मौत के मुंह से निकल कर बार्डर पर पहुंचे छात्र
भूना (सच कहूँ न्यूज)। यूक्रेन के उड़ीसा नेशनल यूनिवर्सिटी, लवीव मेडिकल यूनिवर्सिटी व ईवानों नेशनल मेडिकल यूनिवर्सिटी तथा ट्रेनोंपीली यूनिवर्सिटी से भारतीय छात्र किसी तरह पोलैंड व रोमानिया बार्डर पर धक्के खाते हुए पहुंचे, मगर वहां भी स्वदेश लौटने का कोई इंतजाम नहीं है। इससे छात्रों में काफी आक्रोश है। कड़ाके की ठंड में ठिठुर रहे छात्र (16 Students Stuck in Ukraine) किसी तरह शहरों से मौत के मुंह से निकल कर बार्डर पर पहुंचे तो अब भारत आने के लिए फ्लाइट नहीं मिल रही है।
छात्र-छात्राएं भूखे सड़कों पर सोने को मजबूर हैं। दहशत के साये में जी रहे हैं। यूक्रेन में जिला फतेहाबाद के भूना शहर के 16 विद्यार्थी पढ़ाई करने गए हैं। इन सभी ने जिला प्रशासन की ओर से जारी टोल फ्री नंबर पर अपना नाम व पते दर्ज कराए हैं। यूक्रेन पर रूसी हमले के बाद भारतीय छात्र-छात्राओं को स्वदेश लौटने के लिए भारत सरकार ने दो दिन पहले एडवाइजरी जारी की थी कि पोलैंड, हंगरी व रोमानिया के बार्डर पर पहुंचें।
जहां से फ्लाइट से उन्हें स्वदेश लाया जाएगा। यूक्रेन के विभिन्न शहरों में मेडिकल की पढ़ाई करने गए भारतीय छात्र शुक्रवार व शनिवार को किसी तरह पोलैंड व रोमानिया बार्डर पर पहुंच तो गए, मगर वहां पर फ्लाइट तो दूर खाने व ठहरने का भी इंतजाम नहीं है। जिसको लेकर विद्यार्थियों के अभिभावक भी गहरे सदमे में है।
यूक्रेन में पढ़ाई करने गए गणेश कॉलोनी भूना निवासी राधव मेहता ने दूरभाष पर बताया कि पोलैंड बार्डर पर पहुंचने के लिए 13 सौ किलोमीटर गाड़ी और 35 किलोमीटर पैदल चलकर पोलैंड बॉर्डर पर 2 दिन पहले पहुंचा था। मगर वहां पर भारतीय लोगों को बॉर्डर पार करने की एंट्री नहीं दी जा रही है। बॉर्डर पर 4 माइनस डिग्री तापमान है। जिसके कारण सर्दी से ठिठुर रहे। वही खाने के प्रबंध होना तो दूर पानी को भी तरस रहे हैं। उन्होंने बताया कि 3 दिन से चॉकलेट खाकर जीवन बचा रहा है। मगर अब वह भी मिलनी बंद हो गई है।
तनु पुत्री सुरेंद्र कुमार ने बताया कि वह रोमानिया बॉर्डर पर एंट्री के लिए कई घंटों से रुकी हुई है। मगर भारतीय लोगों को प्रवेश पर प्रतिबंध है और दूसरे देशों के लोगों को प्राथमिकता दी जा रही है। प्रियाजोत पुत्री गुरप्रीत सिंह पोलैंड बॉर्डर पर स्वदेश लौटने का इंतजार कर रही है। पिछले कई घंटों से वह डेरा डाले हुए है। मगर खाने-पीने व बिजली की कोई व्यवस्था नहीं होने के कारण मोबाइल फोन भी स्विच ऑफ हो चुके हैं, जिससे परिवार के लोग बात नहीं हो पाने के कारण टेंशन में हैं।
साजन पुत्र मांगा राम पोलैंड बॉर्डर पर कड़ाके की ठंड में ठिठुर के बीच अपने वतन आने के लिए आंखें फाड़ कर देख रहा है। रीना पुत्री जगदीश पिछले 24 घंटों से रोमानिया बॉर्डर पर भारत देश लौटने के लिए फ्लाइट का इंतजार कर रही है। काशीष शर्मा पुत्र सुरेंद्र पोलैंड बॉर्डर पर भूख प्यास के बीच देश लौटने के लिए संघर्ष कर रहा है।
दृष्टि पुत्री अनिल नारंग पोलैंड बॉर्डर पर पिछले 72 घंटों (16 Students Stuck in Ukraine) से इंतजार कर रही है। दृष्टि ने कहा कि यहां का हाल बयां नहीं कर सकती। माइनस डिग्री तापमान के बीच खाने के लिए कुछ नहीं है 1 लीटर पानी के सारे पिछले कई घंटों निकाल चुकी है। उन्होंने भारतीय दूतावास से मोबाइल पर संपर्क किया गया तो बार्डर पर पहुंचने की बात कही गई, मगर कोई मदद के लिए नहीं आया।
लोग भूखे सड़कों पर इधर उधर भटक रहे हैं। कड़ाके की ठंड में कई लोग सड़कों पर ही सो रहे हैं। छात्र-छात्राओं ने कहा कि यूक्रेन के शहरों से जान बचाकर किसी तरह बार्डर पर पहुंच गए हैं, अब यहां से वापस शहर नहीं जाएंगे। अब स्वदेश ही लौटा जाएगा। मेडिकल स्टूडेंट के साथ भूना में उनके परिजन बहुत ही परेशान हैं। अपने बच्चों के सुरक्षित स्वदेश लौट आने के लिए दुआ कर रहे हैं।
गांव बैजलपुर निवासी अमित के चाचा सतबीर सिंह ने बताया कि बेटे से दूरभाष पर बात हुई तो उसने बताया कि बस चालक ने छात्रों को बार्डर से करीब 40 किलोमीटर पहले ही उतार दिया था। इसके बाद रात में पैदल चलकर किसी तरह बार्डर पर पहुंचे। यूक्रेन बार्डर पार तो कर लिया गया, मगर पोलैंड बार्डर पर अंदर नहीं आने दिया। ऐसी स्थिति में छात्र यूक्रेन व पोलैंड बार्डर के बीच फंसे हुए हैं। ठहरने व खाने का कोई इंतजाम नहीं है।
घर से छात्र (16 Students Stuck in Ukraine) खाना पकाकर साथ ले गए थे और रात में खा लिया, अब खाने के लिए उनके पास कुछ नहीं बचा है। यहां तक कि पानी की किल्लत है। भूखे ही छात्र बार्डर पर इधर उधर भटक रहे हैं। छात्रों का कहना था कि इससे बेहतर तो कम से कम अपने रूम में सुरक्षित तो थे। यहां तो स्वदेश लौटने के लिए कोई व्यवस्था नहीं की गई है। जबकि भूना वासी मितेंद्र सोनी यूक्रेन की उड़ीसा यूनिवर्सिटी व ढाणी सांचला वासी सुरेश पुत्र बलजीत लिव यूनिवर्सिटी में फंसे हुए हैं।
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