नई परम्परा से कंपनियों को लाभ, व्यक्ति परेशान
सच कहूँ/संजय मेहरा
गुरुग्राम। पहले तो कोरोना के प्रकोप के चलते लोगों का जीवन काफी हद तक प्रभावित हुआ। अब कोरोना की रफ्तार धीमी भले ही पड़ी हो, लेकिन लोगों का निजी जीवन प्रभावित अभी भी हो रहा है। बड़ी-बड़ी कंपनियों ने कोरोना काल में वर्क फ्रॉम होम की नई परम्परा शुरू की। कहने को तो यह वर्क फ्रॉम होम है, लेकिन काम दफ्तर से भी ज्यादा करना पड़ता है। जो कि व्यक्ति के निजी जीवन में तनाव बढ़ा रहा है। इस तरह हर तीन व्यक्तियों में से एक व्यक्ति का काम के तनाव के कारण निजी जीवन प्रभावित हुआ है।
स्वास्थ्य और कल्याण के प्रति उपभोक्ता व्यवहार में समग्र बदलाव को समझने के लिए आईसीआईसीआई लोम्बार्ड ने विभिन्न मेट्रो शहरों में आंशिक वर्क फ्रॉम होम (डब्ल्यूएफएच) और पूर्ण वर्क फ्रॉम होम जैसी विभिन्न कामकाजी स्थितियों के साथ 1532 से अधिक लोगों के साथ एक अखिल भारतीय सर्वेक्षण किया गया। इस सर्वेक्षण से पता चला है कि दिल्ली, बैंगलोर, कोलकाता और पुणे जैसे प्रमुख मेट्रो शहरों के लिए शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य अनुपात में गिरावट आई है। मानसिक स्वास्थ्य के मामले में भी अहमदाबाद सबसे अलग मिला।
इन शहरों में हुए सर्वेक्षण के नतीजों में यह सामने आया है कि काम के तनाव के कारण हर तीन में से एक व्यक्ति का निजी जीवन प्रभावित हुआ है। कोरोना ने उन लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर एक बोझ दिया है, जो वर्क फ्रॉम होम यानी घर से काम कर रहे हैं। जो पोस्ट कोविड के दौरान स्वास्थ्य की स्थिति के अनुपात में 54 फीसदी से लेकर कोविड के बाद 34 फीसदी तक की कमी दिख रही है।
पुरुषों की तुलना में महिलाएं स्वास्थ्य के प्रति सजग
इस सर्वेक्षण का उद्देश्य आज के महामारी के बाद के स्वास्थ्य और कल्याण के प्रति सक्रिय रुचि को समझना था। कोरोना के बाद की दुनिया में स्वस्थ रहने के लिए जागरुकता आई है। जिसमें हेल्थ और वेलनेस उत्पादों को लेकर लोग काफी उत्साहित नजर आ रहे हैं। दिलचस्प बात यह है कि अध्ययन में पाया गया कि महिलाएं पुरुषों की तुलना में बेहतर स्वास्थ्य बनाए रखने में सक्षम थीं। जबकि महामारी के दौरान मानसिक स्वास्थ्य दोनों के लिए एक चुनौती थी। केवल 35 फीसदी पुरुषों की तुलना में 38 फीसदी महिला उत्तरदाता अपनी मानसिक स्वास्थ्य स्थिति से संतुष्ट थीं। इसी तरह, शारीरिक फिटनेस के लिए महिलाएं फिर से पुरुषों की तुलना में बेहतर शारीरिक स्वास्थ्य बनाए रखती हैं। सर्वेक्षण में 42 फीसदी पुरुषों की तुलना में 49 फीसदी महिलाएं संतुष्ट हैं।
स्वस्थ जीवनशैली के पक्षधर हैं युवा : संजय दत्ता
आईसीआईसीआई लोम्बार्ड जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड के चीफ अंडरराइटिंग संजय दत्ता के मुताबिक जनता की बदली हुई धारणा के साथ हमारा उपभोक्ता आधार आज एक स्वास्थ्य को देखता है। हमने देखा कि 47 फीसदी लोग और 42 फीसदी 25-35 वर्ष के बीच के युवाओं में मानसिकता में बदलाव आ रहा है। जो न केवल खुद का स्वास्थ्य बेहतर रखने के लिए, बल्कि बेहतर महसूस करने के लिए एक स्वस्थ जीवन शैली भी अपनाना चाहते हैं।
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