पिछली बार मालवा में आम आदमी पार्टी को मिली थी 18 सीटें
- लाख टके का सवाल: प्रदेश में कुल 117 विधानसभा सीटें, सबसे ज्यादा 69 केवल मालवा में
चंडीगढ़ (एजेंसी)। लाख टके का सवाल है कि पंजाब विधानसभा चुनाव में सबसे अधिक 69 सीटों वाला मालवा क्षेत्र किसकी नैया पार लगायेगा। राज्य में विधानसभा की 117 सीटों में से मालवा क्षेत्र में 69 सीटें पड़ती हैं तथा यह क्षेत्र सिख जट बहुल है। इस बार राज्य विधानसभा चुनाव में परिदृश्य कुछ बदला हुुआ है तथा मुकाबला दो परंपरागत पार्टियों कांग्रेस तथा अकाली दल के बीच न होकर त्रिकोणीय बन गया है। मालवा से पिछले चुनाव में आम आदमी पार्टी ने सबसे अधिक 18 सीटें हासिल की थीं। इस बार सत्तारूढ़ कांग्रेस का मुकाबला आम आदमी पार्टी, भाजपा गठबंधन, अकाली दल गठबंधन और किसानों के संयुक्त समाज मोर्चा के बीच है।
इस बार इस क्षेत्र से आप पार्टी, कांग्रेस, अकाली दल गठबंधन और भाजपा-पंजाब लोक कांग्रेस-संयुक्त अकाली दल गठंबंधन का भविष्य जुड़ा है। हालांकि अकाली दल ने सबसे पहले अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी थी उसके बाद आप पार्टी और कांग्रेस ने अब तक 86 उम्मीदवारों का ऐलान कर चुकी है। भाजपा तथा कैप्टन अमरिंंदर सिंह की पार्टी पंजाब लोक कांग्रेस और संयुक्त अकाली दल गठबंधन भी अपने उम्मीदवार तय करने में जुटा हुआ है और जल्द ही पेडिंग उम्मीदवारों की सूची भी जारी होने की उम्मीद है। अब भाजपा व पंजाब लोक कांग्रेस गठबंधन के उम्मीदवारों की सूची का इंतजार है, जिसके बाद चुनावी मैदान एक तरह से जंग के मैदान में तबदील हो जाएगा। मुख्य मुकाबला आप, कांग्रेस और अकाली गठबंधन के बीच रहने के आसार हैं।
मालवा क्षेत्र में पटियाला, बठिंडा, संगरूर, फिरोजपुर सहित कुल 69 सीटें पड़ती हैं तथा इनमें से ज्यादातर सीटों पर डेरा सच्चा सौदा के श्रद्धालुओं का दबदबा कायम है। इस क्षेत्र में ज्यादातर ग्रामीण और जट सिखों की आबादी है। अब तक देखा जाये तो राज्य में किसी पार्टी की लहर न होने से मुकाबला तीन मुख्य पार्टियों के बीच है। ग्रामीण इलाकों में अकाली दल की पहले पकड़ मजबूत होती थी लेकिन समय बदलने के साथ कांग्रेस भाजपा व अन्य पार्टियां भी गांवों तक पहुंच गई हैं।
दोआबा में अनुसूचित जाति बहुल क्षेत्र
राज्य में आचार संहिता लागू होने के बाद तथा कोरोना के बढ़ते मामलों के मद्देनजर रैलियों तथा रोड शो पर पाबंदी लगा रखी है जिसका नुकसान सभी दलों को हो रहा है। हालांकि कुछ दलों के आग्रह पर छोटी रैलियों को लेकर चुनाव आयोग ने कुछ छूट दी है और मतदान की तिथि 14 फरवरी से बदलकर 20 फरवरी कर दी है। ज्ञातव्य है कि भाजपा को पिछली बार केवल तीन सीटें मिली थीं। कांग्रेस दूसरे नंबर पर तथा अकाली दल तीसरे नंबर रही थी। माझा क्षेत्र में 25 तथा दोआबा क्षेत्र में 23 सीटें पड़ती हैं तथा दोआबा अनुसूचित जाति बहुल क्षेत्र है।
कैप्टन अमरेन्द्र सिंह की साख भी दांव पर लगी
देखने वाली बात है कि पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने साढ़े चार साल सरकार चलाई और उसके बाद उन्हें पद से हटा दिया गया। अब उनका गठबंधन भाजपा के साथ है। दिलचस्प बात यह है कि जनता कैप्टन सिंह को सरकार चलाने का कितना लाभ देती है या दो माह से अधिक समय सरकार चलाने वाले मुख्यमंत्री चरनजीत चन्नी को। पंजाब की जनता इस बात से भलीभांति अवगत है कि कैप्टन सिंह के पार्टी छोड़ने के बाद चन्नी और कांग्रेस प्रधान नवजोत सिद्धू की आपसी खींचतान का पार्टी को नुकसान हुआ जिसका खामियाजा उन्हें भुगतना होगा। यह तो समय बतायेगा।
पंजाब में आप पार्टी ने अपने मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर दिया है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने खुद इसका ऐलान किया। केजरीवाल ने भगवंत मान के नाम का ऐलान करते हुए कहा कि हमने पंजाब की जनता की राय के आधार पर मुख्यमंत्री चुना हैै। उन्होंने कहा कि यदि मैं भगवंत मान को अपनी ओर से मुख्यमंत्री उम्मीदवार घोषित कर देता लोग कहते कि केजरीवाल ने भाई-भतीजावाद किया है। इसलिए हमने पिछले सप्ताह एक फोन नंबर जारी किया ताकि पंजाब के 3 करोड़ लोगों की राय ली जा सके।
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