अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे ने पूरे विश्व को प्रभावित किया है। दुनिया के विभिन्न देशों ने अपने नागरिकों को वहां से निकालने के लिए बहुत जद्दोजहद की और इस प्रयास में सफल भी हुए जिसका श्रेय अमेरिका को भी जाता है क्योंकि अमेरिकी सेना ने काबुल एयरपोर्ट की सुरक्षा और संचालन का कार्य संभाला हुआ है। लेकिन 31 अगस्त के बाद अमेरिकी सुरक्षा बल काबुल एयरपोर्ट से रूखसत हो जाएंगे उसके बाद वहां के हालात कैसे होंगे जो बहुत चिंता का विषय होगा। क्योंकि जिस प्रकार ‘आईसिस-के’ द्वारा लगातार काबुल एयरपोर्ट पर आतंकवादी हमले हो रहे हैं ऐसे में विदेशी नागरिकों की कैसे सुरक्षा हो पाएगी।
यह भी एक यज्ञ प्रश्न है क्योंकि अमेरिकी सेना ने एयरपोर्ट की आतंरिक सुरक्षा और संचालन का जिम्मा संभाला हुआ है और अमेरिकी सेना के पास मिसाइल डिफेंस सिस्टम है जिसके द्वारा वह आतंकियों के हमले को नेस्तनाबूद करती रही है। अगर अमेरिकी सेना अपनी सुरक्षा व संचालन 31 अगस्त को हटा लेती है तो काबुल एयरपोर्ट की सुरक्षा व संचालन कैसे होगा? हालांकि तालिबान ने तुर्की से काबुल एयरपोर्ट के संचालन के लिए तकनीकी मदद मांगी है और इस पर काफी प्रगति भी हुई है लेकिन तुर्की को अपने तकनीकी विशेषज्ञों की सुरक्षा की चिंता हमेशा बनी रहेगी। क्या तालिबान अमेरिकी मिसाइल डिफेंस सिस्टम की तरह वहां पर सुरक्षा दे पाएगा? ये ऐसे सवाल हैं जिनके किसी के पास जवाब नहीं।
क्योंकि अमेरिकी नाटो सेना की वापिसी की मियाद 31 अगस्त को खत्म हो रही है और तालिबान सीधे तौर पर कह चुका है कि यह मियाद अब और नहीं बढ़ेगी। तालिबान के आतंकी एयरपोर्ट के बाहर मौजूद हैं और एयरपोर्ट के अंदर अमेरिकी सेना मोर्चा संभाले हुए हैं और विमानों की सुरक्षित आवागमन का संचालन कर रही है। लेकिन 31 अगस्त के बाद वहां के हालात कैसे होंगे और 31 अगस्त के बाद वहां पर फंसे विदेशी नागरिक कैसे निकलेंगे इन सबका किसी के पास जवाब नहीं क्योंकि कुछ विदेशी नागरिक अभी भी अफगानिस्तान में फंसे हुए हैं जो एयरपोर्ट तक भी पहुंच नहीं पा रहे। संयुक्त राष्टÑ संघ की सुरक्षा परिषद् को इस मामले में सख्त कदम उठाकर विदेशी नागरिकों की सुरक्षित वापिसी को सुनिश्चित करना होगा।
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