पावन 32वें गुरगद्दी दिवस पर विशेष : पावन वचन सच हुए, हम थे, हम हैं, हम ही रहेंगे

Maha Paropkar Diwas

तीसरी बॉडी में ऐसा बब्बर शेर आएगा कि उसकी ओर कोई अंगुली नहीं उठा सकेगा। उस बॉडी के रूप में स्वयं प्रभु आकर सभी धर्म व जातियों के लोगों को भरपूर प्रेम प्रदान करते हुए अंदर वाले जिन्दाराम का खूब यश करेगा। जो लोग आश्रम के बारे में निंदा-चुगली करते हैं, वे भी उस बॉडी के आकर्षण के वशीभूत होकर आश्रम में आकर सबसे प्रेम करेंगे। तीसरी बॉडी आश्चर्यजनक रूप से आकाश से बने बनाए मकान उतारा करेगी। सारा का सारा काम सतगुरु स्वयं ही किया करेंगे। उस बॉडी की असीम ईश्वरीय शक्ति के बारे में सोचना भी व्यर्थ होगा।
-पूज्य बेपरवाह साईं शाह मस्ताना जी महाराज, (डेरा सच्चा सौदा के संस्थापक)

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जैसा हम चाहते थे बेपरवाह सार्इं शाह मस्ताना जी ने उससे भी कई गुना अधिक गुणवान (सर्वगुण संपन्न) नौजवान हमें ढूंढ कर दिया है। हम उन्हें ऐसा बब्बर शेर बनाएंगे जो मुंह तोड़ जवाब देगा। पहाड़ भी अगर इनसे टकराएगा तो वो भी चूर-चूर हो जायेगा। हमने इन्हें अपना स्वरुप बनाया है। इस बॉडी में हम खुद काम करेंगे। किसी ने घबराना नहीं। साध-संगत की सेवा व संभाल पहले से कई गुना बढ़कर होगी। डेरा व साध-संगत और नाम वाले जीव दिन दोगुनी रात चौगुनी, कई गुणा बढ़ेंगे। किसी ने चिंता, फिक्र नहीं करना। हम कहीं जाते नहीं, हर समय तथा हमेशा साध-संगत के साथ हैं।

पूजनीय परम पिता शाह सतनाम जी महाराज (डेरा सच्चा सौदा की दूसरी पातशाही)

23सितंबर के भाग्यशाली दिन की सुबह डेरा सच्चा सौदा में अनोखा उत्साह, उमंग और आनंद लेकर आई। जैसे ही मजलिस का कार्यक्रम शुरू हुआ तो पहले पूजनीय परम पिता शाह सतनाम जी महाराज स्टेज पर विराजमान हुए। फिर पूजनीय परम पिता जी के हुक्म अनुसार पूजनीय बापू नंबरदार मग्घर सिंह जी व पूजनीय माता नसीब कौर जी इन्सां श्री गुरूसर मोडिया वाले के लाडले (पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां) को आदर सहित स्टेज पर पूजनीय परम पिता जी के साथ सुशोभित किया गया।

बहुत ही आनंदमय रुह को खींचने वाला वो नजारा साध-संगत को मस्त कर रहा था। पूजनीय परम पिता शाह सतनाम जी महाराज ने अपने पवित्र कर-कमलों से एक सुंदर हार आप जी (पूज्य गुरू जी) के गले में पहनाया और प्रसाद खिलाकर गुरगद्दी की रस्म को पूरा किया। पूजनीय परम पिता जी ने इस मौके गुरगद्दी बख्शिश को लेकर अनमोल वचन फरमाए व इस संबंधी अपना हुक्मनामा भी पढ़वाकर साध-संगत को जारी किया। गुरगद्दी के इस पवित्र दिवस पर साध-संगत को हलवे का प्रसाद बांटा गया। रूहानियत में गुरगद्दी की बहुत ही महत्ता होती है। पूर्ण संत सतगुरू मालिक के हुक्म अनुसार दुनिया के उद्धार के लिए अपने रूहानी वारिस के बारे में साध-संगत को अवगत करवाते हैं। इतिहास में बहुत बार ऐसा ही हुआ जब किसी गुरू-महापुरूष ने बताया कि उसके बाद कौन होगा।

