सोनीपत (सच कहूँ न्यूज)। हरियाणा कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के उप निदेशक डॉ अनिल सेहरावत ने किसानों को गेहूं की फसल को पीले रतुआ(Yellow Rust) के प्रकोप से बचाने के लिए विशेष सलाह दी है। उन्होंने कहा कि गेहूं के पौधे के लिये 8-13 डिग्री सैल्सियस का तापमान संक्रमण के लिए चाहिए होता है और 12-15 डिग्री सैल्सियस तापमान होने पर यह रोग पूरे फसल क्षेत्र में फैल जाता है। पीला रतुआ गेहूं में एक फफूंद के द्वारा फैलता है जिससे पत्तियों पर धारियों में पीले रंग के छोटे-छोटे धब्बे कतारों में बन जाते हैं। कभी-कभी ये धब्बे पत्तियों और डंठलों पर भी पाए जाते हैं। इन पत्तियों को हाथ से छूने सफेद कपड़े व नैपकिन इत्यादि से छूने पर पीले रंग का पाऊडर लग जाता है, ऐसे खेत में जाने पर कपड़े पीले हो जाते हैं।
जरूरत से अधिक सिंचाई न करें
डॉ. सहरावत के अनुसार इस बिमारी के रोकथाम के लिए जरूरत से अधिक सिंचाई न करें, नाइट्रोजन खाद का कम प्रयोग करें और मिट्टी जांच के उपरान्त संतुलित खाद डालें। फसल पर इस रोग के लक्षण दिखाई देने पर दवाई का छिड़काव करें। यह स्थिति अक्सर जनवरी के अंत या फरवरी के शुरू में आती हैं इससे पहले यदि रोग का प्रकोप दिखाई दे तो छिड़काव तुरंत करें। छिड़काव के लिए प्रोपीकोनेजोल 25 ईसी (टिल्ट) या टैबूकोनेजोल 25.9 ईसी (फॉलीकर 250 ईसी) या ट्रियाडिफेमान 25 डब्ल्यूपी (बैलीटोन) का 0.1 प्रतिशत के हिसाब से 200 मिली दवा 200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ छिड़काव करें। छिड़काव के लिए पानी और दवा की मात्रा उचित रखें ताकि दवा पौधों के निचले तथा ऊपरी भागों में अच्छे ढंग से पहुंच जाए।
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