सरसा। पूज्य गुरू संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां फरमाते हैं कि इन्सान जितनी भी मालिक, परमात्मा की चर्चा करता है, उतनी ही बरकतें उसकी झोली में आती चली जाती हैं। लेकिन यदि इन्सान दुनिया की, अपने मां-बाप की, परिवार की व भगवान की निंदा, चुगली व बुराइयां करता है तो उसके जीवन से सभी बरकतें व खुशियां पंख लगाकर उड़ जाया करती हैं। इसलिए किसी भी कीमत पर किसी की निंदा, चुगली या बुराई न करो। किसी की बुराई करना अपने पांव पर कुल्हाड़ी मारने के समान है।
आप जी फरमाते हैं कि हमने सभी पवित्र धर्म ग्रंथ पढ़े। पवित्र रामायण, गुरबाणी, कुरान व बाईबल सभी में यही लिखा हुआ मिला, कि क्यों! बेवजह अपनी जुबान व अपने दिमाग को व्यर्थ में खपाते हो। दूसरों की निंदा मेल धोने के समान है, अगर आप पर निंदा करोगे तो आपके अंदर पाप कर्मों की मेल चढ़ती जाएगी और आप अपनी जिंदगी में हमेशा दुखी व परेशान रहोगे। आप जी ने फरमाया कि इन्सान जितना समय दूसरों की बुराई करने व बुरा देखने में लगाता है अगर उससे आधा समय भी वह अपना भला मांगने व अल्लाह, मालिक की चर्चा में लगा दे तो यकीनन उसके जन्मों-जन्मों के पाप कर्म पल में कट जाएंगे और वह मालिक की खुशियों से मालामाल हो जाएगा।
इसलिए कभी किसी को बुरा मत कहो। पूज्य हजूर पिता जी फरमाते हैं कि हमने आज तक किसी को भी अपनी बुराइयां गाते हुए नहीं देखा। संत, पीर, फकीर को छोड़ दो वो तो इस नाशवान दुनिया से भली-भांति वाकिफ हंै। कबीर जी ने लिखा है, ‘कबीरा सबते हम बुरे हमतज भला सब कोय, जिन ऐसा कर मानेया मीत हमारा सोये।’ इन्सान को अपनी कमियां नजर क्यों नहीं आती, जबकि उसको दूसरों की कमी तुरंत नजर आ जाती है। अपने गुण तो नजर आते हैं, लेकिन दूसरों के गुण क्यों छिप जाते हैं। इन्सान को अपने अवगुण देखने चाहिएं ताकि उसके दिल व दिमाग से अवगुण चले जाएं। दूसरों के हमेशा गुणों को देखो ताकि वे सभी गुण आप में चले आएं।
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