परंतु पूजनीय परम पिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज ने रूहानियत के इतिहास में नई मिसाल कायम की। आप जी ने अपने पावन कर-कमलों से गुरुगद्दी की रस्म पूरी की और सवा साल तक पूज्य गुरू संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां के साथ स्टेज पर विराजमान रहे। आप जी ने गुरगद्दी बख्शिश वाले दिन से ही डेरा सच्चा सौदा की सभी जिम्मेवारियां पूज्य हजूर पिता जी को सौंप दी।

साध-संगत की सेवा व संभाल पहले से कई गुना बढ़कर होगी

इस शुभ अवसर पर साध-संगत में भी वह पवित्र प्रशाद बांटा गया। इस अवसर पर पूजनीय परम पिता शाह सतनाम जी महाराज ने साध-संगत में फरमाया, अब हम जवान बनकर आए हैं। इस बॉडी में हम खुद काम करेंगे। किसी ने घबराना नहीं। ये हमारा ही रूप हैं। साध-संगत की सेवा व संभाल पहले से कई गुना बढ़कर होगी। डेरा व साध-संगत और नाम वाले जीव दिन दोगुनी रात चौगुनी, कई गुणा बढ़ेंगे। किसी ने चिंता, फिक्र नहीं करना। हम कहीं जाते नहीं, हर समय तथा हमेशा साध-संगत के साथ हैं। इस तरह पूजनीय परम पिता जी ने जहां गुरुगद्दी की रस्म को मर्यादापूर्वक सम्पन्न करवाया, वहीं साथ ही डेरा सच्चा सौदा और समस्त साध-संगत की तरक्की कला की कामना करते हुए कई गुना बढ़कर सेवा व संभाल के वचन भी किए।

4-5 वर्ष की उम्र में पूजनीय परम पिता जी से प्राप्त किया ‘गुरूमंत्र’

आप जी ने बाल अवस्था के दौरान ही 4-5 वर्ष की उम्र में पूज्य परम पिता शाह सतनाम जी महाराज से गुरूमंत्र की अनमोल दात ग्रहण की तथा निरंतर रूहानी सत्संग पर आते और परम पिताजी का प्यार प्राप्त करते। आप जी हर बार सत्संग में नए लोगों को अपने साथ ट्रैक्टर-ट्रॉली में लेकर आते तथा पूजनीय परम पिता जी से नाम की अनमोल दात दिलवाते। आप जी को सत्संग और सेवा कार्य के समय पूजनीय परम पिता जी ने अनेक बार ऐसे वचन फरमाये जो आप जी के अगले रूहानी वारिस होने का साफ इशारा कर रहे थे।

पूजनीय परमपिता शाह सतनाम जी महाराज के पावन आदेश पर आप जी ने घर परिवार का त्याग करते हुए 23 सितम्बर 1990 को अपना सर्वस्व अपने सतगुरु मुर्शिद-ए-कामिल पूज्य परम पिता जी के चरणों में समर्पित कर दिया। इस पाक पवित्र अवसर पर पूजनीय परमपिता जी ने ‘हम थे (पूज्य बेपरवाह शाह मस्ताना जी महाराज के रूप में), हम हैं पूज्य (परमपिता शाह सतनाम जी के रूप में)और हम ही (पूज्य गुरू संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां के रूप में) रहेंगे’ वचन फरमाकर रूहानियत में एक नई मिसाल कायम की।

