मालिक को पाने के लिए सभी बुराइयां छोड़नी होंगी : पूज्य गुरु जी
सरसा (सच कहूँ न्यूज)। पावन महारहमोकरम माह के उपलक्ष्य में शाह सतनाम जी धाम (Shah Satnam ji Dham) में रविवार को नामचर्चा का आयोजन किया गया। नामचर्चा में साध-संगत ने पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां के रिकॉर्डिड पावन वचनों को श्रद्धाभाव से एकाग्रचित होकर श्रवण किया। इस दौरान साध-संगत ने कोरोना के मद्देनजर सेनेटाइजेशन, सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क लगाना सहित सभी नियमों का पूर्णत: पालन किया गया।
रविवार को दोपहर 12 बजे पवित्र नारे ‘धन-धन सतगुरु तेरा ही आसरा’ के साथ नामचर्चा का आगाज हुआ। इसके पश्चात कविराज भाइयों ने ‘तेरे दर्श दा ही है शौंक सानूं’ सहित विभिन्न भक्तिमय भजनों के माध्यम से सतगुरु की महिमा का गुणगान किया। इस अवसर पर बड़ी-बड़ी स्क्रीनों पर पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां के पवित्र वचन चलाए गए, जिसे आई हुई साध-संगत ने पूरी तन्मयता और एकाग्रचित होकर सुना।
इस अवसर पर पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि यह घोर कलियुग का समय है, इसमें हर इन्सान चाहता है कि उसे सुख-शांति, परमानंद, लज्जत मिले, पर इन्सान की सभी चाहतें पूरी नहीं होती। लोगों की इच्छा ये भी होती है कि भगवान का रिमोट कंट्रोल मिल जाए, बैठे-बैठे बटन दबाते रहें, जो चाहें घर में आता रहे। पर ये इच्छा सामान्य तौर पर पूरी हो नहीं सकती। अब सवाल उठता है कि क्या ऐसी इच्छा की जा सकती है? क्या इसे पूरा किया जा सकता है?
जी, हाँ ये भी संभव है, क्योंकि अल्लाह, वाहेगुरू, राम के लिए कुछ भी असंभव नहीं है। उस अल्लाह, वाहेगुरू, राम को अगर पाना है तो उसके नाम का सुमिरन करो। उसकी औलाद से बेगर्ज भावना से प्यार करो, व्यवहार के सच्चे बनो, नशे छोड़ दो, ठग्गी-बेईमानी से नाता तोड़ दो तो वो रिमोट आपके हाथ में दे सकता है।
पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि वो ईश्वर, भगवान, अल्लाह, वाहेगुरु, गॉड, खुदा, रब्ब किसी का मोहताज नहीं है। वो मज़बूर नहीं है। लेकिन बर्तन तो चाहिए जिसमें रहमत रुक सके। अब बहुत सुंदर सोने का बर्तन है, बहुत नक्काशी की हुई है, लेकिन पेंदे से फूटा हुआ है उसमें अमृत डाल दो, पानी डाल दो, घी-दूध डाल दो वो सारा ही बह जाएगा। दूसरी ओर एक मिट्टी का बर्तन है पर वो फूटा हुआ नहीं है, उसमें अमृत डालो, पानी डालो, घी-दूध डालो एक बूंद भी बाहर नहीं जाती।
अब आप ही बताइए दोनों में से आपके कौन सा काम आएगा? हो सकता है सोने वाला काम आ जाए, उसको बेचकर पैसे काम आ जाएं, पर उसमें अमृत की तो एक बूंद नहीं रूकती, जोकि आपको अमर कर सकता है, सोचिएगा जरूर। हमारे ख्याल से मिट्टी वाला बर्तन ही आपके काम का है। उसी तरह उस अल्लाह, वाहेगुरु, राम के लिए ऐसे बर्तन चाहिए, जो उसकी दया, मेहर, रहमत को अपने अंदर समा सकें। (Shah Satnam ji Dham)
पूज्य गुरु जी ने आगे फरमाया कि अब अगर बर्तन पहले ही पानी से भरा हो तो कैसे अमृत आएगा? पहले ही पूरे ठसाठस पत्थर भरे हों, हीरे मोती उसमें कहां आएंगे? पहले काम, क्रोध, मोह, लोभ, मन और माया से ठसाठस भरा हुआ बर्तन है, उसमें हरिरस, अमृत, आबोहयात कहां आएगा? इसलिए पहले बर्तन खाली करना होगा। पहले अपने दिलोदिमाग से काम वासना, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार, मन और माया को निकालना है, हेंकड़ी छोड़नी होगी, अगर अल्लाह, वाहेगुरु, खुदा को मिलना है तो।
उसको पाने के लिए अपने आप को साफ बनाना पड़ता है, फिर कहने की जरूरत नहीं पड़ती, वो राम अपने आप चला आता है। इस अवसर पर पूज्य गुरु जी के आह्वान पर साध-संगत द्वारा कोरोना काल में किए जा रहे मानवता भलाई कार्यों को दर्शाती डॉक्यूमेंट्री भी दिखाई गई। इस अवसर पर दो युगल डेरा सच्चा सौदा की मर्यादानुसार दिलजोड माला पहनाकर विवाह बंधन में बंधे। इसके पश्चात सेवादारों ने साध-संगत को कुछ ही मिनटों में लंगर भोजन खिलाया।
डेरा सच्चा सौदा में नेताओं के आने का सिलसिला जारी
विधानसभा चुनाव के मद्देनजर डेरा सच्चा सौदा में राजनीतिक दलों के नेताओं के आने का सिलसिला लगातार जारी है। रविवार को गुरुहरसहाय विधानसभा क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी गुरपरवेज सिंह संधू डेरा सच्चा सौदा पहुंचे और मैनेजमेंट सदस्यों से मिले। इस दौरान उन्होंने डेरा सच्चा सौदा की साध-संगत द्वारा किए जा रहे 138 मानवता भलाई कार्यों की सराहना की। इससे पूर्व शनिवार शाम को लुधियाना जिले की गिल विधानसभा सीट से भाजपा प्रत्याशी एस.आर. लध्धड़ ने भी डेरा सच्चा सौदा मैनेजमेंट कमेटी से मुलाकात की थी।
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