मुआवजे के लिए बनें मापदंड

Rain and Hail

हर साल की तरह इस बार भी बेमौसमी बारिश व आंधी ने किसानों की तैयार फसलों पर पानी फेर दिया। पंजाब, हरियाणा सहित कई राज्यों में कपास-धान की फसल के भारी नुक्सान की खबरें हैं। यह भी चलन है कि हर बार कृषि मंत्री या राजस्व मंत्री द्वारा फसलों के नुक्सान की गिरदावरी करवाने के तुरंत आदेश दिए जाते हैं, लेकिन मुआवजा राशि नाममात्र की ही होती है। इसी प्रकार मुआवजा की रिपोर्टें तैयार करने में ढील बरती जाती है। पंजाब सरकार ने इस बार भी 12000 रुपए प्रति एकड़ कपास का मुआवजे के मांग मान लेने की घोषणा की है लेकिन किसान संगठन 50 हजार मुआवजे के लिए धरने भी दे रहे हैं।

जहां तक मुआवजा राशि का संबंध है, यह राशि बहुत कम है जिससे लागत कीमतें भी नहीं मिल पाती। यदि फसल तैयार होने से पूर्व ही खराब हो जाए तब उस पर लागत खर्च कम आता है लेकिन जो फसल पक चुकी हो, उस पर बीजों, खादें, कीटनाशकों, मजदूरी व किसान की खुद की मेहनत को जोड़ा जाए तब 12 हजार की राशि बहुत कम है। ठेके पर जमीन लेकर खेती करने वालों के लिए तो ऐसे हालात बेहद मुश्किल वाले बन जाते हैं। पंजाब में धान की जमीनों का ठेका 50-70 हजार के करीब है। ऐसे किसानों को भारी नुक्सान होता है। केंद्र और राज्य सरकार यदि वास्तव में ही किसान की हितैषी हैं तो खराब फसलों की मुआवजा राशि पर मंथन के साथ-साथ मार्केट में ठेके की कीमतों को भी अनदेखा नहीं किया जाना चाहिए। अधिक उपजाऊ और धान वाली जमीनों में फसलों के नुक्सान के लिए मुआवजा राशि 30 हजार रुपए से अधिक होनी चाहिए।

इसी प्रकार प्राकृतिक कहर में समान मापदंड होने चाहिए। अब तक केवल खेत में खड़ी फसल का ही मुआवजा दिया जाता रहा है, जबकि प्रकृति के कहर में तो मंडियों में पड़ी फसलों का भी नुक्सान होता है। यहां सरकारें भी किसानों की दुर्दशा के लिए जिम्मेदार हैं। बेमौसमी बारिश के कारण मंडियों में शैड़ों का प्रबंध नहीं होने के कारण मंडियां पानी से भर जाती हैं, जिससे हर साल करोड़ों रुपए का अनाज बर्बाद होता है लेकिन इस नुक्सान को मुआवजे के लिए नहीं गिना जाता। मंडी प्रबंधों की जिम्मेदारी सरकार की है। इस मामलो में एक नई समस्या नुक्सान की रिपोर्टों के अंतर की भी है। सरकार सैटेलाइट से रिपोर्टें तैयार करवा रही है जो पटवारियों की रिपोर्टों के साथ मेल नहीं खा रही। इसका समाधान भी निकाला जाना चाहिए जो भी रिपोर्ट सही हो उसके अनुसार ही मुआवजा दिया जाना चाहिए।

 

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