विकास शुल्क के साथ मालिकाना हक दे सकती है सरकार
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मुकदमेबाजी का बोझ बना हुआ है परेशानी
चंडीगढ़। हरियाणा में पंचायती जमीन(Panchayati Land) पर लंबे समय से अवैध कब्जा करने वाले लोगों को प्रदेश सरकार राहत दे सकती है। सरकार इन लोगों का जमीन पर कब्जा जारी रखने के लिए एक ऐसी नीति बना रही है, जिससे इन लोगों को जमीन से हटाया नहीं जाएगा। यानी उन्हें जमीन पर वाजिब ढंग से काबिज कर दिया जाएगा। यह जानकारी पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्टमें महाधिवक्ता बलदेव राज महाजन ने एक मामले की सुनवाई के दौरान दी।
बलदेव राज महाजन ने कोर्ट में कहा कि पंचायती जमीन पर अवैध कब्जे व उन पर कई सालों से बने निर्माण के कारण सरकार अनावश्यक मुकदमेबाजी से बचने के लिए नई नीति पर काम कर रही है। हरियाणा में ग्राम पंचायत की भूमि पर अवैध रूप से कब्जा करने वालों को सरकार द्वारा ऐसी भूमि पर कब्जा जारी रखने की अनुमति दी जा सकती है, लेकिन भविष्य में यदि नए कब्जे होंगे तो उन पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई अमल में लाई जा सकती है।
महाधिवक्ता ने कोर्ट में संभावना जताई कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल के नेतृत्व वाली भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार अगले छह सप्ताह में ऐसी नीति को अंतिम रूप दे सकती। राज्य में बड़ी संख्या में अतिक्रमण, अनाधिकृत/अवैध कब्जे हो रखे हैं और वहां पर पुराने ढांचे मौजूद हैं। ऐसे लोग प्रभावित न हों, इसलिए सरकार द्वारा पंचायत की भूमि(Panchayati Land) पर कब्जा जारी रखने की अनुमति देने के लिए एक नीति तैयार की जा रही है, क्योंकि इनको बेदखल करने व हटाने के लिए अनावश्यक मुकदमेबाजी को बढ़ावा मिलता है। सरकार इन लोगों को मालिक बनाने के लिए कुछ विकास शुल्क भी लगा सकती है। इस मामले में अगली सुनवाई 16 मार्च को होगी।
हाई कोर्ट में दायर हैं कई याचिकाएं
हाई कोर्ट में दायर कई याचिकाओं में सरकार के उस आदेश को चुनौती दी गई है, जिसमें सरकार ने उनको पंचायती जमीन से कब्जे को खाली करने का आदेश दिया था। इन याचिकाओं में पीड़ित पक्ष का कहना था कि वह इस जमीन पर कई दशक से काबिज हैं और उनके मकान बने हुए है।
हाई कोर्ट के आदेश पर सरकार ने हटाए थे हजारों कब्जे
हरियाणा के पूर्व मुख्य सचिव विजयवर्धन ने पंचायती जमीन से अवैध कब्जे हटाने की मांग संबंधी एक याचिका पर हलफनामा देकर कोर्ट को बताया था कि एक जनवरी 2019 से लेकर 31 दिसंबर 2020 तक राज्य में पंचायती जमीन से कब्जे हटाने के लिए 5903 मामले आए, जिनमें से 5064 का निपटारा कर दिया गया है। 31 दिसंबर 2020 तक राज्य में पंचायती जमीन से हटाने के लिए कुल 11082 मामले लंबित हैं। कोर्ट को बताया गया कि 1305 मामलों में क्रियान्वयन अर्जी दायर की गई, जिसमें से 867 अर्जी का निपटारा कर दिया गया। राज्य में अभी 3622 क्रियान्वयन अर्जी विचाराधीन हैं। पंचायती जमीन के सबसे ज्यादा 2457 मामले हिसार व सबसे कम 45 मामले रोहतक में विचाराधीन हैं।
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