पूजनीय बेपरवाह जी ने एक बार रास्ते पर पूजनीय शाह सतनाम जी महाराज के पद चिन्ह पर अपनी लाठी से गोल दायरे का निशान बनाकर फरमाया ‘‘देखो भई ये रब्ब की पैड़ है। तभी एक सेवादार ने कहा कि ये पैड़ (पद चिन्ह) तो श्री जलालआणा साहिब के जैलदार वरियाम सिंह जी के बेटे सरदार हरबन्स सिंह जी की हैं। तब सार्इं जी ने अपने इलाही अंदाज में फरमाया, न हम किसी जैलदार को जानते हैं न किसी सरदार को जानते हैं। हम तो यह जानते हैं कि ये पैड़ (पद चिन्ह) रब्ब की है।
पूजनीय बेपरवाह मस्ताना जी महाराज ने डेरा सच्चा सौदा ‘अनामी धाम’ गांव घूकांवाली में 14 मार्च 1954 को सत्संग फरमाने के बाद उसी सत्संग वाले चबूतरे पर खड़े होकर पूजनीय परम पिता जी को स्वयं आवाज लगाकर आदेश फरमाया, ‘हरबन्स सिंह!’ (पूजनीय परम पिता शाह सतनाम जी महाराज का पहले का नाम) दरगाह से आज आप जी को भी नाम-शब्द लेने का हुक्म हो गया है। आप अंदर जाकर (नाम अभिलाषी जीवों में) हमारे मूढ़े के पास बैठो, असीं अभी आते हैं।
आप जी ने अपने मुर्शिदे-कामिल के वचनों को सत्वचन कहकर अंदर चले गए, लेकिन मूढ़े के पास जगह खाली न होने के कारण आपजी उन नाम-अभिलाषी जीवों में पीछे ही बैठ गए। पूजनीय बेपरवाह जी ने आप जी को आवाज देकर अपने मूढ़े के पास बिठाया और ये ईलाही वचन फरमाया, ‘‘आप को जिन्दाराम का लीडर बनाएंगे जो दुनिया को नाम जपाएगा।’’ सच्चाई तो हमेशा अटल है, पता समय आने पर चलता है। तब ही नाम शब्द देने के बहाने बेपरवाह जी ने पूजनीय परम पिता जी की ईलाही ताकत को पूरी दुनिया के सामने प्रकट कर दिया।
‘आप जी को अभी नाम लेने का हुक्म नहीं, जब समय आएगा तो बुलाकर नाम देंगे’
बचपन से ही आप जी (पूजनीय परम पिता जी महाराज) के अंदर प्रभु-परमात्मा को मिलने की सच्ची तड़प थी। इसी के चलते आप जी अपना ज्यादातर समय पवित्र धार्मिक ग्रंथों के अध्ययन तथा साधु-संतों की संगत करने में गुजारते। आप जी ने परमात्मा की प्राप्ति के लिए पूर्ण गुरु की तलाश करनी चाही, जिसके लिए आप जी कई स्थानों पर गए तथा अनेक साधु-महात्माओं से मिले, परंतु कहीं भी आप जी को इस बारे में पूरी तसल्ली नहीं मिली। इसी दौरान आप जी का मिलाप परम पूजनीय बेपरवाह शाह मस्ताना जी महाराज से हुआ। बेपरवाह शाह मस्ताना जी के दर्शनों तथा रूहानी सत्संग के इलाही वचनों से आप जी को बहुत संतुष्टि हुई।
