लोगों ने धीरे-धीरे कोरोना वायरस के साथ रहना सीख लिया है और अब दुनिया भर की सरकारें पिछले दो साल से दिए गए असाधारण प्रोत्साहन पैकेजों को वापिस लेने पर विचार कर सकती हैं। हालांकि इन्हें वापस लेने की प्रक्रिया पहले ही शुरू हो चुकी है और कई केंद्रीय बैंक दरों में बढ़ोतरी कर रहे हैं। यह प्रक्रिया इस साल भी जारी रह सकती है। हालांकि केंद्रीय बैंकों के सामने नीतिगत दरों को सामान्य करने की बजाय बाजारों में भारी मात्रा में मौजूद अतिरिक्त नकदी को मैनेज करना अधिक चुनौती है। इसे लेकर आरबीआई ने भी अपनी प्रक्रिया शुरू कर दी है। अनुमान के मुताबिक फरवरी या मार्च 2022 से रेपो रेट ही आॅपरेशनल रेट बन जाएगा और अप्रैल 2022 से इसमें बढ़ोतरी हो सकती है। ऐसे में दरों में बढ़ोतरी और वित्तीय स्थिति सख्त किए जाने को लेकर डेट म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) निवेशकों को अपनी नीति पर विचार करना चाहिए।
निवेशक अपना सकते हैं ये स्ट्रेटजी
इस साल डेट म्यूचुअल फंड (Mutual Funds) में निवेश के लिए निवेशक खास रणनीति अपना सकते हैं- रोल डाउन स्ट्रेटजी और लैडर पोर्टफोलियो स्ट्रेटजी। इसके तहत अगर पांच साल के लिए निवेश करना है तो पूरी पूंजी को पांच साल के लिए निवेश करने की बजाय इसे 1 साल, 2 साल, 3 साल, 4 साल और 5 साल की अवधि के लिए निवेश किया जा सकता है। ऐसा करने से यह फायदा होगा कि जब दरें बढ़ेंगी तो पूंजी का एक हिस्सा हर साल मेच्योर होगा और उस पैसे को फिर निवेश कर अधिक रिटर्न हासिल किया जा सकता है।
आरबीआई अपना सकता है ये नीति
इस साल रिजर्व बैंक ब्याज दरों में बढ़ोतरी के साथ ही बाजारों में नकदी डालना रोक सकता है और कर्ज में अधिक बढ़ोतरी के साथ अतिरिक्त नकदी घटने से कॉरपोरेट स्प्रेड बढ़ना शुरू हो सकता है, जो इस समय ऐतिहासिक निचले स्तर पर है। आरबीआई के लिए अतिरिक्त नगदी को मैनेज करना अहम है क्योंकि ड्यूरेबल लिक्विडिटी 11 लाख करोड़ रुपये से अधिक की हो गई है। इसके अलावा इस साल कम अवधि की दरें लंबी अवधि की दरों की तुलना में अधिक रह सकती हैं।
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