साध-संगत बोली: मानवता भलाई के 135 कार्यो को बढ़-चढ़कर देंगे गति, करते रहेंगे परहित
ओढां (राजू)। पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां द्वारा साध-संगत के नाम लिखी छठी चिट्ठी 19 नवंबर को बेपरवाह शाह मस्ताना जी महाराज के पावन अवतार दिवस पर साध-संगत के बीच पहुंची। ये चिट्ठी पावन भंडारे पर साध-संगत के बीच पढ़कर सुनाई गई। अपने मुर्शिद प्यारे की चिट्ठी पाकर साध-संगत खुशी से फूले नहीं समाई। उन्होंने एक स्वर में कहा कि उनके मुर्शिद की सभी चिट्ठियां उनके दिल में बस गई हैं। चिट्ठी में पूज्य गुरु जी ने समस्त साध-संगत व मैनेजमेंट सहित सभी को अपना पावन आशीर्वाद भेजते हुए पूजनीय माता जी के स्वास्थ्य बारे भी पूछा।
अपने गुरू की इस चिट्ठी को साध-संगत ने पूर्व की भांति दिल से लगाया और उसे कई-कई बार पढ़कर अपने सतगुरु का आभार जताते हुए कहा कि धन्य है हमारे सतगुरु जो दूर रहकर भी अपनी प्यारी साध-संगत की चिंता करते हुए उनकी बेहतर संभाल कर रहे हैं। वहीं ये चिट्ठी सोशल मीडिया पर भी खूब वायरल हो रही है। ब्लॉक श्री जलालआणा साहिब की साध-संगत ने चिट्ठी मिलने पर अपनी खुशी इस तरह व्यक्त की।
पूज्य गुरु जी की ये चिट्ठी ही नहीं अपितु एक रूहानी संदेश है। हमारे मुर्शिद ने इस संदेश के माध्यम से सारी साध-संगत के लिए जो अपना प्यार भरा आशीर्वाद भेजा है उसका लिख या बोलकर वर्णन नहीं किया जा सकता। पूज्य गुरु जी ने चिट्ठी में जो वचन किए हैं उन पर हम जरूर अमल करेंगे। प्यारे मुर्शिद ने ये भी फरमाया है कि हमें सभी धर्मांे का आदर सत्कार करना है।
– डॉ. गुरजंट सिंह इन्सां (लक्कड़ांवाली)।
मुर्शिद के छठे पत्र ने साध-संगत में नई उर्जा भरी है। पावन अवतार दिवस के भंडारे पर चिट्ठी सुनकर रूह शांत हो गई। हम अपने मुर्शिद का अनेक जन्म लेकर भी ऋण नहीं उतार सकते। पिताजी हमसे दूर रहकर भी हमारा कितना ख्याल रखते हैं ये उन्होंने चिट्ठियों के माध्यम से वर्णन कर दिया। सतगुरु की छठी चिट्ठी आई तो हमारे पूरे परिवार में जो खुशी छाई उसका वर्णन अकथनीय है। अब तो यही प्रार्थना है कि हमारे मुर्शिद देह स्वरूप में हमारे बीच जल्द आएं।
-जगदीश इन्सां (मंडी कालांवाली)।
चिट्ठी में पूज्य गुरु जी ने संसार में अमन शांति रहने के वचन किए हैं। पूज्य पिता जी ने चिट्ठी में जायज मांग पूरी होने की बात कही है। हमारे सतगुरु तो बिन मांगे ही हमें सब-कुछ दे रहे हैं। इसके अलावा पूज्य गुरु जी ने परमार्थ व अन्य मानवता भलाई कार्यांे को गति देने की बात कही है। पूज्य गुरु जी ने सारी साध-संगत को जो अपना पावन आशीर्वाद भेजा है उसका लिख-बोलकर वर्णन नहीं किया जा सकता।
-सतीश इन्सां (मंडी कालांवाली)।
मेरे मुर्शिद की चिट्ठी बेशकीमती है। हम अपने मुर्शिद का ऋण अनेकों जन्म लेकर भी नहीं उतार सकते। ये चिट्ठी नहीं सतगुरु का प्रेम भरा संदेश है। हमारे सतगुरु ने चिट्ठी में आशीर्वाद, मानवता भलाई कार्यांे को गति देने व परमार्थ करने सहित कई अनेक बातें बतार्इं हैं। हम उनकी बातों पर शत-प्रतिशत अमल कर रहे हैं और भविष्य में भी करते रहेंगे।
-किरण बाला इन्सां (मंडी कालांवाली)।
धन्य है हमारे पूज्य गुरु जी जो अपने करोड़ों बच्चों का ख्याल रखते हैं। हमारे मुर्शिद हमारी संभाल तो उसी दिन से करने लग गए जब हम उनके शिष्य बने। मैंने पिताजी की पहले की पांचों चिट्ठियों को फ्रेम करवा रखा है। इस चिट्ठी को भी फ्रेम करवाउंगी। चिट्ठी के माध्यम से हमारे मुर्शिद ने हमें बहुत कुछ प्रदान कर दिया।
-सीमा इन्सां (मंडी कालांवाली)।
प्यारे सतगुरु की चिट्ठी सुनकर मेरा दिल वैराग से भर गया। हम कैसे उनका अहसान चुका दें। मैं अगर हर श्वास उनका धन्यवाद करती रहूं वो भी कम है। मैंने सभी चिट्ठियां सहजकर रख रखी हैं। हमारे मुर्शिद हम लोगों का कितना फिक्र करते हैं ये लिख-बोलकर नहीं बताया जा सकता।
-सुरजीत इन्सां, ब्लॉक भंगीदास (श्री जलालआणा साहिब)।
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