-डॉ संजय मित्तल
सीनियर बैंकर एंड
डॉक्टर आॅफ मैनेजमेंट
पिछले अंक में हमने आपको बताया की कॉमर्स एक ऐसा क्षेत्र है जिसमें बारहवीं कक्षा के बाद पढ़ाई के लगभग पंद्रह तरह के कोर्स मौजूद हैं। यदि विद्यार्थी कॉमर्स में अपना करियर बनाना चाहते हैं तो वह कई तरह के विकल्प और कोर्स का चुनाव कर सकते हैं। कॉमर्स में हमने आपको बताया की सबसे पहले आप बी-कॉम का चुनाव कर सकते हैं जोकि तीन वर्ष में की जाने वाली ग्रेजुएशन की डिग्री है। बी.कॉम, कॉमर्स और संबंधित विषयों में ग्रेजुएशन की डिग्री है। पाठ्यक्रम को वित्त, लेखा, कराधान और प्रबंधन जैसी धाराओं में प्रबंधकीय कौशल की एक विस्तार पूर्वक पढ़ाई प्रदान करने के लिए डिजाइन किया गया है।
कॉमर्स छात्रों के लिए बहुत सारे अवसर उपलब्ध हैं। ऐसे कई स्थान हैं जहां वे काम कर सकते हैं जैसे कि कॉपोर्रेट संगठनों, शैक्षणिक संस्थानों, बैंकों आदि में, परन्तु अगर बी कॉम के साथ एक पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री जोड़ ली जाये तो नौकरी के अवसर न सिर्फ दोगुने बल्कि बहुत ज्यादा बेहतर भी हो जायेंगे। हम आपको ऐसे ही कुछ कोर्सेज के बारे में बताएँगे जो बी कॉम के बाद या फिर बी कॉम के साथ साथ भी किये जा सकते हैं। पिछले अंक में हमने आपको चार्टर्ड अकाउंटेंट के कोर्स और स्कोप के बारे में बताया। हमने आपको बताया की आप चार्टर्ड अकाउंटेंट के क्षेत्र में कैसे अपना भविष्य बना सकते हैं। आज के इस अंक में हम आपको कंपनी सेक्रेटरी के कोर्स के बारे में विस्तारपूर्वक बताएँगे। चार्टर्ड अकाउंटेंट की ही तरह आप कंपनी सेक्रेटरी के कोर्स को भी बी कॉम के साथ या बी कॉम के बाद कर सकते हैं। कुछ छात्र चार्टर्ड अकाउंटेंट के साथ भी कंपनी सेक्रेटरी की डिग्री करना पसंद करते हैं जिससे के आपके करियर में तरक्की के मौके कई गुना बढ़ जाते हैं।
कंपनी सेक्रेटरी:
चार्टर्ड अकाउंटेंसी के बाद कंपनी सेक्रेटरी का कोर्स भारत में सबसे लोकप्रिय करियर विकल्पों में से एक है। यह कोर्स एक शानदार करियर पथ, वेतन और सम्मान प्रदान करता है। सीएस (कंपनी सेक्रेटरी) ग्रेजुएट डिग्री के समकक्ष 3 साल का प्रोफेशनल कोर्स है। कंपनी सेक्रेटरी (सीएस) कोर्स आईसीएसई (इंस्टीट्यूट आॅफ कंपनी सेक्रेटरीज आॅफ इंडिया) द्वारा संचालित किया जाता है। कंपनी एक्ट के तहत प्रत्येक सूचीबद्ध कंपनी और 10 करोड़ रुपये या उससे अधिक की चुकता शेयर पूंजी वाली प्रत्येक अन्य कंपनियों के बोर्ड में एक पूर्णकालिक कंपनी सचिव होना लाजमी है । प्रत्येक निजी कंपनी जिसकी चुकता शेयर पूंजी दस करोड़ रुपये या उससे अधिक है, में एक पूर्णकालिक कंपनी सचिव होना लाजमी है। इसलिए प्रत्येक कंपनी जिसकी 10 करोड़ रुपये या उससे अधिक की चुकता शेयर पूंजी है, को अनिवार्य रूप से पूर्णकालिक सीएस (कंपनी सचिव) नियुक्त करना आवश्यक है।
कंपनी सेक्रेटरी के पेशे में भविष्य:
जैसा की हमने आपको ऊपर के पैरा में बताया की कंपनी एक्ट के तहत प्रत्येक सूचीबद्ध कंपनी और 10 करोड़ रुपये या उससे अधिक की चुकता शेयर पूंजी वाली प्रत्येक अन्य कंपनियों के बोर्ड में एक पूर्णकालिक कंपनी सचिव होना लाजमी है। प्रत्येक निजी कंपनी जिसकी चुकता शेयर पूंजी दस करोड़ रुपये या उससे अधिक है, में एक पूर्णकालिक कंपनी सचिव होना लाजमी है । इसलिए, प्रत्येक कंपनी जिसकी 10 करोड़ रुपये या उससे अधिक की चुकता शेयर पूंजी है, को अनिवार्य रूप से पूर्णकालिक सीएस (कंपनी सचिव) नियुक्त करना आवश्यक है।
