पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां को दिया उपलब्धि का श्रेय
- एशिया बुक आॅफ रिकॉर्ड्स और इंडिया बुक आॅफ रिकार्ड्स में नाम दर्ज
कोटा (सच कहूँ न्यूज)। जिले के पीपल्दा खुर्द निवासी डेरा सच्चा सौदा के अनुयायी इंद्रजीत सिंह इन्सां पुत्र स्व. रघुवीर सिंह इन्सां ने एक ऐसा अद्भुत कार्य किया, जिससे देश में ही नहीं बल्कि पूरे एशिया में एक नया कीर्तिमान स्थापित हो गया। जी हां हम बात कर रहे हैं इंद्रजीत सिंह इन्सां की, जिन्होंने 5 साल में 115 बार एसडीपी डोनेट करके नया कीर्तिमान स्थापित कर दिया।
राजेन्द्र सिंह हाड़ा के अनुसार इंद्रजीत सिंह ने 5 साल में 115 बार एसडीपी डोनेट किए। भारत और एशिया के इतिहास में ऐसा करने वाले वे पहले इन्सान हैं। इस अद्भुत मानवीय कार्य की बदौलत इंद्रजीत सिंह का नाम एशिया बुक आॅफ रिकॉर्ड्स व इंडिया बुक आॅफ रिकॉर्ड्स में दर्ज हुआ। कोटा में कोरोना महामारी की भीषणता के समय इन्द्रजीत सिंह ने अपनी जान की परवाह किए बिना रात-दिन लगातार रोगियों को अस्पताल में भर्ती कराना, दवाईयां एवं आॅक्सीजन व्यवस्था सहित वाहन व्यवस्था कर रोगियों को चिकित्सालय पहुंचाना और घर पहुंचाना जैसे कार्य निरन्तर कर इंसानियत का फर्ज भी अदा किया है।
लोकसभा स्पीकर ने सौंपे रिकॉर्ड
स्थानीय सांसद एवं लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने इंडिया बुक एवं एशिया बुक आॅफ रिकॉर्ड डेरा सच्चा सौदा के सेवादार इन्द्रजीत सिंह इन्सां को सौंपे। इस मौके पर लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि डेरा सच्चा सौदा के सेवादारों की सेवाओं की जितनी प्रशंसा की जाये कम है। उन्होंने कहा कि धन्य हैं गुरूजी, जिनकी प्रेरणा से आज भी सेवादार मानवता भलाई के कार्यों को लगातार आगे बढ़ रहे हैं।
इंडिया बुक आॅफ रिकॉर्ड्स की तरफ से 1 गोल्ड मेडल, 1 बैच, सर्टिफिकेट, 1 बुकलेट, आईकार्ड, 1 पैन व 2 कार स्टीकर इंद्रजीत इन्सां के पास भेजा गया। दूसरे किट में एशिया बुक आॅफ रिकार्ड्स की तरफ से 1 मैडल, 1 बुकलेट,1 पेन, सर्टिफिकेट, बैच व 1 कार स्टिकर भेजा गया।
- पावन भंडारे के अवसर भी दो बड़े डॉक्टरों द्वारा उनकी इस उपलब्धि पर सम्मानित किया गया।
मुश्किल में फंसे लोगों की जान बचाना ही मकसद : इन्द्रजीत इन्सां
इन्द्रजीत इन्सां ने कहा कि मैंने सपने में भी नहीं सोचा था कि मेरे द्वारा किया जाने वाला कार्य 1 दिन रिकॉर्ड बनेगा। मेरा उद्देश्य एसडीपी डोनेट कर लोगों की जान बचाना है। इंद्रजीत सिंह बताते हैं कि जब भी उन्हें एसडीपी के लिए कॉल आता तो वह रात के 12 बजे हो या 2 या कोई भी समय क्यों न हो अपना काम छोड़कर अस्पताल पहुंच जाते हैं। कोटा में ही नहीं बल्कि जयपुर भी जाकर एसडीपी डोनेट कर लोगों की जान बचाई है। उन्होंने कहा कि ये सब पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की पावन प्रेरणाओं की बदौलत ही संभव हुआ है।
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