एक शिष्य और दो पुजारियों को पुलिस ने हिरासत में लिया
प्रयागराज। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के महंत नरेंद्र गिरि की संदिग्ध मौत अभी पुलिस के लिए अनसुलझी पहेली बनी हुई है। बता दें कि सोमवार को बाघंबरी मठ में उनका शव मिला था। हालांकि शुरूआती जांच में इसे खुदकुशी कहा जा रहा था। नरेंद्र गिरि की मौत से जुड़े इस पूरे घटनाक्रम पर उनके शिष्य निर्भय द्विवेदी ने नया खुलासा किया है। निर्भय द्विवेदी का कहना है महंत नरेन्द्र गिरी की दैनिक दिनचर्या जैसे होती थी, सुबह 5 बजे चाय पीना, 7 बजे तक नीचे आ जाना। मैं सुबह 7.30 बजे उठा, 8 बजे उनको प्रणाम करके मंदिर चला गया।
द्विवेदी ने आगे बताया कि शाम को जब वो लौटा तो मालूम हुआ कि महंत जी ने सभी के साथ भोजन किया, 12 बजे भोजन करने के बाद वो ऊपर चले गए। अपने कमरे में करीब आधा घंटा रूकने के बाद वे फिर से नीचे आ गए। नीचे आकर वह बगल वाले कमरे में आराम करने के लिए गए, तब महंत नरेंद्र गिरि ने कहा कि मुझसे कोई मिलने आ रहा है, इसलिए यही रहूंगा। महंत जी ने सभी से कहा था कि आज कोई डिस्टर्ब नहीं करेगा। हालांकि, वो मिलने वाला कौन था, इस बारे में निर्भय द्विवेदी ने कुछ नहीं बताया।
गौरतलब है कि सोमवार को ही प्रयागराज से महंत नरेंद्र गिरि की मौत की खबर सभी के सामने आई थी। मठ के आवास में नरेंद्र गिरि का शव लटका हुआ मिला था, जब बाद में पुलिस ने तलाशी ली तो एक सुसाइड नोट भी मिला। ये सुसाइड नोट करीब 6-7 पेज का बताया जा रहा है। प्रयागराज पुलिस ने इस मामले में एफआईआर दर्ज कर ली है। वहीं सुसाइड नोट में जिस शिष्य आनंद गिरि का ज़िक्र मिला, उसे हरिद्वार से हिरासत में ले लिया। वहीं प्रयागराज से भी दो पुजारियों को हिरासत में लेने की खबरें हैं।
प्री प्लांड जैसी सुसाइड नोट की भाषा
पुलिस सूत्रों के अनुसार घटना स्थल से मिले सुसाइड नोट को पढ़कर ऐसे लग रहा है जैसे यह सब पहले से तय हो और कई दिनों से इसको लेकर मंथन चल रहा हो। कई महंतों का दावा है कि महंत जी बहुत नहीं लिखते थे। वहीं प्रयागराज अखिल भारतीय संत समिति और गंगा महासभा के महा सचिव जीतेंद्रानंद सरस्वती ने दावा किया है कि वह इतना बड़ा सुसाइड नोट लिख ही नहीं सकते। महंत जी सिर्फ हस्ताक्षर और काम चलाऊ लिखना जानते थे।
शिष्य ही लिखते-पढ़ते थे नरेंद्र गिरी के पत्र
गंगा सफाई आंदोलन में कानपुर के श्रमिक नेता रामजी त्रिपाठी के साथ नरेंद्र गिरी भी शामिल हुए थे। रामजी त्रिपाठी का दावा है कि नरेंद्र गिरी को कुछ भी पढ़ना लिखना नहीं आता था। उन्होंने बताया कि एक बार उनके सामने एक पत्र को पढ़ना था। तो नरेंद्र गिरी ने अपने शिष्य को बुलाया और पत्र पढ़वाया। इस पर रामजी त्रिपाठी के पूछने पर उन्होंने बताया था कि वह लिखना पढ़ना नहीं जानते हैं। राम जी त्रिपाठी ने बताया कि गंगा सफाई आंदोलन में लिखे गये पत्रों में उनका नाम अंकित कर दिया जाता था। प्रयागराज में नरेंद्र गिरी के शिष्य सतीश शुक्ल का कहना है कि महंत जी पिछले कुछ सालों में सिर्फ हस्ताक्षर करना सीख पाये थे। लेकिन वह 7-8 पन्ने लिख नहीं सकते थे। उनके हस्ताक्षर से आत्महत्या में लिखे पत्र का मिलान बेहद जरूरी है। सतीश दावा करते हैं कि वे एक लाइन नहीं लिख सकते थे।
आरोपी शिष्य आनंद गिरी का दावा महंत नहीं लिखते थे
नरेंद्र गिरी के आरोपी शिष्य का दावा है कि महंत नरेंद्र गिरी को लिखना-पढ़ना नहीं आता था। सुसाइड नोट में आनंद गिरि का नाम आने के बाद उन्होंने हरिद्वार से सुसाइड नोट पर बड़े सवाल खड़े किए हैं।
फंदे पर मिला था शव, पास में था सल्फास का डिब्बा
पुलिस जांच टीम के अनुसार हत्या की सूचना मिलने पर सर्वप्रथम जार्ज टाउन इंस्पेक्टर महेश सिंह पुलिस टीम के साथ पहुंचे। कमरे में महंत नरेंद्र गिरि का शव पंखे से लटका हुआ था। पास ही सल्फास का बंद डिब्बा रखा था। सुसाइड नोट भी बिस्तर के पास रखा था। उनके शिष्य बबलू ने ही सबको घटना की सूचना दी। बबलू का कहना है कि रविवार को गेहूं में रखने के लिए महंत जी ने सल्फास की गोलियां मंगाई थी। पुलिस ने मौके से उनके मोबाइल फोन को कब्जे में ले लिया है। इसके साथ ही सोमवार सुबह से आने व मिलने वालों की सूची पुलिस ने लेकर पूछताछ आरंभ कर दी है।
आनंद गिरी ने तीन करीबियों पर उठाई उंगली
वहीं आरोपी शिष्य आनंद गिरी ने इसे हत्या करार देते हुए इसके पीछे सिपाही अजय सिंह (गनर) के साथ ही मनीष शुक्ल, विवेक व अभिषेक मिश्र पर आरोप लगाया है। यह लोग प्रापर्टी का काम करते हैं और महंत के करीबी बताए जा रहे हैं। वहीं बताया जा रहा है कि पुलिस की एक टीम इनसे भी पूछताछ में जुटी है।
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