नई दिल्ली। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) और भारतीय वायु सेना ने देश में ही विकसित स्मार्ट एंटी-एयरफील्ड हथियार के संयुक्त रुप से दो सफल उड़ान परीक्षण किए हैं। आधिकारिक जानकारी के अनुसार सैटेलाइट नेविगेशन और इलेक्ट्रो आॅप्टिकल सेंसर पर आधारित दो अलग-अलग विन्यासों का सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया है। बम के इस वर्ग का इलेक्ट्रो आॅप्टिकल सीकर आधारित उड़ान परीक्षण देश में पहली बार किया गया है। इलेक्ट्रो आॅप्टिक सेंसर को स्वदेशी रूप से विकसित किया गया है। हथियार को गत 28 अक्टूबर और आज यानी बुधवार दो दिन राजस्थान के जैसलमेर में चंदन पर्वतमाला से भारतीय वायुसेना के विमान द्वारा लॉन्च किया गया था।
मिशन के सभी उद्देश्यों को हासिल किया गया
इस सिस्टम का इलेक्ट्रो आॅप्टिकल कॉन्फिगरेशन इमेजिंग इंफ्रा-रेड (आईआईआर) सीकर तकनीक से लैस है जो हथियार की सटीक स्ट्राइक क्षमता को बढ़ाता है। दोनों परीक्षणों में लक्ष्य को उच्च सटीकता के साथ निशाना बनाया गया था। सिस्टम को अधिकतम 100 किलोमीटर की दूरी के लिए डिजाइन किया गया है। नए अनुकूलित लांचर ने हथियार की सुचारू रिलीज और निष्कासन सुनिश्चित किया। टेलीमेट्री और ट्रैकिंग सिस्टम ने पूरी उड़ान के दौरान सभी मिशन कार्यक्रमों को कैप्चर किया। मिशन के सभी उद्देश्यों को हासिल किया गया ।
बेंगलुरु ने विमान के साथ हथियार का एकीकरण किया
स्मार्ट एंटी एयरफील्ड हथियार को रिसर्च सेंटर (आरसीआई) द्वारा अन्य डीआरडीओ प्रयोगशालाओं के समन्वय और वायुसेना के सहयोग से डिजाइन और विकसित किया गया है। गुणवत्ता और डिजाइन प्रमाणन एजेंसियों ने इसके विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल), बेंगलुरु ने विमान के साथ हथियार का एकीकरण किया है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने डीआरडीओ और वायु सेना तथा मिशन से जुड़ी टीमों के साझा एवं सामंजस्यपूर्ण प्रयासों की सराहना की है। डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ. जी सतीश रेड्डी ने टीमों को बधाई देते हुए कहा कि हथियार का प्रदर्शन और विश्वसनीयता साबित हो गई है।
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