सन् 1880 में दौरान ‘कर’ वसूलने व अंग्रेज गवर्नर के ठहरने के लिए किया गया था निर्माण
- बंगले के निर्माण में मसूरी इंटों और सागौन की लकड़ी का किया गया था प्रयोग
जाखल(सच कहूँ/तरसेम सिंह)। किसी दौर में अंग्रेजों की शान रहा ‘डाक बंगला’ आज बदहाली के दौर से गुजर रहा है। सन् 1880 के दौरान ‘कर’ वसूलने व अंग्रेज गवर्नर के ठहरने के लिए भव्य तरीके से इस बंगले का निर्माण कराया गया था। बंगले का निर्माण मसूरी इंटो थे करवाया गया है, जिसकी दीवारें लगभग 2 फुट चौड़ी हैं। बंगले में अधिकतर सागौन की लकड़ी का प्रयोग किया गया था। हर तरफ हरियाली व फुलवारी थी। आजादी के बाद जब वक्त बदला तो बंगले की हालत भी बदलने लगे। आज यह डाक बंगला पूरी तरह से जर्जर व बदहाल हो चुका है। आलम यह है कि जर्जर हो चुके बंगले के चारों ओर प्रशासन ने दीवार तक का भी निर्माण नहीं करवाया ताकि अतिक्रमण न हो सके।
धारसूल में स्थित है यह बंगला
हम बात कर रहे हैं जिला फतेहाबाद की तहसील टोहाना में पड़ते गांव धारसूल के पास बने डाक बंगले की। इस बंगले की कहानी करीब 120 साल पुरानी है। उस दौर में भारत में अंग्रेजी हुकूमत थी। उस वक्त अंग्रेज गवर्नर यहां पर कर वसूली करने के लिए आते थे। टोहाना, जाखल, रतिया, फतेहाबाद, कुलां समेत तमाम गांवों से उनको कर वसूलने में दिक्कत आती थी, क्योंकि गवर्नर का यहां पर ठहरने का कोई स्थान नहीं था। जिस कारण अंग्रेज शासन काल में गवर्नर के ठहरने के लिए इस बंगले का निर्माण कराया गया था। बंगला इतना खूबसूरत था कि लोग इसे देखने आते थे। हर तरफ हरियारी व फुलवारी थी सागौन की लकड़ी से पूरी नक्काशी की गई थी। आजादी के बाद जब अंग्रेज भारत से चले गए तो पीडब्ल्यूडी विभाग के अधीन कर दिया गया था।
रख-रखाव के अभाव में हुआ जर्जर
अंग्रेजों के शासन काल में बना यह डाक बंगला आज नव निर्माण को तरस रहा है। न तो सांसद ने कभी ध्यान दिया न ही विधायक ने। अनदेखी के कारण भवन की छत, खिड़की, दरवाजे, कुर्सी, मेज, सोफे, शीशे से लेकर हर चीज रियासतकालीन चीजें टूट कर खंडहर में तब्दील हो चुकी हैं। लोगों की मांग है कि हरियाणा सरकार की ओर से इसके रख-रखाव के लिए अलग से बजट जारी कर इस डाक बंगला को एक धरोहर के रूप में बनाया जाना चाहिए।
क्या कहते है सरपंच हरपाल सिंह
इस बारे में ग्राम सरपंच हरपाल सिंह ने बताया कि यह डाक बंगला पंचायत के अधीन है। पंचायत की ओर से यहां संग्रहालय बनाने की योजना है। इसके लिए सांसद और विधायक की ओर से ग्रांट की मांग है। ताकि यह संग्रहालय बनाने की योजना को अमलीजामा पहनाया जा सके। उन्होंने बताया कि यहां पर संग्रहालय बनाने के बाद आसपास क्षेत्र भर से ग्रामीण इलाकों में पड़ी प्राचीन चीजों को संग्रहालय किया जाएगा वही इसमें स्विमिंग के लिए खुदाई करवाई गई है। ताकि यह नहर किनारे बने बंगले की देखरेख भी रह सके और क्षेत्रीय ग्रामीण बच्चे भी यहां स्विमिंग पुल में तैराकी सीख सके। उन्होंने बताया कि इसके रख-रखाव के लिए कभी सरकार की तरफ से कोई योजना नहीं बनाई और ना ही ग्रांट उपलब्ध हुई।
इस डाक बंगले के बारे में उन्हें जानकारी नहीं है। यह कहां पर है स्थित है इसकी जिला अधिकारियों से पूरी लोकेशन की जानकारी मंगवाई जाएगी। उसके बाद ऐसी धरोहर को संभालने के लिए जो भी प्रावधान होगा जरूर अमल में लाया जाएगा।
-सुनीता दुग्गल, सांसद, सरसा।
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