पांचवे नेशनल फैमिली हैल्थ सर्वे में बेटियों का बढ़ा अनुपात

National Family Health Survey sachkahoon

सुकन्या समृद्धि योजना, आपकी बेटी-हमारी योजना, मातृत्व वंदन योजना, उज्ज्वला योजना सहित बेटी -बचाओ-बेटी पढ़ाओ योजनाओं को पहुंचाया जा रहा घर-घर तक

  • देश में लिंगानुपात समानता में केरल प्रथम तो हरियाणा का 12वां स्थान

सच कहूँ/इन्द्रवेश, भिवानी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 22 जनवरी 2015 से शुरू की गई बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान का फक्र अब 2022 आते-आते साफ दिखने लगा हैं। पांचवे नेशनल फैमिली हैल्थ सर्वे पर नजर डाले तो प्रति हजार लडकों पर एक हजार 20 लड़कियां अब जन्म लेने लगी हैं, जबकि 2016 से पहले यह आंकड़ा प्रति हजार लडकों पर मात्र 834 लड़कियों का था। लिंगानुपात में सुधार के बाद बेटियों की संख्या बढ़ने की खुशी अब आनंद महोत्सव के रूप में एक दिसंबर से दस दिसंबर तक देश भर में मनाई जा रही है। लड़कियों की संख्या बढ़ने के पीछे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू की गई सुकन्या समृद्धि योजना, आपकी बेटी-हमारी योजना, मातृत्व वंदन योजना, उज्ज्वला योजना सहित बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान का महत्वपूर्ण योगदान रहा है।

एक दिसंबर से दस दिसंबर तक मनाया जा रहा आनंद महोत्सव

भिवानी में पांचवे नेशनल फैमिली हैल्थ सर्वे के बाद बेटियों की संख्या बढ़न पर आनंद उत्सव के रूप में स्लोग्न प्रतियोगिता, गीत-संगीत प्रतियोगिता, डिबेट, नुक्कड़ नाटक, चेतना रैली का आयोजन करवाया जा रहा है, ताकि लिंगानुपात में हुए सुधार को एक दिसंबर से 10 दिसंबर तक उत्सव के रूप में मनाया जा सकें। हरियाणा भाजपा महिला मोर्चा की प्रदेश महामंत्री मीना परमार व भिवानी निवासी महिलाएं खुशबू, चंदा गुप्ता, उषा, वीना तंवर, ममता व बबीता तंवर ने बताया कि भारत में पहली बार प्रति हजार लडकों पर एक हजार लड़कियों ने जन्म लिया है। यह देश के लिए सौभाग्य की बात है। इसके पीछे प्रधानमंत्री द्वारा चलाई जा रही योजनाओ बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ, सुकन्या समृद्धि, मातृ वंदना योजना, आपकी बेटी-हमारी बेटी योजना की अहम भूमिका रही है।

‘‘गौरतलब है कि पांचवे नेशनल फैमिली हैल्थ सर्वे के अनुसार लिंगानुपात में पहली बार लड़कियों की संख्या लडकों से ज्यादा हुई है, जो लडका-लडकी के भेदभाव को मिटने का सूचक है। पूरे देश में सबसे बेहतर लिंगानुपात केरल राज्य का तथा हरियाणा का इसमें 12वां स्थान है। भिवानी जिले के लिंगानुपात में 57 अंकों की वृद्धि हुई है। इसके पीछे बेटियों को लेकर चलाई जा रही विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं की अहम भूमिका साफ नजर आ रही है।

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