जिसकी आप जी को तलाश थी, वे सब नजारे प्रत्यक्ष रूप से बेपरवाह शाह मस्ताना जी महाराज के रूप में दिखाई दिए। आप जी को दृढ़ विश्वास हो गया कि पूजनीय बेपरवाह मस्ताना जी महाराज ही पूर्ण सतगुरु हैं। बस उसी दिन से ही आप जी ने अपने आप को पूर्ण तौर पर पूजनीय बेपरवाह जी को अर्पण कर दिया। जहां भी बेपरवाह जी का सत्संग होता आपजी अपने साथियों सहित हर सत्संग में पहुंचते। इसके बाद आप जी ने पूरे तीन वर्ष लगातार बेपरवाह मस्ताना जी महाराज के सत्संग सुने। इस दौरान आपजी ने कई बार नाम-शब्द लेना चाहा, परंतु बेपरवाह शाह मस्ताना जी महाराज यह कहकर नाम वाले जीवों में से उठा देते कि ‘आप जी को अभी नाम लेने का हुक्म नहीं है। जब समय आएगा तो बुलाकर नाम देंगे।’
अपने गुरु के लिए किया महान त्याग, साईं जी ने बनाया ‘सतनाम’
इलाही सूरत,
सादगी की मूरत
देखकर आपको, शर्मा जाएं
चादं और सूरज
आप आए तो आई खुशियां बेशुमार,
धन-धन पूजनीय परम पिता शाह सतनाम जी दातार।
पूजनीय परम पिता जी जब से पूजनीय बेपरवाह साईं शाह मस्ताना जी महाराज की पावन दृष्टि में आए, उस दिन से ही साईं जी ने आप जी को अपना उत्तराधिकारी मान लिया था। इसलिए पूजनीय बेपरवाह मस्ताना जी महाराज ने आप जी की बहुत कठिन परीक्षा ली। पूजनीय बेपरवाह जी ने आप जी को अपना मकान गिराने तथा घर का सारा सामान डेरे लाने का हुक्म फरमाया। पूजनीय परम पिता जी ने दुनिया की लोक-लाज की जरा भी परवाह किये बिना अपने सच्चे मुर्शिद के वचनों पर फूल चढ़ाए। अपने हाथों से अपना हवेलीनुमा घर तोड़कर उस का सारा सामान र्इंटें, गार्डर, लकड़ी के शहतीर, बड़े-बड़े गेट तथा घर का सारा सामान ट्रकों तथा ट्रॉलियों पर लाद कर पूजनीय शहनशाह मस्ताना जी की हजूरी में ले आए। इससे भी कठिन परीक्षा अभी बाकी थी। पूजनीय शाह मस्ताना जी महाराज ने फरमाया कि अपना सारा सामान डेरे से बाहर ले जाओ तथा इसकी रखवाली भी आप करो। पूजनीय शाह मस्ताना जी महाराज के अनोखे रंगों के समक्ष आप जी ने सिर झुकाया तथा सारा सामान डेरे से बाहर ले आए।
कड़ाके की ठंड में आप जी ने सारी रात बाहर गुजारी परन्तु आप जी के दिल में अपने मुर्शिद के प्रति दृढ़-विश्वास रत्ती भर भी नहीं डोला। अगले दिन आप जी ने घर के सामान की रक्षा से अधिक सेवा को उत्तम माना और सारा सामान सत्संग पर आई साध-संगत को अपने पवित्र कर-कमलों से बांट दिया। अपने गुरु के लिए आप जी के इस महान त्याग की मिसाल दुनिया में कहीं भी नहीं मिलती। आप जी की कठिन परीक्षा के बाद बेपरवाह सार्इं जी ने अपनी रहमत बरसाते हुए फरमाया कि हमने आप जी की कठिन परीक्षा भी ले ली परन्तु आप जी को पता नहीं लगने दिया। पूजनीय बेपरवाह शाह मस्ताना जी महाराज ने आप जी को अपने उत्तराधिकारी का खिताब बख्शा और आप जी का नाम सरदार हरबंस सिंह से ‘शाह सतनाम सिंह जी महाराज’ कर दिया। पूजनीय शाह मस्ताना जी महाराज ने फरमाया कि दुनिया जिस ‘सतनाम’ को ढूंढ़ती मर गई हमने उसे सबके सामने प्रकट कर दिया है।
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