विश्व भर में कोरोना वायरस के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। रविवार को समाप्त हुए वीक में पहले वाले सप्ताह के मुकाबले 11 फीसदी ज्यादा नए केस सामने आए हैं। वहीं विश्व स्वास्थ्य संगठन ने बताया कि 20 से 26 दिसंबर के बीच विश्व भर में 49 लाख नए कोरोना केस पाए गए हैं। सबसे ज्यादा केस अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस जैसे देशों में मिले हैं। अमेरिका में हालात सबसे ज्यादा खतरनाक हैं, जहां मंगलवार को तीन लाख 12 हजार मामले सामने आए। फ्रांस और ब्रिटेन में लगातार हालात बिगड़ रहे हैं। एक तरफ यूके में 1.29 लाख मामले मंगलवार को मिले तो वहीं फ्रांस में 1.80 लाख के करीब नए केस पाए गए हैं। इसके अलावा अफ्रीका में भी नए केसों में 7 फीसदी का इजाफा हुआ है। अफ्रीकी देशों में बीते सप्ताह 275,000 नए केस पाए गए हैं कई देशों में डेल्टा वैरिएंट से ज्यादा ओमिक्रॉन के मामले बढ़ने के संकेत हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने ओमिक्रॉन को लेकर कहा है कि यह गहरी चिंता का विषय है। भारत में भी लगातार संकट बढ़ता दिख रहा है। ओमिक्रॉन के मामले तेजी से बढ़ते हुए 800 के पार पहुंच गए हैं। राजस्थान में बुधवार को एक साथ 23 नए केस ओमिक्रॉन वैरिएंट के मिले हैं। आखिर विभिन्न देशों से मिल रहे आंकड़ों और विशेषज्ञों की सलाहों के अनुसार फैसला हुआ कि तय प्रक्रिया के मुताबिक टीकाकरण अभियान यथासंभव तेजी से जारी रखते हुए भी उन लोगों का विशेष ख्याल रखा जाना जरूरी है, जिन्हें ज्यादा खतरा है। इसी नीति के तहत गंभीर बीमारियों से ग्रस्त बुजुर्गों और फ्रंटलाइन वॉरियर्स को प्रिकॉशन डोज देने का फैसला किया गया है। इसके साथ ही बच्चों में ओमिक्रॉन संक्रमण के खतरे के मद्देनजर उन्हें भी जल्द से जल्द टीके दिलाने का फैसला हुआ है, जो उचित ही है।
इसी संदर्भ में यह भी जरूरी है कि दो टीकों के बीच अंतर कम करने पर गंभीरता से विचार किया जाए। बदले हालात में इस अंतराल को बड़ा बनाए रखने का मतलब यह होगा कि एक डोज ले चुके लोग ज्यादा समय तक टीके की पूर्ण सुरक्षा हासिल करने से वंचित रहेंगे। सरकार को न केवल वैक्सीन की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करनी होगी बल्कि कोरोना की दवाएं विकसित करने के प्रयासों पर भी जोर देना होगा। अस्पतालों में बेड का इंतजाम करना ही काफी नहीं है। दूसरी लहर के अनुभव को देखते हुए आॅक्सिजन आदि तमाम वस्तुओं के पर्याप्त उत्पादन की व्यवस्था बनाए रखने के साथ ही सप्लाई लाइन को भी दुरुस्त रखने की जरूरत है। सबसे महत्वपूर्ण मोर्चा फिर भी आम लोगों का ही बनता है। यह बात सबके समझने की है कि उनके स्तर पर थोड़ी सी अतिरिक्त सावधानी संकट से निपटना काफी आसान बना सकती है।
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