडीगढ़ तक की फ्लाइट भी निशुल्क उपलब्ध कराई गई।
तिरंगा लगे वाहनों के नहीं कोई रोक टोक
बॉर्डर एरिया में सरकार ने छात्रों के खाने का प्रबंध किया हुआ है। साक्षी के मुताबिक खाने पीने की यूक्रेन में बहुत दिक्कत है। सभी दुकानें बंद हैं। बॉर्डर एरिया पर सरकार ने एनजीओ की मदद से खाने-पीने का प्रबंध किया हुआ है। सरकार पूरी मदद कर रही है। सभी यूनिवर्सिटीज और हॉस्टल्स को खाली करवाया जा रहा है। तिरंगा लगे वाहनों को वहां विशेष सुविधा दी जा रही है। जिन वाहनों पर तिरंगा लगा है।
उनमें बैठे यात्रियों के केवल पासपोर्ट चेक करके उन्हें जाने दिया जा रहा है। रूसी सेना भी तिरंगा लगे वाहनों को नहीं रोक रही। भारत सरकार शहरों में फंसे छात्रों को पहले निकालने का प्रयास कर रहे हैं। क्योंकि उन्हें ज्यादा खतरा है। बॉर्डर पर पहुंच चुके छात्रों को वही ठहरने खाने-पीने की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। लेकिन शहरों में बचाव अभियान तेज गति से जारी है।
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