किसानों से बातचीत कर आंदोलन का सकारात्मक समाधान निकालें
चंडीगढ़ (सच कहूँ/अनिल कक्कड़)। लोकतंत्र में संवाद और विचारों के आदान-प्रदान से ही समाधान संभव है। इसलिए सरकार को बिना देरी किए किसानों के साथ संवाद स्थापित कर आंदोलन का सकारात्मक समाधान निकालना चाहिए। यह कहना है पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा का। हुड्डा पत्रकारों के सवालों का जवाब दे रहे थे। इस मौके पर उन्होंने मुजफ्फरनगर में हुई महापंचायत को शांतिपूर्ण और सफल करार देते हुए कहा कि इस महापंचायत ने एकबार फिर साबित कर दिया कि पूरे देश का किसान नये कृषि कानूनों के खिलाफ है और वह एमएसपी की गारंटी चाहता है। इसलिए सरकार को 7 महीने से बंद पड़ी वार्ता को फिर से शुरू करना चाहिए।
हरियाणा की बीजेपी-जेजेपी इकलौती सरकार है, जिसने कभी करनाल, कभी हिसार, रोहतक, तो कभी पीपली में बार-बार किसानों के ऊपर लाठियां बरसाई। ऐसा करके यह देश की सबसे बड़ी किसान विरोधी सरकार साबित हुई है। सरकार ने बार-बार मांग के बावजूद अबतक करनाल में किसानों पर बर्बरता से लाठीचार्ज करवाने वालों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की और न ही पूरे घटनाक्रम की हाईकोर्ट के सिटिंग या रिटायर जज की निगरानी न्यायिक जांच की मांग को ही माना।
ऐलनाबाद उपचुनाव और पंचायत चुनाव में जानबुझकर देरी
उपचुनाव को लेकर पूछे गए सवाल पर भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि सरकार ऐलनाबाद उप-चुनाव और पंचायत चुनाव में जानबूझकर देरी कर रही है। ऐसा लगता है कि सरकार चुनाव से बच रही है। क्योंकि उसे पता है कि जनता का इस सरकार से मोहभंग हो चुका है। गठबंधन की कुनीतियों के खिलाफ किसान समेत हर वर्ग में रोष व्याप्त है।
बेरोजगारी पर भी सरकार को घेरा
प्रदेश का युवा आज देश में सबसे ज्यादा बेरोजगारी झेल रहा है। सीएमआईई के मुताबिक हरियाणा में 35.7: बेरोजगारी दर है, जो राष्ट्रीय औसत से 4 गुना ज्यादा है। प्रदेश में अगर चंद पदों के लिए भी कोई भर्ती निकलती है तो उसके लिए लाखों युवा आवेदन करते हैं। यह स्थिति बेरोजगारी की विकरालता को बयां करती है। लेकिन इस समस्या से पार पाने के लिए सरकार के पास कोई कारगर नीति नहीं है।
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