मांगों को लेकर टोहाना विधायक देवेन्द्र बबली के नाम सौंपा ज्ञापन
सच कहूँ/सुरेन्द्र समैण, टोहाना। मांगों को लेकर पिछले करीब डेढ़ सालों से सड़कों पर उतर कर आंदोलन कर रही आंगनवाड़ी वर्कर्स एवं हैल्पर्स ने वीरवार को टोहाना में रोष प्रदर्शन किया। जिलेभर से आंगनवाड़ी वर्कर्स एवं हैल्पर्स पुरानी कोर्ट में इकट्ठा हुई और वहां से रोष प्रदर्शन करते हुए विधायक देवेन्द्र बबली के कार्यालय पहुंची और उनके भाई को मांग पत्र सौंपा। इससे पूर्व धरने की अध्यक्षता आंगनवाड़ी वर्कर एवं हैल्पर यूनियन की जिला प्रधान सुनीता झलनियां ने की व संचालन जिला सचिव माया पूनियां ने किया। धरने को सर्व कर्मचारी संघ के पूर्व जिला प्रधान एवं सीटू नेता बेगराज, अध्यापक संघ के नेता विष्णु शर्मा, नौजवान सभा के नेता शाहनवाज एडवोकेट, अनीता, सुनीता, सुलोचना, पम्मी, संदीप, दमयंती, सावित्री, मंजुला इत्यादि ने भी संबोधित किया।
हरियाणा की बीजेपी सरकार ने बंद किए अपने कान
आंगनवाड़ी यूनियन की जिला प्रधान सुनीता झलनियां ने अपनी मांगों को लेकर वे 8 दिसंबर से हड़ताल पर हैं। 45 दिन बीत जाने के बावजूद भी सरकार ने इन महिलाओं की बात नहीं सुनी। इतनी ठिठुरती सर्दी में और कोरोना महामारी में आंगनबाड़ी वर्कर सड़कों पर उतरने को मजबूर है। उन्होंने कहा कि हरियाणा की बीजेपी सरकार ने अपने कान बंद किए हुए हैं, जिस कारण उन्हें सरकार के मंत्रियों के आवासों पर प्रदर्शन करना पड़ रहा है।
विधायकों एवं मंत्रियों के आवासों पर डालेंगे पड़ाव
आंगनवाड़ी यूनियन ने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर समय रहते उनकी मांगों का समाधान नहीं किया तो आने वाले समय में हम हरियाणा सरकार के विधायकों एवं मंत्रियों के आवासों पर रात-दिन का पड़ाव डालेंगे और अपने आंदोलन को तेज करेंगे। आंगनवाड़ी वर्कर एवं हेल्पर अब किसी कीमत पर भी आंदोलन से पीछे नहीं हटेगी।
ये हैं आंगनबाड़ी वर्कर्स एवं हेल्पर्स की मुख्य मांगें
- मुख्यमंत्री द्वारा 29 दिसंबर को की गई घोषणा को ज्यों की त्यों लागू हो।
- वर्कर्स को 1500 व हेल्पर्स को 750 रुपए की बढ़ोतरी एरियर समेत दी जाए।
- महंगाई भत्ते की तमाम किस्तें मानदेय में जोड़ कर दी जाए।
- आंगनवाड़ी वर्कर्स को रिटायरमेंट से पहले दुर्घटना होने पर इलाज का पूरा खर्च मिले।
- मृत्यु होने पर अन्य विभागों की तर्ज पर 3 लाख का मुआवजा व आश्रित को रोजगार मिले।
- पदोन्नति केवल वरिष्ठता के आधार पर हो।
- आईसीडीएस में एनजीओ व प्राइवेट संस्थाओं को शामिल करने की अनुमति न दी जाए। -आईसीडीएस का निजीकरण न किया जाए।
अन्य अपडेट हासिल करने के लिए हमें Facebook और Twitter, Instagram, LinkedIn , YouTube पर फॉलो करें।