कंपनी सचिव एक आंतरिक कानूनी विशेषज्ञ; कंपनी के एक अनुपालन अधिकारी के तौर पर नियक्त किया जा सकता है। कॉपोर्रेट कानूनों, प्रतिभूति कानूनों और पूंजी बाजार और कॉपोर्रेट प्रशासन में एक विशेषज्ञ के तौर पर भी कंपनी सचिव की सेवा बहुत महत्वपूर्ण होती है। कॉपोर्रेट प्रशासन में सर्वोत्तम प्रथाओं पर निदेशक मंडल के मुख्य सलाहकार के रूप में भी कंपनी सचिव का पद बहुत ही महत्वपूर्ण होता है ।
कंपनी सचिव कंपनी के सभी नियामक अनुपालनों के लिए जिम्मेदार होता है। न केवल निजी क्षेत्र में, बल्कि भारत सरकार भी कंपनी सेक्रेटरी करियर के स्कोप प्रदान करती है। सरकारी वित्तीय संस्थान, स्टॉक एक्सचेंज, सार्वजनिक उद्यम ब्यूरो, राष्ट्रीयकृत बैंकों में कानून सेवाएं, कंपनी मामलों का विभाग भारत में सीएस के कुछ व्यापक क्षेत्र हैं।
- एक कंपनी सचिव एक कंपनी के कुशल प्रशासन के लिए जिम्मेदार है, विशेष रूप से वैधानिक और नियामक आवश्यकताओं के अनुपालन को सुनिश्चित करने के लिए और यह सुनिश्चित करने के लिए कि निदेशक मंडल के निर्णयों को लागू किया जाता है। एक कंपनी सचिव शीर्ष प्रबंधन में एक प्रमुख व्यक्ति होता है जिसे नीतिगत निर्णय लेने और निदेशकों और सीईओ द्वारा कुछ कानून अनुपालन करते समय परामर्श करना आवश्यक होता है।
- कंपनी सचिव की नियुक्ति बोर्ड के एक प्रस्ताव के माध्यम से की जाती है जिसमें वेतन सहित नियुक्ति के नियम और शर्तें शामिल होती हैं। एक कंपनी सचिव एक ही समय में उसकी सहायक कंपनी को छोड़कर एक से अधिक कंपनी में पद धारण नहीं कर सकता है। वेतन और भत्तों के तौर पर एक कंपनी सचिव को बहूत ही अच्छा पैकेज दिया जाता है।
कंपनी सचिव बनने के चरण:
जो छात्र 10+2 पास करने के बाद कंपनी सचिव के पाठ्यक्रम में शामिल होना चाहते हैं, उन्हें कंपनी सचिव पाठ्यक्रम को आगे बढ़ाने के लिए तीन चरणों से गुजरना पड़ता है अर्थात
फाउंडेशन कार्यक्रम
कार्यकारी कार्यक्रम
व्यावसायिक कार्यक्रम
जो छात्र ग्रेजुएशन पास करने के बाद कोर्स में शामिल होना चाहता है, उसे कंपनी सेक्रेटरीशिप के दो चरणों से गुजरना पड़ता है यानी
कार्यकारी कार्यक्रम
व्यावसायिक कार्यक्रम
फाउंडेशन प्रोग्राम में कला, विज्ञान या वाणिज्य स्ट्रीम (ललित कला को छोड़कर) के 10 + 2 पास छात्रों दाखिला ले सकते हैं। ललित कला को छोड़कर सभी धाराओं के ग्रेजुएट छात्रों द्वारा कार्यकारी कार्यक्रम में दाखिला लिया जा सकता है। सीएस कोर्स के एग्जीक्यूटिव प्रोग्राम को क्लियर करने के बाद ही प्रोफेशनल प्रोग्राम को आगे बढ़ाया जा सकता है
सीएस पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए महत्वपूर्ण तिथियां:
फाउंडेशन कार्यक्रम के लिए उसी वर्ष दिसंबर परीक्षा में बैठने के लिए 31 मार्च अगले साल जून परीक्षा के लिए 30 सितंबर कार्यकारी कार्यक्रम के लिए एक ही वर्ष में दिसंबर परीक्षा में दोनों मॉड्यूल में उपस्थित होने के लिए 28 फरवरी उसी वर्ष दिसंबर परीक्षा में एकल मॉड्यूल में उपस्थित होने के लिए 31 मई अगले वर्ष जून परीक्षा में दोनों मॉड्यूल में उपस्थित होने के लिए 31 अगस्त अगले वर्ष जून परीक्षा में एकल मॉड्यूल में उपस्थित होने के लिए 30 नवंबर।
सीएस कोर्स करने के लिए कोई आयु सीमा:
कंपनी सचिव कोर्स करने के लिए कोई आयु सीमा नहीं है। कोई भी उम्मीदवार अपनी सुविधा के अनुसार कोर्स कर सकता है। आपको कंपनी सचिव के भविष्य के लिए हमारी शुभकामनाएं। ज्यादा जानकारी के लिए ईमेल करें shsanjay.mittal@gmail.com (9592800921)। अगले अंक में हम आपको एम्म बीए के करियर के बारे में बताएंगे।
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