गुरु गोविंद दोऊ खड़े, काके लागू पाय।
बलिहारी गुरु आपनो, जिन गोविंद दियो बताय।।
सरसा (सच कहूँ/विजय शर्मा)। इस संसार में गुरु को ईश्वर से भी उच्च स्थान दिया गया है। हमारे शास्त्रों और पुराणों में भी ऐसे कई उदाहरण सामने आए हैं, जहां गुरु को ईश्वर से भी महान बताया गया है। भगवान ने खुद जब इस धरती पर अपने अलग-अलग अवतारों में जन्म लिया, तो उन्होंने स्वयं गुरु महिमा को सर्वोपरि स्थान दिया और वे गुरु शरण में रहे। प्राचीन काल में भी गुरु को जो सम्मान और स्थान दिया गया, उनके अदभुत उदाहरण आज भी सर्वव्याप्त है, जो आज के परिवेश में कहीं देखने को नहीं मिलता। उस समय के गुरू भक्ति के किस्से आज भी आदर्श कहानी के रूप में नई पीढ़ियों को सुनाए जाते हैं।
लेकिन आज आपको एक नहीं, दो नहीं बल्कि साढ़े 6 करोड़ से भी अधिक ऐसे शिष्यों के बारे में बताने जा रहा हूँ जिनका संपूर्ण जीवन अपने ‘गुरु’ को समर्पित है। ये शिष्य भी अपने ‘गुरु’ को भगवान की तरह पूजते हैं। जी हां हम बात कर रहे हैं डेरा सच्चा सौदा के पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां व उनके करोड़ों श्रद्धालुओं की। जो मंगलवार को डेरा सच्चा सौदा की दूसरी पातशाही पूजनीय परम पिता शाह सतनाम जी महाराज के पावन अवतार दिवस पर डेरा सच्चा सौदा शाह सतनाम जी धाम (सरसा) में पहुंचे। इस दौरान सच कहूँ संवाददाता विजय शर्मा ने डेरा श्रद्धालुओं से बातचीत की और ये जानने का प्रयास किया कि आखिर इस अटूट श्रद्धा और विश्वास का कारण क्या है?
‘युवाओं के आदर्श है पूज्य गुरू जी’
पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने सदा सर्व-धर्म संगम का संदेश देते हुए दुनियादारी में बर्बाद होते लोगों को आबाद किया। किसी के नशे छुड़ाए तो किसी की बीमारियां काटी। किसी को जीवन दान दिया तो किसी को देह व्यापार जैसे घिनौने कार्यों से बाहर निकाला। पूज्य गुरु जी की प्रेरणा से ही डेरा के सेवादारों ने खून दान में रिकॉर्ड बनाए हैं तो मृत देह को मेडिकल रिसर्च के लिए लगातार दान दिया जा रहा है। पूज्य गुरु जी की इन्हीं मानवता भलाई कार्यों से मैं प्रेरित हूँ और मैं ही नहीं हर युवा उन्हें अपना आर्दश मानता हैं। पूज्य गुरु जी की ही शिक्षाओं पर चलकर हम युवा देश को बदलने में जुटे हुए हैं।
-कुलविंद्र इन्सां, टोरोंटो कनाडा।
जन्म देने वाली माँ पूजनीय है। क्योंकि वो 9 महीने बच्चे को अपने गर्भ में पालती है। लेकिन जन्म के पश्चात उस बच्चे को यदि सही शिक्षा, सही मार्ग और गुरु प्रप्ति न हो तो उसका जीवन नरक से भी बदतर साबित होगा। क्योंकि उसे सही और गलत की पहचान नहीं होती है। ऐसे में वो क्या करेगा, बुराईयां धारण करेगा और नशों व अपराध के दलदल में फंसकर अपना और अपने परिवार का नाश कर लेगा। लेकिन डेरा सच्चा सौदा के अनुयायी इन सबसे हटके हैं। कारण सीधा सा है उनके पास ‘ पूर्ण गुरु’ है। जो इस धरती पर ही नहीं ऊपर (सचखंड) में भी हमारी संभाल करता है। तो ऐसे ‘गुरु’ को पाकर कौन धन्य नहीं कहलाएगा।
-तेज कौर इन्सां, स्वीडन
