हाल ही में केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु मंत्रालय द्वारा 17वीं भारत वन स्थिति रिपोर्ट-2021 जारी की गयी है। इस रिपोर्ट के मुताबिक देश में वन और पेड़ आच्छादित भू-भाग का दायरा पिछले दो वर्षों में 2,261 वर्ग किलोमीटर बढ़ा है। देश में वन अच्छादित भू-भाग 8,09,537 वर्ग किलोमीटर तक विस्तृत हो गया है। इससे पहले 2017 की तुलना में 2019 में जंगल एवं वृक्षों के आवरण में 5,188 वर्ग किलोमीटर की बढ़ोतरी दर्ज की गयी थी। तीव्र आर्थिक विकास के साथ-साथ देश में हरियाली का बढ़ता ग्राफ जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों से निपटने तथा सतत पोषणीय विकास की अवधारणा को अपनाने की दिशा में भारत सरकार की प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करता है। ताजा रिपोर्ट के अनुसार, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, ओडिशा, कर्नाटक और झारखंड क्रमश: पांच ऐसे राज्य हैं, जो बीते दो वर्षों में हरियाली बढ़ाने में सबसे आगे रहे हैं।
वहीं क्षेत्रफल के हिसाब से देश का सबसे बड़ा वन क्षेत्र मध्य प्रदेश में है। प्रतिशतता के हिसाब से सबसे आगे मिजोरम है, जहां के 84.53 फीसदी भूभाग पर वन है। जंगल सृष्टि के खूबसूरत सृजनों में से एक है। ये धरती के फेफड़े की तरह कार्य करते हैं और पर्यावरण से प्रदूषक गैसों जैसे नाइट्रोजन आॅक्साइड, अमोनिया, सल्फर डाइ-आॅक्साइड तथा ओजोन को अपने अंदर समाहित कर वातावरण में प्राणवायु छोड़ते हैं। साथ ही जंगल वर्षा कराने, तापमान को नियंत्रित रखने, मृदा के कटाव को रोकने तथा जैव-विविधता को संरक्षित करने में भी सहायक हैं। जंगलों से उपलब्ध होने वाले दर्जनों उपदानों का उपभोग हम सब किसी न किसी रूप में करते ही हैं। प्रकृति के निकट रहनेवाले कई समुदायों के लिए जंगल जीवन-रेखा की तरह है। हालांकि औद्योगीकरण और नगरीकरण की प्रकिया के साथ जंगलों के प्रति मानव दृष्टिकोण भी बड़ी तेजी से बदला है।
आज प्राकृतिक जंगलों को उजाड़ कर वहां कंक्रीट के जंगल तैयार किये जा रहे हैं। प्रकृति के प्रति मानव की संवेदनशीलता मृतप्राय होती जा रही है, जिससे मानवजाति विभिन्न जलवायविक समस्याओं का सामना कर रही है। वास्तव में पर्यावरण संबंधी अधिकांश समस्याओं की जड़ वनोन्मूलन ही है। वैश्विक ऊष्मण, बाढ़, सूखे जैसी समस्याएं वनों के ह्रास के कारण ही उत्पन्न हुई हैं। इसका समाधान भी पौधारोपण में ही छिपा है। भारत में जन्मदिन के मौके पर लोगों से पौधे लगाने का आह्वान किया जाता रहा है, लेकिन शायद ही एक बड़ी आबादी इस पर जोर देती है! अगर वास्तव में एक खुशहाल विश्व बनाना है, तो प्रकृति को सहेजने के लिए हम सभी को आने आना होगा। जो जंगल शेष हैं, उनकी रक्षा करनी होगी। साथ ही पौधरोपण के लिए हरेक स्तर से प्रयास करने होंगे। आपदा प्रबंधन को लेकर भी आम नागरिकों को जागरूक करना होगा। प्राकृतिक संतुलन के लिए जंगलों को बचाना बेहद जरूरी है।
अन्य अपडेट हासिल करने के लिए हमें Facebook और Twitter, Instagram, LinkedIn , YouTube पर फॉलो करें।