श्रीगुरूसर मोडिया में लिया पावन अवतार

जिला श्रीगंगानगर (राजस्थान) के गांव की पावन धरती श्रीगुरूसर मोडिया में परम पूज्य बापू नंबरदार मग्घर सिंह जी के घर परम पूज्य माता नसीब कौर जी इन्सां की पवित्र कोख से 15 अगस्त 1967 को पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने अवतार धारण किया। पूजनीय माता-पिता के घर 18 सालों बाद जन्म लेने पर खुशियों का आलौकिक नजारा पूरी कायनात में छा गया। वास्तव में गांव के ही आदरणीय संत त्रिवेणी दास जी ने आप जी के जन्म से पहले ही पूजनीय बापू जी को बता दिया था कि उनके घर ऐसा-वैसा बच्चा जन्म नहीं लेगा, बल्कि वह तो मालिक का अपना ही रूप होगा, परंतु वह आएगा तब जब परमात्मा खुद उसे भेजेगा।’और आखिर वो शुभ घड़ी आ गई जिसके लिए दुनिया भी पलकें बिछाए बैठी थी। पूर्ण मुर्शिद के अवतार धारण से चारों दिशाएं भी शंखनाद कर उठी। संत त्रिवेणी दास जी ने पूजनीय बापू जी को ये भी बताया कि वह महान हस्ती आप जी के पास 23 साल की उम्र तक ही रहेगी, फिर उस मालिक के पास चले जाएंगी, जिस उद्देश्य के लिए परमात्मा ने उनको यहां भेजा है। वह खुद ही भगवान का रूप हैं।

Gurusar-Modiya

यहां भी तूं, वहां भी तूं…

एक बार पूजनीय परम पिता जी ने शाह सतनाम जी आश्रम, बरनावा (यूपी) में सत्संग करने के लिए पूज्य गुरु जी को अकेले ही भेज दिया और स्वयं शाह मस्ताना जी धाम में ही उपस्थित रहकर रोजाना की भांति साध-संगत को दर्शन देते रहे। यूपी में भी पावन दर्शन, सरसा में भी पावन दर्शन, ऐसा महान परोपकार कभी नहीं भुलाया जा सकता। यही तो सच्चे सतगुरु की पहचान है, यहां भी तूं, वहां भी तूं, जिधर देखूं बस, तू ही तू। जब पूज्य गुरु जी एवं पूजनीय परम पिता जी एक ही आश्रम में होते तो साध-संगत खुशियों से सराबोर हो जाती। पूजनीय परम पिता जी व पूज्य हजूर पिता जी मंच से दर्शन देकर गुफा में जाते तो कुछ देर बाद कभी पूज्य गुरु जी बाहर आते तो कभी परम पिता जी, जिससे चारों तरफ दर्शनों की वर्षा होती रहती और अपने सतगुरु का नूरी नजारा पाकर साध-संगत अपने आप को भाग्यशाली महसूस करती।

‘हुकुमनामा’ : ‘जो जीव इन पर विश्वास करेगा वो हम पर विश्वास करता है’

22 सितंबर 1990 दिन शनिवार, डेरा सच्चा सौदा की दूसरी पातशाही पूज्य परम पिता शाह सतनाम जी महाराज के हुक्मानुसार जब पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां अपने परिवार सहित आश्रम आए तो आप जी को अपना वारिस घोषित करने बारे परम पिता जी ने आप जी (पूज्य गुरु जी) के पिता जी (पूज्य बापू नम्बरदार मग्घर सिंह जी) से पूछा, क्यों बेटा, खुश तो हो ? तब पूज्य बापू जी ने हाथ जोड़कर कहा सच्चे पातशाह जी सब कुछ आप जी का ही है, हमारी तो सारी जायदाद भी बेशक बांट दो। इस पर पूज्य परम पिता जी ने फरमाया, हमने इनकी (पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां) की झोली में दोनों जहानों की दौलत डाल दी है। तुम किसी बात का फिक्र न करो। मालिक हमेशा तुम्हारे अंग-संग है।

