समाज में नशा बढ़ने से युवाओं के लिए आने वाला समय आर्थिक व शारीरिक रूप से होगा नुक्सानदायक
- उम्र कम किए जाने का निर्णय गलत
फतेहाबाद/भूना(सच कहूँ/विनोद शर्मा)। युवा ही नहीं नशों से तो हर इन्सान को दूर रहना चाहिए। मगर सरकार द्वारा नशों को प्रतिदिन बढ़ावा दिया जा रहा है, जो सरासर गलत है। हरियाणा में शराब पीने की उम्र सीमा 25 से 21 वर्ष किए जाने बाद ये बहस तेज हो गई है कि क्या कम उम्र में शराब पीने की छूट देना सही है? और इसका स्वास्थ्य पर क्या असर पड़ेगा? ये कुछ ऐसे सवाल हैं, जिनका जवाब अधिकांश माता-पिता और युवाओं के अभिभावक तलाश कर रहे हैं। शराब पीने की उम्र कम किए जाने का निर्णय शराब से होने वाले नुक्सान के प्रति उदासीनता को दर्शाता है। उपरोक्त कानून पर शहर की महिलाओं ने अलग-अलग प्रतिक्रिया दी है, जिसमें यह बात निकलकर सामने आई है कि शराब पीने की आयु सीमा कम करने से नशा अधिक बढ़ेगा और युवाओं के लिए आने वाला समय आर्थिक व शारीरिक रूप से नुक्सानदायक होगा।
हालांकि, भारत में शराब से जुड़े कानून सभी राज्यों में अलग-अलग हैं। बिहार, गुजरात, नागालैंड, मिजोरम और केंद्र शासित प्रदेश लक्षद्वीप में शराब का सेवन प्रतिबंधित है। जबकि, मणिपुर के कुछ जिलों में शराब पर आंशिक प्रतिबंध है। बाकी अधिकांश सभी राज्य शराब के सेवन की अनुमति देते हैं। वहीं हर राज्य अपने अनुसार यह भी खुद तय करते हैं कि शराब पीने की उम्र क्या होनी चाहिए, यानी शराब सेवन की उम्र सीमा राज्यों द्वारा तय की जाती है। अब युवाओं की शराब पीने की आयु सीमा कम किए जाने पर समाज में इसका बहुत बुरा असर पड़ेगा। देश की जो युवा पीढ़ी है, वो नशों में लिप्त हो जाएगी, इससे देश में चारों ओर नशे का ही बोलबाला हो जाएगा। देश में नशेड़ियों की संख्या बढ़ने से अपराधिक मामले बढ़ जाएगे।
शराब का सेवन हर इन्सान के लिए गलत है। विशेषज्ञों की मानें तो किशोरावस्था में शराब का सेवन स्वास्थ्य और सामाजिक समस्याओं से जुड़ा क बड़ा मुद्दा हो सकता है।
– सीमा गर्ग
सरकार शराब पर रोक लगाने की बजाए शराब पीने की उम्र कम करके उसे बढ़ावा देने का काम कर रही है। जो सरासर गलत है। क्योंकि शराब न तो कोई पौष्टिक आहार है, न ही इससे कोई प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और न ही ये कोई चमकत्कारी दवा है, ये सिर्फ रेवेन्यू बढ़ाने के लिए लोगों की जान से खेलने का माध्यम है। जितनी जल्दी युवा शराब पीने की शुरूआत करते हैं, उतनी जल्दी ही लत लगने की संभावना बढ़ेगी और उतना ही ज्यादा शरीर पर खराब असर पड़ता है। इसलिए युवाओं को आज से ही नशों से तौबा करनी चाहिए।
-नीलम सरदाना
शराब पीने के लिए युवाओं की आयु सीमा कम करने का फैसला सरकार अपने स्वार्थ सिद्ध करने के लिए कर रही है। मगर इसका युवाओं पर काफी गलत प्रभाव पड़ेगा। इसलिए सरकार को अपना यह कानून वापस लेना चाहिए। इससे समाज में युवाओं पर प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से शराब पीने की आयु घटाने का निर्णय आर्थिक एवं शारीरिक रूप से युवाओं को कमजोर करेगा। इसलिए सरकार को ये फैसला वापिस लेना चाहिए।
-एडवोकेट प्रीतिका
पेरेंट्स अपने बच्चों को शराब के होने वाले नुक्सान के बारे में अवेयर करके उन्हें नशों से दूर रख सकते हैं। हर साल शराब की वजह से लाखों लोग मर जाते हैं। एक्सीडेंट, लिवर फेलियर और हार्ट फेलियर का कारण शराब ही है। शराब से लाखों लोगों की जिदंगी बर्बाद हो जाती है, क्योंकि नशे के कारण लोग कोई काम नहीं कर पाते हैं। शराब मानसिक बीमारियों का कारण बनता है।
– एडवोकेट सलोनी
सरकार द्वारा शराब सेवन के लिए आयु सीमा 25 से घटाकर 21 वर्ष किया जाना सरासर गलत कदम है। जिस आयु में युवाओं को ज्ञानात्मक और सकारात्मक दिशा में बढ़ने के लिए कदम उठाया जाना चाहिए था। लेकिन उस आयु के दौरान सरकार ने शराब पीने की आयु सीमा घटाकर युवाओं को सही दिशा से भटकाने का काम किया है। जो समाज व प्रदेश के लिए विनाशकारी है इसलिए सरकार को अपने इस कानून पर पुनर्विचार करना चाहिए।
-मुन्नी रानी
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