गहलोत सरकार ने कम किया वैट
जयपुर (सच कहूँ न्यूज)। राजस्थान सरकार ने पेट्रोल पर चार रूपए एवं डीजल पर पांच रूपए प्रति लीटर वैट घटाने, कल्याणकारी गतिविधियों के लिए नि:शुल्क भूमि आवंटन एवं जनजाति क्षेत्र में छात्रावास एवं आवासीय विद्यालयों के लिए वार्डन का अलग कैडर बनाने सहित कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए हैं। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की अध्यक्षता में मंगलवार रात हुई राज्य मंत्रिपरिषद् की बैठक में ये फैसले किए गए। बैठक में पेट्रोल एवं डीजल के वैट में कटौती को मंजूरी दी गई जो मंगलवार रात बारह बजे से लागू हो गई। उल्लखेनीय है कि राज्य सरकार ने पहले भी इस वर्ष के प्रारंभ में पेट्रोल-डीजल पर वैट में दो प्रतिशत की कमी कर प्रदेश की जनता को एक हजार करोड़ रूपए की राहत दी थी। इस निर्णय से राजस्व हानि बढ़कर 6300 करोड़ रूपए सालाना हो जाएगी।
केंद्र का यह कदम वित्तीय संघवाद की भावना के विपरीत
मंत्रिपरिषद् की बैठक में बताया गया कि पेट्रोलियम कंपनियों द्वारा पेट्रोल एवं डीजल की कीमतों में लगातार वृद्धि करने से केंद्र एवं राज्य सरकार द्वारा आमजन को दी गई राहत में कमी आ रही है। केंद्र सरकार ने वर्ष 2016 से पेट्रोल एवं डीजल पर बेसिक एक्साइज ड्यूटी को लगातार कम किया है और राज्यों के साथ साझा किए जाने वाले डिविजिएबल पूल के हिस्से को घटा दिया है। इससे राज्यों को मिलने वाले शेयर में कमी आई है, जबकि स्पेशल एवं एडिशनल एक्साइज ड्यूटी को लगातार बढ़ाया गया है। राज्यों को इस बढ़ोतरी का कोई हिस्सा नहीं मिलता। मंत्रिपरिषद ने कहा कि केंद्र का यह कदम वित्तीय संघवाद की भावना के विपरीत है।
राजस्व हानि बढ़कर 6300 करोड़ रूपए सालाना
बैठक में बताया गया कि कोविड लॉकडाउन के दौरान छह मई 2020 को केंद्र सरकार ने पेट्रोल पर 10 एवं डीजल पर 13 रूपए प्रति लीटर एक्साइज ड्यूटी बढ़ाई थी। इसके बाद इस वर्ष भी पेट्रोल की करीब 27 और डीजल की कीमत करीब 25 रूपए प्रति लीटर बढ़ी है। अब पेट्रोल पर केवल पांच रूपए और डीजल पर 10 रूपए प्रति लीटर कम कर जनता को राहत देने की बात कही जा रही है।
केंद्र द्वारा पेट्रोल पर 5 रूपए तथा डीजल पर 10 रूपए प्रति लीटर एक्साइज ड्यूटी में की गई यह कमी नाकाफी है और जनता को इससे स्थाई राहत नहीं मिल सकेगी। बैठक में बताया गया कि राज्य के कुल कर राजस्व का 22 प्रतिशत से अधिक हिस्सा पेट्रोल एवं डीजल पर वैट से आता है। कोविड वैश्विक महामारी के कारण चालू वित्तीय वर्ष में राज्य के राजस्व में अक्टूबर माह तक 20 हजार करोड़ रूपए की भारी कमी आई है। केंद्र द्वारा राज्य को 5,963 करोड़ रूपए के जीएसटी का पुनर्भरण उपलब्ध नहीं कराना भी इसका एक बड़ा कारण है।
प्रदेश में अन्य राज्यों के मुकाबले पेट्रोल की कीमत थी ज्यादा
मंत्रिपरिषद् ने कहा कि महंगे पेट्रोल एवं डीजल से आमजन को वास्तविक राहत देने के लिए जरूरी है कि केंद्र सरकार केंद्रीय पूल में आने वाली एडिशनल एक्साइज ड्यूटी एवं बेसिक एक्साइज ड्यूटी को और कम करे। यदि केंद्र सरकार द्वारा प्रति लीटर पेट्रोल पर एक्साइज ड्यूटी में 10 रूपए तथा डीजल पर 15 रूपए प्रति लीटर की कमी की जाती है तो प्रदेश के वैट में भी पेट्रोल पर 3 रूपए 40 पैसे प्रति लीटर तथा डीजल पर 3 रूपए 90 पैसे स्वत: कम हो जाएंगे। समस्त आर्थिक चुनौतियों के बावजूद राज्य सरकार प्रदेश की जनता को राहत देने के उद्देश्य से राज्य के राजस्व में होने वाली करीब 3500 करोड़ रूपए की अतिरिक्त हानि को भी वहन करने के लिए तैयार है।
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