डेंगू पीड़ितों के लिए रक्तदान कर रहे डेरा सच्चा सौदा के अनुयायी
सच कहूँ/राजू, ओढां। डेरा सच्चा सौदा के अनुयायी डेंगू पीड़ितों के लिए शिविर लगाकर लगातार रक्तदान कर रहे हैं। इसी के तहत ब्लॉक श्री जलालआणा साहिब की मंडी कालांवाली निवासी प्रेमी मोहन सिंह चलाना ने अपनी माता सचखंडवासी प्रकाश देवी इन्सां की याद में शुक्रवार को रक्तदान शिविर लगाया। शिविर में 38 यूनिट रक्तदान हुआ। शिविर का शुभारंभ इलाही नारे के साथ हुआ। शिविर में पूज्य बापू मग्घर सिंह जी इन्टरनैशनल ब्लड बैंक की टीम रक्त संग्रहण के लिए पहुंची। उपस्थित रक्तदाताओं को संबोधित करते हुए डॉ. संदीप भादू ने क हा कि रक्तदान करने से किसी तरह कि कोई शारीरिक कमजोरी नहीं आती अपितु रक्त पहले से अच्छा बनता है। रक्तदान से आत्मिक संतुष्टि के साथ-साथ हृदय संबंधि बीमारियों का भी खतरा कम हो जाता है। वहीं ब्लॉक भंगीदास सुरजीत सिंह इन्सां ने रक्तदाताओं का मनोबल बढ़ाते हुए कहा कि डेरा सच्चा सौदा के अनुयायी मानवता की सेवा में दिन-रात एक सजग प्रहरी के रूप में सेवा करते हैं। उन्होंने कहा कि इस समय डेंगू के केसों में वृद्धि हो रही है। ऐसे में रक्त की कमी आड़े न आए इसलिए डेरा सच्चा सौदा की साध-संगत की ओर से हर रोज रक्तदान शिविर लगाए जा रहे हैं।
डेंगू का प्रकोप जारी, ऐसे में किसी तरह की लापरवाही न बरतें
डेंगू का प्रकोप चल रहा है। ऐसे में किसी तरह की लापरवाही न बरतें। बुखार की शिकायत मिलने पर उपचार में देरी न करें। डेंगू का मच्छर दिन के समय काटता है। अपने आसपास सफाई का विशेष ध्यान रखें, पूरी बाजू के कपड़े पहनें, घरों के आसपास गंदा पानी एकत्रित न होने दें व प्राथमिक तौर पर गिलोय व श्याम तुलसी का सेवन अवश्य करें। अगर रक्तस्त्राव होता है या प्लेटलेट्स 20 हजार से कम होते हैं तो इलाज में देरी न करें। डेंगू के इस दौर में डेरा सच्चा सौदा के अनुयायी रक्तदान कर अति सराहनीय कार्य कर रहे हैं।
डॉ. संदीप भादू।
रक्तदाता बोले : आत्मिक संतुष्टि का हुआ अहसास
‘‘मैंने आज पहली बार रक्तदान किया है। पहले मुझे रक्तदान से भय लगता था, लेकिन आज मेरी झिझक दूर हो गई। मैं भविष्य में भी रक्तदान करती रहूंगी। साथ ही मैं अन्य महिलाओं से आहवान करती हूं कि रक्तदान जैसे पुनित कार्य में बढ़-चढ़कर योगदान दें। हमारी रक्त की बूंदे किसी की जिन्दगी बचा सकती हैं।
रानी देवी (गदराना)।
‘‘मैं आज पहली बार रक्तदान कर रही हूं। पहले मुझे रक्तदान से भय लगता था, लेकिन आज मेरा भय दूर हो गया। मैं आगे भी रक्तदान करती रहूंगी। किसी के लिए रक्तदान करने बड़ा कोई दान नहीं है। मैं तो यही कहती हूं कि जब भी मौका मिले रक्तदान अवश्य करना चाहिए। मुझे हर्ष है कि मेरा रक्त डेंगू पीड़ितों के काम आएगा।
जसविंदर कौर इन्सां (मंडी कालांवाली)।
‘‘मैंने आज अपनी सास प्रकाश देवी इन्सां की याद मेें रक्तदान कर उन्हें श्रद्धांजलि दी है। रक्तदान से बढ़कर कोई दान नहीं है। पूज्य गुरू जी ने हमें यही सिखाया है कि हमें इंसानियत की सेवा के लिए हर समय तत्पर रहना है। रक्तदान से मुझे आत्मिक संतुष्टि मिलती है। मुझे इस बात की खुशी है कि मेरा रक्त इन्सानियत की सेवा में काम आ रहा है। मैं भविष्य में लगातार रक्तदान करती रहूंगी।
ईशा इन्सां (मंडी कालांवाली)।
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