इसके बाद 23 सितम्बर 1990 को सुबह 9 बजे आखिरकार वो स्वर्णिम समय आ ही गया। जो डेरा सच्चा सौदा के इतिहास में विशेष महत्व रखता है। पूजनीय परम पिता जी ने डेरा सच्चा सौदा की पवित्र मर्यादा के अनुसार पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां को स्टेज पर अपने पवित्र कर कमलों से अपना उत्तरधिकारी घोषित कर मानवता के ऊपर महान उपकार किया तो कण-कण हर्षा उठा।

‘‘पूजनीय परम पिता जी ने आप जी को अपना उत्तरधिकारी घोषित करते हुए साध-संगत के नाम अपना हुकुमनामा भी पढ़वाया कि ‘संत गुरमीत जी’ को जो शहंशाह मस्ताना जी के हुकुम से बख्शीश की गई है वह सत्पुरुष को मंजूर थी, इसलिए जो भी इनसे (पूज्य हजूर पिता जी से) ‘प्रेम करेगा वो मानो हमारे से प्रेम करता है ’। जो जीव इनका हुकुम मानेगा वो मानो हमारा हुकुम मानता है। जो जीव इन पर विश्वास करेगा वो मानो हमारे पर विश्वास करता है। जो इनसे भेदभाव करेगा वो मानो हमारे से भेद भाव करता है। ये रूहानी दौलत किसी बाहरी दिखावे पर बख्शिश नहीं की जाती, इस रूहानी दौलत के लिए वो बर्तन पहले से ही तैयार होता है जिसे सतगुरु अपनी नजर मेहर से पूर्ण करता है और अपनी नजर मेहर से उनसे वो काम लेता है जिसके लिए दुनिया वाले सोच भी नहीं सकते।

‘गुरमीत सिंह बड़ा हंसमुख है, जब भी देखो हंसता रहता है

बीकानेर प्रवास के दौरान एक दिन पूजनीय परम पिता शाह सतनाम जी महाराज अपने कक्ष में विराजमान हुए थे। जहां दो सेवादार भी उनके सानिध्य में बैठे थे। इस दौरान आप जी (पूज्य हजूर पिता जी) को याद करते हुए आप जी ने फरमाया कि ‘‘ गुरमीत सिंह (गुरगद्दी से पहले का नाम) बड़ा हंसमुख है, जब भी देखो हंसता रहता है, खर्चीला भी बहुत है, हालांकि वह सारा खर्च परमार्थ के लिए ही करता है। इसे कहा करो कि यहां इतना खर्च न किया करे। इकलौता लड़का होने के कारण घर वालों का लाडला है, लेकिन मालिक की मेहर द्वारा अच्छे रास्ते पर लगा हुआ है।’’ परम पिता जी हमेशा पूज्य गुरु जी की चिंता किया करते। एक दिन की बात है कि आप जी कुछ समान खरीदने बाजार गए हुए थे। जब आप जी बहुत देर तक वापिस नहीं आए तो पूजनीय परम पिता जी बाहर संगत में ही बैठे रहे और बार-बार यही फरमा रहे थे, ‘‘अब तक तो उन्हें आ जाना चाहिए था, पता नहीं इतनी देर क्यों लगा दी’’ तभी आप जी वहां पहुंच गए। परम पिता जी ने फरमाया, ‘‘भाई हम तुम्हारे इंजतार में ही बैठे थे। इतनी देर न लगाया करो, हमें आपकी फिक्र हो जाती है।’’

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जब पूज्य गुरु जी को देख, खिल उठे पूजनीय परम पिता जी