कबीर जी का एक दोहा है ‘‘ कि आग लगी आकाश में, झर-झर पड़त अंगार, संत न होते जगत में तो जल मरता संसार’’ शायद मुझे इसका अर्थ समझाने की जरूरत नहीं हैं। आप समझ ही गए होंगे। बस यही दोहा डेरा सच्चा सौदा के पूज्य गुरु जी पर चरितार्थ होता है। अगर वो न होते तो शायद हमें गुरुमंत्र नहीं मिलता, इंसानियत के सही अर्थ से अनभिज्ञ होते और वो न होते तो हम दूसरों के लिए परमार्थ करना न सीखते। मैं स्वयं को खुश किस्मत समझता हूँ जिसे ऐसा पूर्ण सतगुरु डॉ. एमएसजी के रूप में संच पीर, फकीर, गुरु मिला।
-गुरविंद्र इन्सां, कनाडा।
समाज और देश को आज ‘गुरु जी’ की जरूरत है, क्योंकि पूज्य गुरु जी ही हैं जिन्होंने वेश्याओं को अपनी बेटी बनाकर उन्हें समाज में सम्मानजक दर्जा दिया। किन्नरों को सुखदुआ का नाम दिया। सफाई महाअभियान चलाकर पूरे देश सहित नदियों को पवित्र करने का कार्य भी पूज्य गुरु जी ने ही किया है। कुल का क्राउन, रक्तदान, शरीरदान, सहित 138 मानवता भलाई कार्य चलाने वाले भी पूज्य गुरु जी ही हैं। इसलिए आज पूरे देश को गुरु जी की जरूरत है।
-सत्यवीर इन्सां, मुबई (महाराष्टÑ)
25 जनवरी का पाक पवित्र दिन हमारे लिए किसी पर्व से कम नहीं है। क्योंकि इस दिन दो जहान के वाली पूजनीय परम पिता शाह सतनाम जी महाराज ने श्री जलालआणा साहिब की पवित्र धरती पर अवतार लिया था। हमारे लिए ये दिन विशेष महत्व रखता है। इसदिन दुनियाभर में साध-संगत मानवता भलाई के 137 कार्य कर अपने पूर्ण मुर्शिद को सजदा करती है। पूजनीय परम पिता जी ने हमेशा मानवता को बढ़ावा दिया और पाखंड में पड़े लाखों जीवों को नाम दान देकर प्रभु भक्ति व इंसानियत का सहीं मार्ग दिखाया।
-भगवान दास, ब्लॉक मोगा, पंजाब
दुनिया चाहे जो मर्जी कहती रहे। हमारा अपने सतगुरु जी पर पूरा अटूट विश्वास था, है और हमेशा रहेगा। दुनियावीं लोगों का हम पर कोई असर होने वाला नहीं। और आज डेरा सच्चा सौदा धाम सरसा पहुंचे श्रद्धालुओं का उत्साह इस बात का सबूत है। जब पूज्य गुरु जी हमारे बीच लौटेंगे तो यहां का मंजर कल्पना से परे होगा।
लाडी इन्सां, करनाल, हरियाणा
आज जो आप ये लोगों का हुजूम देख रहे हो, ये मात्र एक हुजूम नहीं है। एक श्रद्धा का समुद्र है। एक अटूट डोर है अपने गुरु के प्रति विश्वास की, सच्चा व अनुकरणीय प्रेम व श्रद्धा है गुरु की। जो आज यहां पूजनीय परम पिता शाह सतनाम जी महाराज के पावन अवतार दिवस मनाने पहुंचे हर बुजुर्ग, युवा, दिव्यांग, बच्चे और महिलाओं के चेहरे पर साफ देखी जा सकती है। ये लोग पैसे देकर नहीं बुलाए गए इन्हें अपने सतगुरु का प्यार यहां हजारों मील की दूरी से खींच कर लाया है।
-मोनिका इन्सां
आज समाज में लोग नशों की चपेट में हैं। उनमें से मैं भी एक था। लेकिन जब पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां द्वारा नशों को समाप्त करने के लिए अभियान चलाया गया। नाम-दान देकर करोड़ों युवा नशों छोड़ने लगे तो मैंने भी पूज्य गुरु जी का सत्संग सुना और गुरुमंत्र लेकर नशा छोड़ दिया। मैं पूज्य गुरु जी की विचारधारा और उनकी सोच से इतना प्रभावित हुआ कि मेरा पूरा जीवन ही बदल गया। अंत में मैं सिर्फ इतना ही कहना चाहूंगा कि देश में अगर नशों की दलदल में फंसे नौजवानों को कोई बाहर निकाल सकता है तो वो हैं पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां। आज समाज को उनकी बहुत ज्यादा जरूरत है।
-अजय सिंह सोलंकी इन्सां, कोटा, राजस्थान
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