प्रैक्टिस को तरस रहे ग्रामीण खिलाड़ी
सच कहूँ/तरसेम सिंह, जाखल। भारत को टोक्यो ओलंपिक में सबसे ज्यादा मेडल जिस राज्य के खिलाड़ियों ने दिलवाए थे, अब उसी राज्य के खिलाड़ी प्रैक्टिस करने को तरस रहे हैं। इन खिलाड़ियों की प्रैक्टिस में बाधा बन गया है, गेहूं सीजन में गौशाला के लिए सूखा चारा, और धान के सीजन में पराली की गांठें। जाखड़ खंड में लगभग 25 लाख से 30 लाख की लागत से दो व्यायामशाला बनाई गई थी। लेकिन इनकी हालत शुरू से ही दयनीय हैं ऐसे में कैसे लोग योग सीखकर निरोग रहेंगे और खिलाड़ी अपनी प्रैक्टिस कर पाएंगे? व्यायामशालाओं में जहां उबड़-खाबड़ मैदान है, वहीं के गेट तक टूटे हुए हैं शौचालय में पानी की व्यवस्था उचित ढंग से नहीं है।
वही इन व्यायामशालाओं की बार-बार राष्ट्रीय समाचार पत्रों में समाचार पत्र प्रकाशित होने के बावजूद भी संबंधित विभाग के कान पर जूं तक नहीं रेंग रही। व्यायामशाला में या तो गेहूं के सीजन में गौशाला के लिए सूखा चारा एकत्रित किया जाता है। और धान के सीजन के टाइम इसमें फसलों के अवशेष की गांठें रख दी जाती हैं। बाकी के दिनों में इन में भेड़ बकरियां व भैंसें चराने के काम आती हैं। कुल मिलाकर केंद्र सरकार की नीति और हरियाणा मनोहर सरकार की नीति धरातल स्तर तक नहीं पहुंच पाती। स्कोर संबंधित विभाग के अधिकारियों की लापरवाही कहें या लोगों में जागरूकता का अभाव। मतलब साफ है कि शाम के समय यहां खिलाड़ी खेलने के लिए तो पहुंचते हैं लेकिन जब यहां व्यायामशाला की सुविधा में होकर इन व्यायामशालाओं को किसी और काम के लिए प्रयोग होता देख निराश घर लौट आते हैं।
खिलाड़ियों में व्यापक रोष
गांव चांदपुरा के हर्षदीप सिंह, जगतार सिंह, हरजिंदर सिंह, सनी सिंह, गुरविंदर सिंह, प्रदीप सिंह, लवी, जगसीर, जुगलाल, हैरी, अनमोल, लवप्रीत, अमनदीप, गुरप्रीत, दीपक व हरप्रीत इत्यादि युवाओं ने इससे पहले भी बीडीपीओ को एक मांग पत्र सौंपा था उसके बावजूद भी संबंधित विभाग के अधिकारी कान पर जूं तक नहीं रेंगी। खिलाड़ियों ने बताया कि उन्होंने अपनी जेब खर्च से कोटवाल इत्यादि खेलने के लिए वहां पर नेटवर्क ऐरा लगाया था लेकिन वह भी धान के अवशेषों में छुपा दिया गया है। खिलाड़ियों ने बताया कि गांव के पास 80 एकड़ से भी ज्यादा पंचायती भूमि है। इंधन के अवशेषों को रखने के लिए पंचायती जमीन का कुछ हिस्सा रख लेना चाहिए। या फिर ठेके पर ले ले लेनी चाहिए व्यायामशाला है तो इसको व्यायामशाला ही रहने दे दिया जाना चाहिए। इसके अलावा इस व्यायामशाला में न कोई ओपन जिम का प्रबंध है और ना ही कोई प्रैक्टिस करने की अन्य प्रशासन की ओर से समान उपलब्ध करवाया जा रहा। ऐसे में बच्चे कहां योग सीखें और कहां खेले। बिना खेल के मैदान के कैसे गोल्ड मेडल लेकर आएंगे। जिससे खिलाड़ियों में व्यापक रोष बना हुआ है।
क्या कहते हैं अधिकारी
इस बारे में ग्राम सचिव सुखबीर सिंह ने बताया कि कई वर्षों से पंचायत ने कृषि विभाग को यही जगह लिखित में देकर निर्धारित की हुई है। जिस कारण हर वर्ष यहां पर पराली की गांठें रख दी जाती हैं। अगर खिलाड़ियों को कोई परेशानी आ रही है तो जल्दी इसको उठाने का समाधान करेंगे।
राजकीय सीनियर सेकेंडरी स्कूल के वीटी अध्यापक रवि लोट ने कहा अंतरराष्ट्रीय योग दिवस से पूर्व में उनको आदेश मिले थे कि ग्रामीणों को योगा सिखाया जाए और अंतरराष्ट्रीय दिवस धूमधाम से मनाया जाए, हमने वहां पर उस समय तैयारी करवा कर योग दिवस मनाया था। उन्होंने कहा कि सरकार को चाहिए कि जल्दी योग टीचर और कराटे टीचर भर्ती करने चाहिए ताकि लोग निरोग रहे।
अन्य अपडेट हासिल करने के लिए हमें Facebook और Twitter, Instagram, LinkedIn , YouTube पर फॉलो करें।