मुहिम इंसानियत। तिरस्कार नहीं, ये फरिश्तें करते हैं मंदबुद्धियों की सार-संभाल

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एक ओर मंदबुद्धि युवक को जाखल की साध-संगत ने परिजनों से मिलाया

  • पूज्य गुरू संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने शुरू की थी मुहिम

सच कहूँ/तरसेम सिंह
जाखल। पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां द्वारा चलाई गई मुहिम ‘इंसानियत’ के तहत डेरा सच्चा सौदा की साध-संगत ने अब तक सड़कोंं व सार्वजनिक स्थानों पर घूमते अनगिनत मंदबुद्धि महिला-पुरूषों, बच्चों, वृद्धों का इलाज करवा उन्हें उनके घरों तक पहुंचाया है और यह क्रम लगातार जारी है। कोई भी मानसिक रूप से विक्षिप्त डेरा सच्चा सौदा के सेवादारों के संपर्क में आता है तो वे उनकी अपनों से भी बढ़कर तब तक सेवा करते हैं जब तक कि वे पूरी तरह से स्वस्थ होकर अपने व परिजनों बारे जानकारी नहीं दे देते। इसी कड़ी में एक ओर मंदबुद्धि को जिला फतेहाबाद के ब्लॉक जाखल की साध-संगत ने परिजनों से मिलाने का काम किया है। भाई के मिलने पर परिवार के सदस्यों ने पूज्य गुरु जी को कोटि-कोटि नमन् करते हुए तहदिल से आभार प्रकट किया।

…जब भटकते-भटकते नामचर्चा घर में पहुंच गया अंगद

जानकारी के अनुसार शुक्रवार रात्रि अंगद मिश्रा भटकते-भटकते भूना रोड स्थित नामचर्चा घर में पहुंच गया। उसे देख नामचर्चा घर में मौजूद डेरा अनुयायी देवेंद्र कक्कड़ और सतीश कुमार इन्सां ये समझ चुके थे कि ये मंदबुद्धि है। डेरा श्रद्धालुओं ने बात करने की कोशिश की, लेकिन कोई जबाव नहीं आया। शायद उसे भूख लगी थी। उन्होेंने तुरंत सबसे पहले उसे भोजन खिलाया और उसका विश्वास जीतकर धीरे-धीरे बातचीत शुरू की। डेरा श्रद्धालुओं को सिर्फ इतना ही पता चल सका कि वह ट्रेन से जाखल पहुंचा है लेकिन कहां से आया है ये पता नहीं चल सका। उम्मीद की किरण तब दिखी जब अंगद मिश्रा ने एक मोबाइल नंबर बताया। जिम्मेवारों ने तुंरत उस नंबर को डायल किया तो पता चला कि ये नंबर अंगद के भाई प्रशाद मिश्रा का है जो पंजाब से था।

16 सितंबर की रात को पंजाब के मलोट से हो गया था लापता

सूचना मिलने पर शनिवार सुबह जब नामचर्चा घर में प्रशाद मिश्रा अन्य परिवारिक सदस्यों के साथ पहुंचा तो उसने बताया कि वह उतर प्रदेश के गांव कोआपुर बिलकर, तहसील ईकोना, जिला सराए बस्ती के रहने वाले हैं और पंजाब के जिला मलोट में मार्बल रगड़ाई का काम करते हैं। 16 सितंबर की रात्रि उसका मंदबुद्धि भाई लापता था। उन्होंने उसे हर जगह तलाश किया लेकिन कई पता नहीं चल सका। वह तो उम्मीद ही खो चुके थे, लेकिन शुक्र है कि डेरा सच्चा सौदा के अनुयायियों ने उसे उसके भाई से मिला दिया। इस सेवा कार्य में अजेब सिंह बरेटा, रामफल तलवाड़ा, मिस्त्री बलविंदर सिंह, देवेंद्र कक्कड़, सतीश शर्मा, चिमन हलवाई, काला साधनवास, अमरजीत इंसान सहित अन्य सेवादारों ने अहम भूमिका अदा की।

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