17 मई सन् 1989 दोपहर डेढ़ बजे पूजनीय परम पिता जी अपनी गाड़ी में द्वारा मलोट से भठिंडा के लिए रवाना हुए। भठिंडा पहुंचकर आप जी एक सत्संगी के घर ठहरे। वहां कई अच्छे डॉक्टरों से पूजनीय परम पिता जी के स्वास्थ्य की जांच करवाई गई। वहीं जब साध-संगत को ये पता चला कि पूजनीय परम पिता जी भठिंडा में ठहरे हुए हैं तो आस-पास की सभी साध-संगत दर्शनों के लिए आने लगी। इसी दौरान श्री गुरुसर मोडिया, जिला श्रीगंगानगर से पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां (गुरगद्दी मिलने से पहले) भी परम पिता जी से मिलने के लिए पहुंचे। पूज्य परम पिता जी आप जी के आते ही पलंग पर उठकर बैठ गए।

जैसे ही आप जी पूज्य परम पिता जी के पास पहुंचे तो पूज्य परम पिता जी का चेहरा प्रसन्नता से खिल उठा और ऐसा प्रतीत हुआ जैसे पूज्य परम पिता जी को कोई शारीरिक दिक्कत थी ही नहीं। पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां पूजनीय परम पिता जी के साथ लंबे समय तक खूब बातें करते रहे। वहां मौजूद सभी जिम्मेवार इस दृश्य को देखकर हैरान थे कि ज्यादा कमजोरी की वजह से जहां पूजनीय परम पिता जी को एक दो सेवादार सहारा देकर बैठाया करते थे, परन्तु आज पूजनीय परम पिता जी स्वयं ही उठकर बैठक गए।

‘रामनाम’ और ‘मानवता सेवा’ का बढ़ता गया कारवां

पूजनीय परम पिता शाह सतनाम जी महाराज द्वारा गुरगद्दी बख्शिश के बाद पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने पूरे विश्व में राम-नाम व मानवता की सेवा का डंका बजा रहे हैं। आप जी द्वारा दुनियाभर में चलाए जा रहे इंसानियत, मानवता भलाई व समाज सुधार कार्यों को आज हिन्दुस्तान ही नहीं अपितु दुनिया के विभिन्न देशों की सरकारों व अंतर्राष्टÑीय संस्थाओं ने सर माथे लेते हुए सलाम किया है। समाज में व्याप्त कुरीतियों का खात्मा करने हेतू पूज्य गुरु जी ने मानवता भलाई के 135 कार्य शुरू किये, जिसमें रक्तदान, पौधारोपण, गरीबों को मकान बनाकर देना, शरीरदान, गुर्दादान, नेत्रदान, राशन वितरण, मंदबुद्धियों की संभाल, बेटियों को शिक्षित करना, कन्या भू्रण हत्या रोकना, नशों की रोकथाम सहित अन्य समाज भलाई के कार्य शामिल हैं।

पूज्य गुरु जी द्वारा चलाए गए इन मानवता भलाई कार्यों में से 20 से भी अधिक कार्य महिला उत्थान से संबंधित है जिसमें कुल का क्राउन, शुभदेवी, नई सुबह, आशीर्वाद, आत्म सम्मान, लज्जा रक्षा, ज्ञान कली, जीवन आशा सहित अन्य मुहिम शामिल हैं। आज देश-विदेश में आज 6 करोड़ से अधिक श्रद्धालु आपजी की प्रेरणाओं से मानवता भलाई कार्यों में लगे हुए हैं। पूज्य गुरु जी ने धर्म, जात व मजहब के फेर में उलझी संपूर्ण मानव जाति को न केवल एकता व भाईचारे का संदेश दिया अपितु नि:स्वार्थ भाव से अपना हर पल मानवता के कल्याणार्थ समर्पण कर दिया। मानवता भलाई में 79 वर्ल्ड रिकॉर्ड डेरा सच्चा सौदा के नाम पर दर्ज हैं। पूज्य गुरु जी ने धरा को स्वच्छ बनाने के लिए 21 सितंबर 2011 को देश की राजधानी दिल्ली से ‘हो पृथ्वी साफ, मिटें रोग अभिशाप’ महासफाई अभियान का आगाज किया जिसके अब तक 32 चरण पूरे हो चुके हंै।

 

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