- संयुक्त किसान मोर्चे की आज की बैठक में किसान आंदोलन के दौरान उत्पन्न स्थितियों- किसानों की मौत, किसानों पर मुकदमें और लखीमपुर खीरी की घटना पर भी चर्चा हुई: मोर्चा नेता
- संयुक्त किसान मोर्चे के नेता सात दिसंबर को करेंगे फिर बैठक, जिसमें किसान आंदोलन की आगे की स्थिति पर हो सकता है फैसला
- रकार से बातचीत के पैनल में बलबीर राजेवाला, गुरनाम सिंह चंडोनी, युद्धवीर सिंह, अशोक धावले और शिव कुमार कक्का शामिल है।
संयुक्त किसान की बैठक अब 7 दिसंबर को होगी
नई दिल्ली (सच कहूँ न्यूज)। संयुक्त किसान मोर्चा ने अपनी मांगों को लेकर सरकार से बातचीत के लिए पांच सदस्यीय समिति बनाई है और आगे की रूपरेखा तय करने के लिए सात दिसम्बर को बैठक होगी। संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं ने बैठक के बाद कहा कि उन्होंने शनिवार को एक महत्वपूर्ण बैठक की और सरकार से औपचारिक और संतोषजनक प्रतिक्रिया प्राप्त नहीं होने तक किसान आंदोलन को जारी रखने का निर्णय किया। सरकार से बातचीत के लिए पांच सदस्यीय समिति बनाई गई है जिसमें किसान नेता बलबीर राजेवाल, युद्धवीर सिंह, गुरनाम सिंह चढूनी, अशोक धवले और शिवकुमार कक्का शामिल हैं।
सभी मामलों को वापस लिया जाए
उन्होंने कहा कि तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने की घोषणा के बाद एसकेएम ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र भेजकर छह माँगें की थी। किसान संगठनों के पास अतीत से केवल मौखिक आश्वासन देकर आंदोलन समाप्त कराने का कड़वा अनुभव है। हम प्रत्येक मुद्दे पर औपचारिक आश्वासन के बिना इस आंदोलन को समाप्त नहीं करेंगे। हम चाहते हैं कि इस आंदोलन के तहत किसानों और उनके समर्थकों के खिलाफ लगाए गए सभी मामलों को वापस लिया जाए और इस तरह का औपचारिक आश्वासन दिया जाए।
पांच सदस्यीय समिति का गठन
एसकेएम कहा कि बैठक में एसकेएम ने लंबित मुद्दों को हल करने के लिए भारत सरकार के साथ बातचीत करने के लिए अशोक धवले, बलबीर सिंह राजेवाल, गुरनाम सिंह चढूनी, शिव कुमार कक्काजी और युद्धवीर सिंह की पांच सदस्यीय समिति का गठन किया। किसानों की छह लंबित मांगें हैं – सभी किसानों को उनके द्वारा बेचे जाने वाले किसी भी कृषि उपज के लिए लाभकारी एमएसपी प्राप्त करने के लिए कानूनी अधिकार, विद्युत संशोधन विधेयक 2020/2021 को वापस लेना, दिल्ली वायु गुणवत्ता विनियमन आयोग के गठन से संबंधित कानून की धारा 15 को हटाना, और चल रहे संघर्ष में उत्पन्न हुए तीन मुद्दे – दिल्ली हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, चंडीगढ़, महाराष्ट्र, राजस्थान, सहित विभिन्न राज्यों में विरोध कर रहे किसानों और उनके समर्थकों पर लगाए गए मामलों को वापस लेना शामिल हैं। उन्होंने कहा कि उनकी माँगों में आंदोलन के शहीदों, जिनकी संख्या अब लगभग 708 पहुँच गई है, के परिजनों के लिए पुनर्वास की व्यवस्था, और उनके लिए एक स्मारक बनाने के लिए भूमि आवंटन और लखीमपुर खीरी किसान हत्याकांड में न्याय के लिए अजय मिश्रा टेनी की गिरफ्तारी और बर्खास्तगी।
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